अंतर्राष्ट्रीय
22-Sep-2025
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-राष्ट्रपति ट्रंप के बचाव में व्हाइट हाउस ने जारी किया पत्र वाशिंगटन,(ईएमएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा पर आवेदन शुल्क को 100,000 डॉलर यानी करीब 88 लाख रुपए कर दिया है। इसको लेकर भारत समेत दुनिया में कई सवाल उठ रहे हैं। इन सवालों को लेकर अब व्हाइट हाउस ने एक पत्र जारी कर ट्रंप का बचाव किया और वीजा प्रोग्राम के दुरुपयोग, अमेरिकी नौकरियों पर खतरे और राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को प्रमुख कारण बताया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप प्रशासन ने कहा कि कंपनियां जानबूझकर अमेरिकी कर्मचारियों की जगह कम सैलरी पर विदेशी पेशेवरों को नौकरी देकर काम करा रही हैं जिससे अमेरिका के युवा बेरोजगार हो रहे हैं। नए शुल्क का उद्देश्य ऐसे दुरुपयोग को रोकना और केवल हाई-स्किल्ड और हाई-सैलरी वर्कर्स को प्राथमिकता देना है। बताया जा रहा है कि कंपनियां एच-1बी का इस्तेमाल अमेरिकी कर्मचारियों की जगह सस्ते विदेशी कर्मचारियों को लाने के लिए कर रही हैं। एक कंपनी ने 5,189 एच-1बी मंजूरी के बाद 16,000 अमेरिकियों को नौकरी से निकाल दिया। ओरेगन में 2,400 नौकरियां खत्म करने वाली कंपनी को 1,698 एच-1बी वीजा मिले। 2003 में 32 फीसदी आईटी नौकरियां एच-1बी धारकों के पास थीं, 2025 तक यह 65 फीसदी से ज्यादा हो जाएगी। रिपोर्ट में बताया गया है कि कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट्स की बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी और कंप्यूटर इंजीनियरिंग में 7.5 फीसदी है, जो अन्य विषयों से दोगुनी है। 2000 से 2019 के बीच विदेश में जन्मे वर्कर्स की संख्या दोगुनी हुई, जबकि कुल स्टेम रोजगार में सिर्फ 44.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। अमेरिकी कर्मचारियों को नॉन-डिस्क्लोजर एग्रीमेंट के तहत अपने एच-1बी रिप्लेसमेंट को ट्रेन करने के लिए मजबूर किया। एच-1बी प्रोग्राम युवाओं को टेक सेक्टर में आने से हतोत्साहित कर रहा है, नौकरी की सुरक्षा और सैलरी दोनों प्रभावित हो रहे हैं। वहीं टेक्नोलॉजी और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे अहम सेक्टर्स में विदेशी श्रम पर निर्भरता अमेरिका की आत्मनिर्भरता को कमजोर करती है। ट्रंप ने श्रम विभाग को प्रचलित वेतन नियम बदलने और उच्च वेतन वाले आवेदकों को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं। व्हाइट हाउस ने कहा कि यह फैसला ‘अमेरिका-फर्स्ट’ नीति के तहत लिया गया है। अब जॉब ट्रेनिंग संसाधन केवल अमेरिकी नागरिकों के लिए आरक्षित रहेंगे और विदेशी श्रमिकों पर निर्भरता कम होगी। प्रशासन का दावा है कि ट्रंप के कार्यकाल में लौटने के बाद से सभी नई नौकरियां अमेरिकी श्रमिकों को ही दी गई हैं। यह फैसला भारतीय आईटी पेशेवरों पर बड़ा असर डाल सकता है, क्योंकि एच-1बी वीजा धारकों में सबसे बड़ी हिस्सेदारी भारतीयों की है। सिराज/ईएमएस 22 सितंबर 2025