-पीएम मोदी आरएसएस के शताब्दी समारोह में हुए शामिल -होसबाले ने कहा- संघ किसी का विरोधी नहीं, निस्वार्थ सेवा करता है नई दिल्ली,(ईएमएस)। पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी समारोह में शामिल हुए। उन्होंने संघ की 100 वर्षों की यात्रा को त्याग, निस्वार्थ सेवा, राष्ट्र निर्माण और अनुशासन की अद्भुत मिसाल बताया। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि मैं आरएसएस के शताब्दी समारोह का हिस्सा बनकर अत्यंत गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि डॉ. हेडगेवार जानते थे कि हमारा राष्ट्र तभी सशक्त होगा, जब हर व्यक्ति के अंदर राष्ट्र के प्रति दायित्व का बोध जागृत होगा। इसलिए वे व्यक्ति निर्माण में निरंतर जुड़े रहे। उनका तरीका अलग था डॉ. हेडगेवार जी कहते थे कि जैसा है, वैसा लेना है। जैसा चाहिए, वैसा बनाना है। पीएम मोदी ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि लोगों को संग्रह का उनका यह तरीका अगर समझना है तो हम कुम्हार को याद करते हैं। जैसे कुम्हार ईंट पकाता है तो जमीन की सामान्य-सी मिट्टी से शुरू करता है। वह मिट्टी लाता है और उस पर मेहनत करता है। उसे आकार देकर तपाता है। खुद भी तपता है और मिट्टी को भी तपाता है। फिर उन ईंटों को इकट्ठा करके भव्य इमारत बनाता है। ऐसे ही डॉ. हेडगेवार बहुत ही सामान्य लोगों को चुनते थे। फिर उन्हें सिखाते थे, विजन देते थे और उन्हें गढ़ते थे। इस तरह वे देश को समर्पित स्वयंसेवक तैयार करते थे। पीएम मोदी ने कहा कि संघ शाखा का मैदान एक ऐसी प्रेरणा भूमि है, जहां से स्वयंसेवक की अहम् और वहम की यात्रा शुरू होती है। संघ की शाखाएं व्यक्ति निर्माण की यज्ञ वेदी हैं। उन शाखाओं में व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास होता है। स्वयंसेवकों के मन में राष्ट्र सेवा का भाव और साहस दिन प्रतिदिन पनपता रहता है। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवकों के लिए त्याग और समर्पण सहज हो जाता है। श्रेय के लिए प्रतिस्पर्धा की भावना समाप्त हो जाती है। उन्हें सामूहिक निर्णय और सामूहिक कार्य का संस्कार मिलता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण का महान उद्देश्य, व्यक्ति निर्माण का स्पष्ट पथ और शाखा जैसी सरल व जीवंत कार्य पद्धति यही संघ की 100 वर्ष की यात्रा का आधार बनी है। वहीं कार्यक्रम में संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि संघ के 100 साल की यात्रा रोचक रही है। आज देश के हर हिस्से में स्वयंसेवक मौजूद हैं। वे समाज में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। संघ को कोई सर्टिफिकेट नहीं चाहिए, हम किसी का विरोध नहीं करते। इसलिए स्वयं सेवक निस्वार्थ होकर काम करता है। राष्ट्र के लिए सबकुछ है, मेरा कुछ नहीं है, इस भाव से संघ का कार्यकर्ता काम कर रहा है। आरएसएस दशहरा से अपना शताब्दी वर्ष कार्यक्रम शुरू करेगा। इसके तहत 2 अक्टूबर 2025 से 20 अक्टूबर 2026 तक देशभर में सात बड़े कार्यक्रम होंगे। इसके अलावा संघ प्रमुख मोहन भागवत अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों में कार्यक्रमों में शामिल हो सकते हैं। नरेंद्र मोदी स्वयं संघ के प्रचारक थे और बीजेपी में आने से पहले उन्होंने एक कुशल संगठनकर्ता के रूप में अपनी पहचान बनाई। बीजेपी अपनी वैचारिक प्रेरणा संघ से लेती है। सिराज/ईएमएस 01अक्टूबर25