- वैश्विक तनाव से बाजार में सतर्कता बढ़ी - घरेलू महंगाई आंकड़ों और कंपनियों के नतीजों पर नजर - फेडरल रिजर्व चेयरमैन के भाषण से मिल सकते हैं संकेत मुंबई (ईएमएस)। इस सप्ताह भारतीय शेयर बाजार की दिशा कई प्रमुख कारकों पर निर्भर करेगी, जिनमें अमेरिका-चीन व्यापार तनाव, घरेलू महंगाई के आंकड़े और प्रमुख कंपनियों के तिमाही नतीजे शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ये घटनाएं निवेशकों की धारणा को निर्णायक रूप से प्रभावित करेंगी। अमेरिका और चीन के बीच शुल्क को लेकर बढ़ते तनाव ने वैश्विक बाजारों में चिंता बढ़ा दी है। शुक्रवार को वॉल स्ट्रीट में भारी गिरावट देखी गई नैस्डैक 3.56 फीसदी, एसएंडपी 500 में 2.71 फीसदी और डॉव जोन्स में 1.90 फीसदी की गिरावट आई। इससे वैश्विक निवेशक जोखिम लेने से कतरा सकते हैं, जिसका असर भारतीय बाजारों पर भी पड़ेगा। इस बीच घरेलू मोर्चे पर निवेशकों की नजर खुदरा और थोक मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर होगी। सरकार 13 अक्टूबर को सितंबर महीने की खुदरा मुद्रास्फीति (सीपीआई) और 14 अक्टूबर को थोक मुद्रास्फीति (डब्ल्यूपीआई) के आंकड़े जारी करेगी। इन आंकड़ों से भारतीय रिजर्व बैंक की आगामी मौद्रिक नीति का रुख स्पष्ट हो सकता है। इसके अलावा, निवेशकों की निगाहें इंफोसिस, एचसीएल टेक, विप्रो, टेक महिंद्रा जैसी आईटी कंपनियों के तिमाही नतीजों पर टिकी होंगी। साथ ही, रिलायंस इंडस्ट्रीज और एक्सिस बैंक जैसे दिग्गजों के नतीजे भी बाजार की चाल में अहम भूमिका निभा सकते हैं। वैश्विक स्तर पर, 14 अक्टूबर को फेडरल रिजर्व चेयरमैन जेरोम पावेल का भाषण निवेशकों के लिए खास रहेगा। उनकी टिप्पणियों से ब्याज दरों और मुद्रास्फीति को लेकर फेड की रणनीति का संकेत मिल सकता है। पिछले सप्ताह बीएसई सेंसेक्स में 1.59 फीसदी और एनएसई निफ्टी में 1.57 फीसदी की तेजी रही, लेकिन आने वाला सप्ताह अस्थिरता और सतर्कता से भरा रह सकता है। विश्लेषकों ने सलाह दी है कि निवेशक इस सप्ताह सतर्क रणनीति अपनाएं और महत्वपूर्ण घटनाक्रमों पर करीबी नजर बनाए रखें। सतीश मोरे/12अक्टूबर ---