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12-Oct-2025
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-डिजिटल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट बना इसकी मुख्य वजह नई दिल्ली,(ईएमएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई-एक्ट) 2005 के 20 वर्ष पूर्ण होने पर इसके कमजोर होने पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि मार्च 2023 में डिजिटल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट पारित हुआ और इसी के साथ आरटीआई का श्राद्ध, अंतिम संस्कार हो गया। सूचना का अधिकार अधिनयम के 20 वर्ष पूर्व होने पर मीडिया से बात कर रहे कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि आज वही दिन है जबकि 20 साल पहले यह क्रांतिकारी कानून आया था। यह अलग बात है कि आज 20 साल बाद इसकी हकीकत कुछ और नजर आ रही है। तब इसका मकसद शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना था। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह की सरकार के जमाने में अधिकार आधारित कानून बनते थे, जिसकी शुरुआत आरटीआई-एक्ट से हुई थी, आरटीआई से एक दबाव बना था, जो साल 2013 तक रहा। यह भी सच है कि 2014 से 2019 तक इसमें छेड़छाड़ नहीं की गई, लेकिन 2019 में संशोधन लाया गया, जिसका इसका मकसद इसके अधिकारों को कमजोर करना था। उन्होंने कहा कि जब आरटीआई एक्ट बना था, तो इसे स्टैंडिंग कमेटी को भेजा गया, जहां से अनेक जरूरी सिफारिशें आई और मनमोहन सिंह की सरकार ने उन सभी सिफारिशों को माना। इन तमाम संशोधनों के साथ कानून पास हुआ, लेकिन 2019 में मोदी सरकार ने स्थाई समिति के लिए गए संशोधनों को नहीं माना। उन्होंने कहा कि इसी के साथ मार्च 2023 में डीजिटल डाटा प्रोटक्शन एक्ट पारित किया गया और इसकी अंतिम दो लाइनों में धारा 44(3) में आरटीआई का श्राद्ध, अंतिम संस्कार हो गया। दरअसल इसमें कहा गया, कि आरटीआई का संशोधन इस कानून के तहत किया जा रहा, जो व्यक्तिगत जानकारी है उस पर आरटीआई लागू नहीं होगी। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बताया कि मोदी सरकार के संशोधन करने के पीछे के भी अनेक कारण थे। इसी के साथ उन्होंने इसके 5 कारणों को गिनाया और बताया कि पीएम मोदी की तथाकथित डिग्री की जानकारी भी इसकी एक वजह रही। वहीं जब पीएम मोदी ने कहा कि करोड़ों लोगों के बोगस राशन कार्ड बने हैं, लेकिन आरटीआई से प्राप्त जानकारी से पता चला कि या दावा फर्जी और गलत था। नोटबंदी, कालाधन और बकायेदारों की सूची जैसे अनेक कारण भी उन्होंने गिनाए। कांग्रेस नेता जयराम ने कहा, कि मैंने तो 17 दिसंबर 2019 को मोदी सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन 6 साल गुजर जाने के बाद भी आज तक यह मामला लंबित है। उन्होंने कहा, कि इतना महत्वपूर्ण और करोड़ों भारतीय से जुड़ा मामला होने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट में 6 साल से लंबित है। आगे कहा कि 20 साल बाद सीआईसी में न कोई मुखिया है और न ही 7 इनफॉर्मेशन कमिश्नर की ही नियुक्ति की गई है। उन्होंने दावा किया, कि पिछले 11 सालों में 7 बार ऐसा वक्त भी आया जबकि सीआईसी ही नहीं है। इससे साफ होता है कि इस सरकार का मकसद आरटीआई को नजरअंदाज करते हुए इसे कमजोर करना और दंतहीन संस्था में तब्दील कर देना है। हिदायत/ईएमएस 12अक्टूबर25