जिनेवा (ईएमएस)। हर साल दुनिया भर में लगभग 23 लाख महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर का शिकार होती हैं और इनमें से करीब 6.7 लाख महिलाओं की मौत हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के ताज़ा आंकड़े ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को लेकर गंभीर चेतावनी देते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पहले जहां इस बीमारी का सबसे प्रमुख लक्षण गांठ या हार्डनेस हुआ करता था, अब कई मामलों में यह संकेत दिखाई नहीं देते। इसी वजह से ब्रेस्ट कैंसर का एक नया और अधिक खतरनाक रूप सामने आया है, जिसे इनवेसिव लोब्युलर कार्सिनोमा कहा जाता है। आईएलसी ब्रेस्ट की दूध बनाने वाली ग्रंथियों यानी लोब्यूल्स में विकसित होता है और सामान्य डक्टल कार्सिनोमा (आईडीसी) की तुलना में अलग तरह से बढ़ता है। यह ठोस गांठ नहीं बनाता और धीरे-धीरे शरीर में फैलता है, जिससे शुरुआती चरण में पहचान करना बेहद कठिन हो जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, आईएलसी अब ब्रेस्ट कैंसर के कुल मामलों का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा बन चुका है, लेकिन इसकी मेटास्टैटिक प्रकृति इसे और भी खतरनाक बना रही है। अमेरिका में आईएलसी के मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, केवल 2025 में ही लगभग 33,600 नए आईएलसी मामले सामने आने की संभावना है। इस कैंसर का व्यवहार सामान्य डक्टल कैंसर से अलग होता है और इसे पहचानना चुनौतीपूर्ण होता है, यही वजह है कि विशेषज्ञ जागरूकता और व्यक्तिगत उपचार पर जोर दे रहे हैं। आईएलसी के बढ़ने के प्रमुख कारणों में स्क्रीनिंग की सीमाएं, हार्मोनल प्रभाव और जीवनशैली शामिल हैं। पारंपरिक मैमोग्राफी तकनीक अक्सर आईएलसी को पहचानने में असफल रहती है, क्योंकि इसमें कोई ठोस गांठ नहीं बनती। हालांकि एमआरआई और 3डी इमेजिंग की मदद से कई छिपे मामले सामने आ रहे हैं। हार्मोनल प्रभाव भी अहम है क्योंकि आईएलसी अक्सर हार्मोन रिसेप्टर पॉजिटिव होता है। लंबे समय तक एस्ट्रोजन के संपर्क में रहना, हॉर्मोन थेरेपी, गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग और देर से मेनोपॉज इस बीमारी के जोखिम को बढ़ाते हैं। इसके अलावा जेनेटिक म्यूटेशन, प्रोसेस्ड फूड, मोटापा, शराब, धूम्रपान और देर से प्रेग्नेंसी भी इसका कारण बनते हैं। आईएलसी के लक्षण अक्सर नज़र नहीं आते, लेकिन स्तन में भारीपन, किसी हिस्से का सख्त होना, आकार में बदलाव, त्वचा पर डिंपल, निप्पल में खिंचाव या डिस्चार्ज और बगल या कॉलर बोन के पास सूजन जैसी स्थितियों पर ध्यान देना चाहिए। सही खानपान, वजन नियंत्रण, तनाव कम करना और नियमित जांच ही इस खतरनाक कैंसर के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार हैं। जागरूकता और समय पर सावधानी ही इस बीमारी से बचाव का प्रमुख उपाय हैं। सही पहचान के लिए मैमोग्राफी, एमआरआई या बायोप्सी आवश्यक होती है। विशेषज्ञ महिलाओं को 40 साल की उम्र के बाद हर साल ब्रेस्ट स्क्रीनिंग कराने की सलाह देते हैं। सुदामा/ईएमएस 13 अक्टूबर 2025