वाशिंगटन (ईएमएस)। ब्रह्मांड के इतिहास में वैज्ञानिकों ने एक अभूतपूर्व तारे की खोज की है। संभवतः यह तारा बिग बैंग के तुरंत बाद बना था। विशेषज्ञों का कहना है कि यह अब तक खोजा गया सबसे प्राचीन और धातु-रहित (मेटल पूअर) तारा है। इस तारे का नाम एसडीएसएस जे0715-7334 रखा गया है, और यह धरती के अपेक्षाकृत करीब स्थित लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड (एएमसी) नामक उपगैलेक्सी में पाया गया है। इसका रासायनिक संघटन इतना शुरुआती है कि ब्रह्मांड की सबसे पुरानी आकाशगंगाओं में भी इससे दस गुना अधिक धातु तत्व पाए गए हैं। लगभग 13.8 अरब वर्ष पहले हुए बिग बैंग के बाद ब्रह्मांड में केवल दो प्रमुख तत्व हाइड्रोजन और हीलियम बने थे। थोड़ी मात्रा में लिथियम और कुछ हल्के आइसोटोप भी बने, लेकिन बाकी सभी भारी तत्व बाद में तारों के अंदर और उनके विस्फोटों के जरिए उत्पन्न हुए। खगोलविद किसी तारे की धात्विकता देखकर उसकी उम्र का अनुमान लगाते हैं जितनी कम धातुएं, तारा उतना पुराना। हमारे सूरज में धातुएं अपेक्षाकृत अधिक हैं, इसलिए वह युवा तारा माना जाता है, जबकि एसडीएसएस जे0715-7334 की धात्विकता अत्यंत कम पाई गई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि बिग बैंग के तुरंत बाद बने पहले तारे बेहद विशाल थे सैकड़ों सूर्य के बराबर द्रव्यमान वाले। वे बहुत तेजी से ज लकर सुपरनोवा बन गए और उनकी राख से अगली पीढ़ी के तारे बने। चूंकि पहली पीढ़ी के तारे अब विलुप्त हो चुके हैं, इसलिए वैज्ञानिक उनके अवशेषों से बने छोटे तारों की तलाश करते हैं। एसडीएसएस जे0715-7334 ऐसा ही एक तारा है, जो लगभग 13 अरब वर्ष पुराना बताया जा रहा है। यह तारा एलएमसी की बाहरी परत (हेलो) में स्थित है और एक रेड जायंट के रूप में चमक रहा है। इसके स्पेक्ट्रम के अध्ययन से पता चला कि इसमें धातु तत्वों की मात्रा अत्यंत कम है अब तक देखी गई सबसे प्राचीन आकाशगंगाओं से भी लगभग दस गुना कम। इससे संकेत मिलता है कि यह ब्रह्मांड की पहली या दूसरी पीढ़ी के तारों में से एक है। इसके रासायनिक विश्लेषण से यह भी स्पष्ट हुआ कि यह तारा लगभग 30 सूर्यों के द्रव्यमान वाले सुपरनोवा के अवशेष से बना है, जो शुरुआती तारों के लिए अपेक्षाकृत छोटा था। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इसी क्षेत्र में ऐसे और भी प्राचीन तारे मिल सकते हैं। यह खोज खास इसलिए है क्योंकि अब तक वैज्ञानिक बिग बैंग के बाद बने पहले तारों के सबूत केवल दूरस्थ आकाशगंगाओं में खोज रहे थे, लेकिन एसडीएसएस जे0715-7334 हमारे “कॉस्मिक नेबरहुड” यानी पड़ोसी अंतरिक्ष क्षेत्र में मिला है। यह खोज न केवल प्रारंभिक ब्रह्मांड की रासायनिक संरचना को समझने में मदद करेगी, बल्कि यह भी बताएगी कि ‘पहली रोशनी’ कैसे जली वे तारे जिन्होंने अंधेरे ब्रह्मांड को पहली बार प्रकाशित किया था। दिलचस्प बात यह है कि इस अदभूत तारे में कार्बन की मात्रा बहुत कम है, जबकि बड़े तारे सामान्यतः कार्बन, नाइट्रोजन और ऑक्सीजन का निर्माण करते हैं। इससे अनुमान लगाया गया कि यह तारा एक ठंडे, धूलयुक्त गैस क्षेत्र में बना था, जहां हल्के तत्वों का प्रभुत्व था। इस तारे की गति और स्थिति दर्शाती है कि यह एलएमसी का ही हिस्सा है, कोई बाहरी या भटका हुआ तारा नहीं। सुदामा/ईएमएस 13 अक्टूबर 2025