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13-Oct-2025
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- अमेरिका में छंटनी शुरू -10 साल से कम सर्विस वालों को 3 माह का वेतन - 10 साल से अधिक वालों को 18 महीने की सैलरी – एआई के ज़रिए कम समय में कम लागत में ज्यादा काम - अब भारत में भी असर शुरू नई दिल्ली/बेंगलुरु (ईएमएस)। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की बढ़ती शक्ति ने अमेरिकी और भारतीय आईटी कंपनियों में गुपचुप छंटनी (Silent Layoffs) का दौर शुरू कर दिया है। एआई अब सालों का काम हफ्तों में निपटा रहा है, जिससे कंपनियों को भारी लागत बचत हो रही है, लेकिन इंजीनियरों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। यह लहर अब भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी TCS समेत इन्फोसिस और विप्रो तक पहुँच चुकी है। पुरानों को 18 महीने की सैलरी का ईनाम अमेरिका में, और अब भारत में TCS जैसी कंपनियों में, कर्मचारियों को री-स्ट्रक्चरिंग के नाम पर बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। 10 साल से अधिक सर्विस वाले पुराने इंजीनियरों को स्वेच्छा से इस्तीफ़ा देने और 18 महीने तक सैलरी लेने का विकल्प दिया जा रहा है। वहीं, 10 साल से कम अनुभव वालों को तीन महीने की सैलरी देकर विदाई दी जा रही है। इसे कंपनियां सॉफ्ट एग्ज़िट का नाम दे रही हैं। भारत में बेंच पर बैठने का डर TCS में हर इंजीनियर को एआई ट्रेनिंग दी जा रही है। ट्रेनिंग में फेल होने वाले कर्मचारियों को बेंच पर डाल दिया जाता है—यानी बिना काम के बैठना। यदि वे नए इंटरव्यू पास नहीं कर पाते, तो उनसे विनम्रता से इस्तीफा देने को कहा जाता है। कंपनी भले ही 18,000 नए एआई-स्किल्ड टैलेंट भर्ती करने की बात कह रही हो, लेकिन अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, हाल के महीनों में 20,000 से अधिक इंजीनियरों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है। विशेषज्ञों की चेतावनी है कि अगले दो साल में एआई का यह असर और गहरा होगा। बेंगलुरु, पुणे, चेन्नई जैसे टेक शहर बड़े पैमाने पर छंटनी झेल सकते हैं, जिससे रियल एस्टेट और लोकल बिज़नेस पर भी संकट आएगा। अब केवल अनुभव नहीं, बल्कि एआई को अपनाने वाले इंजीनियर ही भविष्य में टिक पाएंगे।