-3 सदस्यीय कमेटी करेगी निगरानी, दो आईपीएस अफसर होंगे शामिल नई दिल्ली,(ईएमएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को करूर भगदड़ मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने अभिनेता विजय की पार्टी टीवीके और बीजेपी नेता उमा आनंदन की मामले की सीबीआई जांच याचिका पर फैसला सुनाया। मद्रास हाईकोर्ट ने मामले की जांच एसआईटी को सौंपी थी। बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस अजय रस्तोगी की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय कमेटी जांच की निगरानी करेगी। इसमें दो आईपीएस अफसर शामिल होंगे, जो आईजीपी रैंक से नीचे के नहीं होने चाहिए। बेंच ने 10 अक्टूबर को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से पूछा था कि जब एआईएडीएमके को करूर में कम जगह होने के कारण रैली की अनुमति नहीं दी गई तो फिर टीवीके को 27 सितंबर की रैली को कैसे इजाजत दी गई। कोर्ट ने यह भी पूछा था कि मद्रास हाईकोर्ट ने एसआईटी जांच का आदेश कैसे दिया, जबकि मामला मदुरै बेंच में था। बता दें 27 सितंबर को तमिलनाडु के करूर में अभिनेता विजय की रैली में हुई भगदड़ में 41 लोगों की मौत हुई थी। 100 से ज्यादा लोग घायल थे। सीबीआई के अधिकारियों से अपील है कि वे कमेटी के समक्ष जांच की मंथली रिपोर्ट पेश करें। एसओपी की सुनवाई बेंच को सौंपी जाएगी। हमने रजिस्ट्रार जनरल से रिपोर्ट मांगी है कि इसे आपराधिक याचिका के तौर पर कैसे लिस्ट किया गया। मद्रास हाईकोर्ट में सिंगल जस्टिस ने चीफ जस्टिस की परमिशन के बिना याचिका पर विचार किया, जो सही नहीं माना। उन्होंने मदुरै बेंच के पहले के फैसले को नजरअंदाज करके मामला उठाया, जबकि उसी विषय पर मदुरै बेंच की डिवीजन बेंच पहले से ही जानकारी में थी। इसके कारण अलग-अलग कोर्ट में मामला चलने लगा। यह चिंता की बात है कि एसओपी से जुड़ी रिट याचिका क्रिमिनल में कैसे आ सकती है। उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल से इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा गया है। जस्टिस माहेश्वरी ने हम इस सब पर विचार करेंगे। जरूरत पड़ी तो हम इसे सीबीआई को भी सौंप देंगे। वहीं एड. सिंघवी ने जिन दो मामलों में आदेश दिए हैं, वे संबंधित पक्षों ने दायर नहीं किए गए हैं। जस्टिस माहेश्वरी ने दो बातें स्पष्ट की हैं। इन दो में एक में सीबीआई जांच की मांग की गई थी। हमने हाईकोर्ट के इस प्रकार की फंक्शनिंग पर भी ध्यान दिया है। सिराज/ईएमएस 13अक्टूबर25