जिनेवा (ईएमएस)। हर साल दुनियाभर में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। बड़ी संख्या में लोग एंजायटी और डिप्रेशन जैसी मानसिक परेशानियों से जूझ रहे हैं, जो कभी-कभी गंभीर परिणाम भी ला सकती हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में हर सात में से एक व्यक्ति किसी न किसी तरह के मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर से प्रभावित है। इनमें सबसे आम समस्याएं एंजायटी और डिप्रेशन हैं। ये स्थितियां भले ही सुनने में मामूली लगती हों, लेकिन वास्तव में यह गंभीर मानसिक परेशानियां हैं, जो व्यक्ति के रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित कर सकती हैं। एंजायटी एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति अत्यधिक चिंता, तनाव और घबराहट महसूस करता है। यह किसी भी उम्र के लोगों में पाई जा सकती है और लंबे समय तक रहने पर जीवन की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में करीब 28 करोड़ लोग एंजायटी डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं। डिप्रेशन भी एक आम मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, जिससे लगभग 3 करोड़ लोग प्रभावित हैं। यह अकेले या एंजायटी के साथ भी हो सकता है। अक्सर डिप्रेशन और एंजायटी एक साथ होते हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती है। डिप्रेशन को सामान्य उदासी समझकर नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इसमें व्यक्ति लगातार दुख, नकारात्मक सोच और ऊर्जा की कमी महसूस करता है। यदि समय पर इलाज न मिले तो यह आत्महत्या जैसे गंभीर परिणाम तक ले जा सकता है। मानसिक बीमारियों के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें तनावपूर्ण जीवनशैली, व्यक्तिगत समस्याएं, पारिवारिक दबाव और हार्मोनल बदलाव शामिल हैं। इसलिए, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को हल्के में लेना घातक हो सकता है। हालांकि, डिप्रेशन और एंजायटी का इलाज संभव है। इसमें कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी, दवाइयां और जीवनशैली में बदलाव महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ध्यान, योग, नियमित व्यायाम और सकारात्मक सोच मानसिक स्वास्थ्य सुधारने में मददगार साबित होते हैं। मानसिक बीमारी का प्रभाव केवल व्यक्ति पर ही नहीं बल्कि उनके परिवार और समाज पर भी पड़ता है। यह रिश्तों में तनाव और सामाजिक दूरी बढ़ा सकती है। सुदामा/ईएमएस 14 अक्टूबर 2025