नई दिल्ली,(ईएमएस)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि आम एंटीबायोटिक दवाएँ तेजी से अपना असर खो रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में बैक्टीरिया से होने वाले हर छह में से एक संक्रमण पर एंटीबायोटिक दवाएँ बेअसर साबित हुईं। इसका अर्थ ही यह हुआ, कि दुनिया में संक्रमणों का इलाज करना दिन-ब-दिन कठिन होता जा रहा है। ग्लोबल एंटिबॉयोटिक रसिस्टेंस सर्वलाइंस रिपोर्ट 2025’ शीर्षक वाली यह रिपोर्ट 100 देशों से प्राप्त डेटा पर आधारित है। इसमें आठ आम बैक्टीरिया द्वारा होने वाले मूत्र, रक्त, पाचन तंत्र और अन्य अंगों के संक्रमणों तथा 22 प्रमुख एंटीबायोटिक दवाओं के असर का विश्लेषण किया गया। परिणामों ने वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय को चिंतित कर दिया है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 2018 से 2023 के बीच 40 प्रतिशत से अधिक मामलों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध बढ़ा है। यह प्रतिरोध हर साल औसतन 5 से 15 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। यानी, हानिकारक बैक्टीरिया अब दवाओं के प्रति अपनी सुरक्षा कवच बना रहे हैं, जिससे आम संक्रमण भी गंभीर और कभी-कभी घातक बनते जा रहे हैं। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा, कि एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध आधुनिक चिकित्सा को पीछे धकेल रहा है। यदि अभी कार्रवाई नहीं की गई, तो सामान्य संक्रमण भी जानलेवा बन सकते हैं। उन्होंने देशों से अपील की कि वे एंटीबायोटिक दवाओं का ज़िम्मेदारी से इस्तेमाल करें और निगरानी प्रणाली को मज़बूत बनाएं। सबसे अधिक खतरा एशिया और अफ्रीका में रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण-पूर्वी एशिया और पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में स्थिति सबसे गंभीर है, जहाँ हर तीन में से एक संक्रमण में एंटीबायोटिक प्रतिरोध देखा गया। अफ्रीकी देशों में भी हर पाँच में से एक संक्रमण में दवाएँ बेअसर साबित हुईं। इसका प्रमुख कारण कमजोर स्वास्थ्य ढाँचा, अपर्याप्त प्रयोगशालाएँ और सही निदान की कमी बताई गई है। ई कोली और के पेन्युमोनिया खतरनाक बैक्टीरिया विश्लेषण से पता चला कि ई. कोली और के. पेन्युमोनिया जैसे बैक्टीरिया अब कई प्रमुख एंटीबायोटिक दवाओं के विरुद्ध प्रतिरोधी बन चुके हैं। लगभग 40प्रतिशत ई कोली और 55 प्रतिशत के पेन्यूमोनिया संक्रमण अब आम दवाओं से ठीक नहीं हो रहे। अफ्रीकी क्षेत्रों में यह प्रतिरोध 70 प्रतिशत तक पहुँच चुका है। यहाँ तक कि खास और असरकारक कुछ जीवनरक्षक दवाएँ भी अपना असर खो रही हैं। इसी के साथ ही डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि यदि स्थिति ऐसी ही रही, तो साधारण संक्रमणों का इलाज भी मुश्किल हो जाएगा। संगठन ने देशों से निगरानी बढ़ाने, नई एंटीबायोटिक दवाओं के विकास में निवेश करने और जनता को दवाओं का विवेकपूर्ण उपयोग करने की सलाह दी है। हिदायत/ईएमएस 17 अक्टूबर 2025