19-Oct-2025
...


कोरबा (ईएमएस) सार्वजनिक क्षेत्र के वृहद उपक्रम कोल् इंडिया की अनुसांगिक कंपनी एसईसीएल बिलासपुर के अधीन कोरबा-पश्चिम क्षेत्र में स्थापित व संचालित खुले मुहाने की गेवरा कोयला परियोजना अंतर्गत एसईसीएल की मेगा परियोजना दीपका खदान क्षेत्र में विगत दिनों बूस्टर फटने के मामले में एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। प्रारंभिक तौर पर इस घटना की वजह टायर फटना प्रचारित कर इसका पटाक्षेप करने का कुंठित प्रयास किया गया था। किंतु अब इस श्रमिक संगठनों के चैतन्य पदाधिकारियो द्वारा गंभीर यक्ष प्रश्न उठाए जा रहे हैं। यहाँ यह बात विशेष तौर पर उल्लेखनीय हैं की कोयला खदान के अंदर घटित इस हादसे में एक घायल मजदूर को इलाज के दौरान अपने दोनों पैरो के महत्वपूर्ण हिस्से से महरूम होना पड़ा। श्रमिक संगठनो के प्रतिनिधियो ने तो सीधा आरोप लगाते हुए कहा हैं की यह दुखद और चिंताजनक यह घटना खदानों में अनिवार्य तौर पर प्रयुक्त किये जाने वाले सुरक्षा मानकों की घोर उपेक्षा का परिणाम हैं, साथ में यह भी कहा हैं की यह दुर्घटना विस्फोटक पद्यति, मानकों से जुड़ी गंभीर तकनीकी चूक का गंभीर परिणाम है। अभी इस घटना के संबंध में अधिकृत तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता हैं वास्तु स्थिति का खुलासा तो तभी हो पायेगा जब उक्त हादसे के संबंध में नियक्त की गयी तकनीकी विशेषज्ञो की राय स्पष्टतौर पर प्राप्त होंगी। इस मामले की जांच अब डीजीएमएस (डायरेटोरेट जनरल ऑफ माइंस सेफ्टी) की टीम ने अपने हाथों में ले ली हैं। स्थानीय मजदूर संगठनों का कहना है कि यह हादसा प्रबंधन की हड़बड़ी और दबाव में किए गए कार्यों का परिणाम है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब बूस्टर अत्यंत खतरनाक पदार्थ होता है, तो उसकी निगरानी में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई ? और क्या ब्लास्टिंग फेस पर भारी वाहन खड़ा करना सुरक्षा नियमों का उल्लंघन नहीं है ? इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि दीपका क्षेत्र में सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन केवल कागजों तक सीमित है। मजदूर संगठन और स्थानीय जनप्रतिनिधि अब उच्च स्तरीय जांच और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग कर रहे हैं। संगठन का कहना है कि यह हादसा सिर्फ एक व्यक्ति विशेष का नहीं है, बल्कि पूरे सिस्टम के लिए सबक है कि जब सुरक्षा पर समझौता होता है, तो उसका परिणाम खदान के सबसे निचले स्तर पर कार्यरत मजदूर को भुगतना पड़ता है। 19 अक्टूबर / मित्तल