लंदन,(ईएमएस)। 20 अक्टूबर की रात म्यांमार में नगा उग्रवादी संगठन एनएससीएन (के-वायए) के ठिकानों पर हुए भीषण ड्रोन स्ट्राइक के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट दी है। 20 अक्टूबर की रात म्यांमार के अंदर, सगाइंग क्षेत्र में एनएससीएन (के-वायए) के ठिकानों पर एक शक्तिशाली ड्रोन हमला हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक, इस हमले में नगा विद्रोही समूह के सीनियर कमांडर और खुद को मेजर जनरल बताने वाले पी.आंग माई की मौत होने की खबर सामने आ रही है। हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि का इंतज़ार है। बताया जा रहा हैं कि इस हमले के दौरान हाई-प्रिसीजन गाइडेड ड्रोन से कई बम दागे गए, जिससे कमांड पोस्ट और आवासीय ढांचे पूरी तरह तबाह हो गए। हमले के बाद आंग माई की कमांड यूनिट से संपर्क टूट गया है। यह कुछ महीनों के भीतर दूसरी बड़ी ड्रोन स्ट्राइक है। इससे पहले जुलाई 2025 में भी इसी तरह के ड्रोन हमलों में यूएलएफए-I और एनएससीएन(के) के ठिकानों पर कार्रवाई हुई थी, जिसमें यूएलएफए-I के तीन सीनियर लीडर (नयन आसोम, ब्रिगेडियर गणेश आसोम, कर्नल प्रदीप आसोम) मारे गए थे। आशंका है कि इन उग्रवादी संगठनों को चीन से मदद मिलती है। कुछ रिपोर्ट्स में दावा है कि इसतरह के अभियान भारतीय खुफिया एजेंसियों और म्यांमार के प्रतिरोधी गुटों के बीच सीक्रेट कॉर्डिनेशन के तहत किए जाते हैं (स्रोत इसकी पुष्टि नहीं करता)। विशेषज्ञ इस ड्रोन हमले को पारंपरिक जमीनी कार्रवाई की बजाय उग्रवादी संगठनों के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए ड्रोन से प्रिसिजन स्ट्राइक मानते हैं। सगाइंग क्षेत्र में वाक्थम बस्ती, होयात बस्ती और पांगसाउ पास के आसपास स्थित मोबाइल कैंपों को निशाना बनाया गया। यह क्षेत्र नगा और असम के उग्रवादी गुटों के लिए शरणस्थल बना हुआ है। हाल ही में, 17 अक्टूबर को असम राइफल्स के एक कैंप पर यूएलएफए-I और एनएससीएन(के) के संदिग्ध उग्रवादियों ने अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले में हमला किया था, जिसके बाद सीमा पर सतर्कता बढ़ाई गई है। भारत लंबे समय से म्यांमार की अंतरिम सरकार और स्थानीय मिलिशिया समूहों के साथ मिलकर इन कैंपों को ध्वस्त करने की रणनीति पर काम कर रहा है। आशीष दुबे / 21 अक्टूबर 2025