क्षेत्रीय
21-Oct-2025
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वाराणसी (ईएमएस) । आज से 45 वर्ष पूर्व यानि 21 अक्टूबर 1980 को इन पॉच युवकों की टीम रहस्य - रोमांच से परिपूर्ण दिल्ली - कोलकाता गंगा - यमुना नौका अभियान पऱ निकले थे। वाराणसी वाईएमसीए द्वारा प्रायोजित दिल्ली से कोलकाता नौका अभियान की 45वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। वाराणसी में इस साहसिक यात्रा का नेतृत्व सोहन लाल पटेल (पत्रकार) नें की थी। उस समय वाराणसी वाईएमसीए एक राष्ट्रीय परिषद परियोजना थी और मैंने यानि जॉय स्पेंसर सिंह जुलाई 1979 से मार्च 1981 तक इस परियोजना में सेवा की। 21 अक्टूबर, 1980 को केंद्रीय रेल मंत्री स्वर्गीय कमलापति त्रिपाठी ने युवा एवं संस्कृति मंत्रालय द्वारा अत्यंत उदारतापूर्वक प्रायोजित दिल्ली से कलकत्ता नौका अभियान को हरी झंडी दिखाई थी। इस नौका का निर्माण अभियान दल के लीडर स्टालिन दादा भट्टाचार्य और विभिन्न क्षेत्रों से आए उनके पाँच सदस्यों द्वारा वाराणसी वाईएमसीए में किया गया था। इस अभियान का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता और सांप्रदायिक सद्भाव था। यह कार्यक्रम वाईएमसीए नेशनल कौन्सिल ऑफ इंडिया द्वारा प्रायोजित देश के बड़े कार्यक्रमों में से एक था। तत्कालीन रेल मंत्री श्री कमलापति त्रिपाठी, श्री डी.एस. चिन्नादोराय, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, श्री प्रेम पॉल, महासचिव, नई दिल्ली वाईएमसीए, श्री कल्पनाथ राय, कैबिनेट मंत्री ने इस सफल आयोजन कामना करते हुए साक्षी बने थे। इस परियोजना के टीम लीडर और आर्किटेक्ट स्टालिन दादा भट्टाचार्य ज़ी और उनकी टीम के सदस्य ए.के. पॉल, फ़रीद आलम, सोहन लाल और काशी प्रसाद रहे। 21 अक्टूबर, 1980 को, वैश्विक क्षितिज पर पहली बार सामाजिक सरोकारों को बढ़ावा देने के साथ-साथ एक युगांतकारी साहसिक गतिविधि आयोजित की गई। इस अभियान का उद्देश्य सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना और इसके लिए अभियान चलाना था, साथ ही भारतीय समाज में व्याप्त दहेज प्रथा के विरुद्ध सामाजिक जागरूकता पैदा करना था। इस टीम में स्टालीन दादा (सत्यानंद भट्टाचार्य ज़ी), हिंदू धर्म से संबंधित ब्राह्मण जाति, सोहनलाल, हिंदू धर्म से संबंधित पिछड़ी जाति, काशी प्रसाद, हिंदू धर्म से संबंधित अनुसूचित जाति,मोहम्मद फ़रीद आलम, मुस्लिम धर्म से संबंधित। आमियों पॉल, ईसाई धर्म से संबंधित थे। विभिन्न जातियों और धर्मों से आने वाले ये पॉच सदस्य भारतीय समाज की समग्र संरचना का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। 22 से 40 वर्ष की आयु के इस टीम में शामिल होकर यमुना और गंगा की 3000 किलोमीटर से अधिक की दुर्गम नदी पार करने का साहस किया और अपने गंतव्य कलकत्ता पहुँचे। इस दल ने 29 दिसंबर, 1980 को अपनी यात्रा पूरी की। इस दल को नदी में 70 दिनों तक यात्रा करनी पड़ी, जिसमें से अधिकांश समय दिन और रात दोनों ही थे। उन्होंने शिविर स्थलों, रास्ते में पड़ने वाले कस्बों/शहरों में और स्कूलों-कॉलेजों में जाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके तथा लोगों के बीच संपर्क करके नियमित रूप से इस मिशन के बारे में प्रचार किया है। कोलकाता में वाईएमसीए के सम्मानित सदस्यों द्वारा विशेष समारोह, प्रेस कॉन्फ्रेंस और गवर्नर मीटिंग का आयोजन किया गया था। डॉ नरसिंह राम/ईएमएस/21अक्टूबर2025