ग्वालियर (ईएमएस)। आज भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जिला ग्वालियर के संस्थापक सदस्य ,स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, प्रसिद्ध मजदूर नेता एवं पूर्व विधायक कॉमरेड रामचंद्र सरवटे के स्मृति दिवस के अवसर पर सरवटे चौक हजीरा ग्वालियर पर स्थापित उनकी प्रतिमा पर प्रातः 9:00 बजे पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई।उसके बाद पार्टी कार्यालय सरवटे भवन हजीरा ग्वालियर पर संगोष्ठी आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता पार्टी के वरिष्ठ नेता कॉम बारेलाल पाल ने की । संगोष्ठी में उपस्थित सदस्यों को संबोधित करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी म प्र राज्य कार्यकारिणी सदस्य कॉम संजीव राजपूत, कॉमरेड कौशल शर्मा एडवोकेट , एटक के कॉम रमेश सविता, कॉम प्रकाश वर्मा, मजदूर सभा के भूपेश पलरिया, लॉयर्स यूनियन के कॉम रविंद्र सरवटे ,कॉम सुरेश कुशवाहा एडवोकेट ,नगर कमेटी मुरार के सचिव शैलेश परमार, महिला फेडरेशन की कॉम ज्ञान देवी वर्मा ने कामरेड सरवटे द्वारा किए गए संघर्ष और बलिदानों को याद करते हुए मेहनतकश मजदूर किसानों की समस्याओं के समाधान एवं वामपंथी विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए शोषण विहीन सत्ता के लिए किए गए प्रयासों की जानकारी दी और उनको श्रद्धांजलि देते हुए उनके अधूरे सपनों को पूरा करने का संकल्प लिया। संगोष्ठी सभा का संचालन ग्वालियर नगर कमेटी सचिव कॉम अनवर खान ने किया उक्त अवसर पर बड़ी संख्या में साथियों ने भाग लिया। - कॉमरेड रामचंद्र सरवटे के त्याग और बलिदान की कुछ झलकियां कॉम सरवटे के नाम से विख्यात ग्वालियर जिले की भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना 1942 के प्रमुख संस्थापक सदस्य का पूरा नाम रामचंद्र- अनंत सरवटे है , मैट्रिक तक शिक्षा प्राप्त कर कॉम सरवटे का जन्म 1912 मे किसान परिवार में जिला सागर मध्य प्रदेश के जैसीनगर में हुआ था। कॉम सरवटे 1921 में गांधी जी के आवाहन पर असहयोग आंदोलन में पढ़ाई छोड़कर आजादी के आंदोलन में उतरने का मन बनाया। सन 1929- 30 में जब देश में आजादी का आंदोलन गांधी जी के नेतृत्व में व्यक्तिगत सत्याग्रह के रूप में चल रहा था।देश में चल रहे आजादी के आंदोलन की चिंगारी ग्वालियर में भी आ चुकी थी ।कॉम सरवटे विदेशी कपड़ा #बॉयकॉट# आंदोलन में शामिल हो गए। विदेशी कपड़ा बॉयकाट आंदोलन के परिणाम स्वरूप नगर के नौजवान लड़के कॉम सरवटे के साथ जुड़ गए । शुरू में गांधीवादी आंदोलन से प्रभावित कॉम सर्वटे पर उस समय देश में जोर पकड़ रहा क्रांतिकारी आंदोलन के हिसात्मक प्रतिरोध ने जबरदस्त प्रभाव डाला खासकर पब्लिक सेफ्टी बिल, ट्रेड यूनियन बिल, ट्रेड सेफ्टी बिल जिसे पार्लियामेंट में पेश किया गया था, के विरोध में सरदार भगत सिंह तथा बटुकेश्वर दत्त के संसद में बम फेंकने की घटना ने उन्हें झकजोर दिया। परिणाम स्वरुप 1929 मे नौजवान सहयोगियो को साथ लेकर उन्होंने एक ग्रुप तैयार किया। इस ग्रुप ने तय किया कि गांधी जी के रास्ते पर चल रहे अहिंसात्मक आंदोलन से देश आजाद नहीं होगा। सरदार भगत सिंह का रास्ता हथियारबंद क्रांति का सही है, तथा उसी मुताबिक इस ग्रुप के द्वारा हथियारों (रिवाल्वर, पिस्तोल ) को इकट्ठा कर उन्हें उपयोग में लाने का अभ्यास ग्वालियर मे किया करते थे । इसी अवधी में बंगाल में क्रांतिकारियों के संगठन अनुशीलन समिति के संगठनकर्ता श्री गुप्ता जो फरारी की हालात में ग्वालियर आ गए थे । उनसे संपर्क के बाद उस ग्रुप ने कॉम सर्वटै को बम बनाने तथा हथियार चलाने के विशेष प्रशिक्षण के लिए कोलकाता भेजा गया। कॉम सरवटे के ग्रुप का संपर्क गोवा निवासी युवक स्टीफन से हुआ जो ग्वालियर में ही निवास करते थे वे इस ग्रुप में शामिल हो गए । ग्रुप ने यह निर्णय लिया कि गोवा पुर्तगालियों के अधिकार में था ,जहां हथियार आसानी से से प्राप्त हो सकते थे कॉम स्टीफन ,कॉम बालकृष्ण शर्मा को वहां( गोवा) से ग्वालियर हथियार लाने का काम सोपा गया। वह हथियार( रिवाल्वर पिस्टल) दो बार तो ले आए परंतु तीसरी बार जब स्टीफन गोवा से ग्वालियर हथियार ला रहे थे तो मुंबई बंदरगाह पर कस्टम अधिकारियों ने कम स्टीफन को गिरफ्तार कर लिया । कॉम सरवटे उस समय दिल्ली के आजाद मोटर ट्रेनिंग कॉलेज में ड्राइवरी सीख रहे थे ,कॉम स्टीफन के पास मिले पत्रों मे कॉम सरवटे का दिल्ली तथा 3 अन्य साथियों को ग्वालियर से गिरफ्तार कर मुंबई लाया गया और वहां *मुंबई गोवा ग्वालियर* षड्यंत्र केस के नाम से मुंबई में प्रेसीडेंसी न्यायालय में मुकदमा चलाया गया, जिसमें कहा गया कि यह लोग इंग्लैंड की हुकूमत के खिलाफ हथियारबंद क्रांति के जरिए उखाड़ना चाहते थे। इस षड्यंत्र केस में चारों साथियों को तीन-तीन साल का कठोर कारावास हुआ। कॉम सरवटे को पुणे सेंट्रल जेल में भेजा गया वहा मुंबई के साम्यवादी नेताओं से संपर्क होने पर उनके विचार साम्यवाद की तरफ अग्रसर हुए । जेल यात्रा के दौरान कॉम सरवटे अनेक बंदी क्रांतिकारी खासकर कम्युनिस्ट नेताओं के संपर्क में आए और मजदूर वर्ग की क्रांतिकारी विचारधारा को अपनाया। 1938 में मजदूर सभा के नाम से ग्वालियर के मजदूरों को भी संगठित करना शुरू किया। कॉम सरवटे के नेतृत्व में बड़े-बड़े संघर्ष किये, सबसे पहली लड़ाई सन 1939 में आम हड़ताल से शुरू हुई हड़ताल से पहले मजदूर से 12-12 घंटे काम लिया जाता था। हड़ताल के परिणाम स्वरुप काम के 12 घंटे घटकर 11 घंटे हो गए । मजदूरों की 1939 की हड़ताल से जे सी मिल मैनेजमेंट तथा ग्वालियर राज्य का शासन काप उठा। मैनेजमेंट और राज्य शासन के परामर्श के आधार पर कॉम सरवटे को ग्वालियर राज्य से 3 वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया गया, और आगरा छोड़ा गया। उत्तर प्रदेश के गवर्नर के आदेश के मुताबिक , कॉम सरवटे को आगरा केंद्रीय कारागार में नजर बंद कर दिया गया , करीब 2 साल बाद आगरा और बरेली जेल में रहकर रिहा होने के बाद 1944 में जब कॉम सरवटे ग्वालियर वापस आए तो जे सी मिल मजदूरों ने दूसरी सफल हड़ताल की जो करीब 21 दिन तक चली इस हड़ताल के परिणाम स्वरुप मजदूरों को दी जाने वाली महंगाई भत्ते में से जो तीन गैर हाजिरी पर पूरी महंगाई काट ली जाती थी वह बंद करना पड़ी। 8 घंटे के काम, बोनस ग्वालियर राज्य के सूती मजदूरों को वही तरीका जो उज्जैन के मजदूरों ने हड़तालों के जरिए हासिल किया था तथा ,छटनी के खिलाफ कॉमरेड सर्वटे के नेतृत्व में 1946 की ऐतिहासिक हड़ताल जे सी मिल में 21 - 22 दिन चली, हड़ताल तथा आम जनता का मजदूरों के साथ जुड़ जाने और उसके दवाब के कारण ग्वालियर के तत्कालीन सिंधिया महाराज तथा जे सी मिल मैनेजमेंट को झुकना पड़ा और मजदूरों की समस्त मांगे मंजूर करना पड़ी। कॉमरेड सरवटे ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र से भा क पा चुनाव चिन्ह हंसीया और बाली से 1957 एवं 1972 मे दो बार विधायक एवं पूरे मध्य प्रदेश में मजदूर किसानों मेहनत कश जनता के लिए जीवन पर्यंत पार्टी में रहकर अपना शीर्ष योगदान देते रहे।