अंतर्राष्ट्रीय
22-Oct-2025
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लगी मिर्ची कहने लगा वास्तविक युद्ध में सही क्षमता का पता लगाता बीजिंग (ईएमएस)। दुनिया की एयरफोर्स ताकत की एक नई रैंकिंग में भारत को तीसरा स्थान मिला है। भारत से आगे सिर्फ अमेरिका और रूस हैं, जबकि चीन चौथे स्थान पर पहुंच गया है। इस लेकर चीनी सरकारी मीडिया बौखला गई है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ने चीनी जानकार के हवाले से लिखा कि इस रैंकिंग को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल वास्तविक युद्ध क्षमता ही किसी सेना की असली ताकत पता चलती है, कागज पर दिखाया गया आंकड़ा नहीं। चीनी मीडिया लिखता है कि भारतीय वायुसेना अपने विमान और उपकरण अमेरिका, रूस और बाकी देशों से खरीदती है। इससे पता चलता है कि भारत की विदेश और सुरक्षा नीतियां कितनी जटिल हैं। झांग ने कहा कि अमेरिकी और भारतीय मीडिया की हाइप का मकसद चीन-भारत प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना हो सकता है और यह गलतफहमी की खतरनाक चेन शुरू कर सकता है। भारत के पास कुल विमानों की संख्या चीन से कम है, लेकिन ऑपरेशन क्षमता कहीं अधिक है। इसका कारण है भारतीय वायुसेना का संतुलित बेड़ा, बेहतर प्रशिक्षण और आधुनिक हथियार प्रणाली। भारत के पास 1,716 एयरक्राफ्ट हैं, जिनमें 31.6 प्रतिशत फाइटर जेट्स, 29 प्रतिशत हेलिकॉप्टर और 21.8 प्रतिशत ट्रेनर एयरक्राफ्ट शामिल हैं। भारत ने पायलट ट्रेनिंग, फ्लेक्सिबल डिप्लॉयमेंट और क्विक मिशन एक्जीक्यूशन पर फोकस किया है। वहीं, चीन के पास 3,733 एयरक्राफ्ट हैं, इनमें 68.7 प्रतिशत फाइटर्स, 24.4 प्रतिशत हेलिकॉप्टर और 10.7 प्रतिशत टेनर्स है। चीन के पास बहुत सारे लड़ाकू विमान हैं, लेकिन ट्रेनर और हेलिकॉप्टर की संख्या कम है। ऐसे में उसकी गुणवत्ता और संचालन क्षमता अपेक्षाकृत कमजोर मानी गई है। रैंकिंग में चीन से 5 पाइंट आगे भारत रैंकिंग में भारत का ऊपर आना एशिया के रणनीतिक संतुलन में बदलाव का संकेत है। इसमें सिर्फ विमानों की संख्या नहीं देखी जाती, बल्कि कई कारक शामिल होते हैं। इसका मतलब है कि एक देश की एयरफोर्स सिर्फ ज्यादा विमान होने से नहीं, बल्कि संतुलित बेड़ा, आधुनिक हथियार और अलग-अलग तरह की ऑपरेशन क्षमता होने से उच्च रैंक हासिल कर सकती है। यही कारण है कि भारत, चीन से कम विमानों के बावजूद तीसरी सबसे ताकतवर वायुसेना बन गया है। आशीष/ईएमएस 22 अक्टूबर 2025