अंतर्राष्ट्रीय
25-Oct-2025
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पीएम चार्नवीराकुल ने आसियान शिखर सम्मेलन का दौरा रद्द किया लंदन (ईएमएस)। थाईलैंड की राजमाता सिरिकिट का 93 वर्ष की आयु में शुक्रवार देर रात बैंकॉक में निधन हो गया। राजमाता सिरिकिट 2012 में स्ट्रोक आने के बाद से सार्वजनिक जीवन से दूर थीं और 2019 से अस्पताल में भर्ती थीं। उनके निधन की खबर आने के बाद प्रधानमंत्री अनुतिन चार्नवीराकुल ने आसियान शिखर सम्मेलन का दौरा रद्द किया और सरकार ने राजपरिवार तथा राजकर्मचारियों के लिए एक वर्ष का शोककाल घोषित किया है। राजा भूमिबोल अदुल्यादेज़, जिनके साथ उन्होंने 70 वर्षों तक शाही जीवन का नेतृत्व किया। 1960 में अमेरिका के दौरे के दौरान अपनी शालीनता और फैशन सेंस से सबका ध्यान आकर्षित किया। व्हाइट हाउस के स्टेट डिनर में थाई रेशम की ड्रेस की प्रशंसा हुई। मशहूर टाइम मैग्जीन ने उन्हें “स्लिम एंड आर्क-फेमिनिस्ट क्वीन” और फ्रांसीसी अखबार ने “रैविशिंग ब्यूटी” कहा। साल 1932 में बैंकॉक में जन्मीं सिरिकिट किटियाकर का बचपन फ्रांस में बीता, जहाँ उनके पिता राजदूत थे। उन्होंने पेरिस में संगीत और भाषा की पढ़ाई की। पेरिस में भूमिबोल अदुल्यादेज़ से मुलाकात हुई, सगाई 1949 में हुई और अगले ही वर्ष, मात्र 17 वर्ष की उम्र में, विवाह हुआ। उन्होंने फ्रांसीसी डिजाइनर पियरे बालमैन के साथ मिलकर थाई सिल्क पर आधारित आधुनिक परिधान तैयार किए, जिससे थाई रेशम उद्योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। ग्रामीण बुनकरों और कारीगरों को प्रोत्साहित कर पारंपरिक कला को पुनर्जीवन दिया। राजा के साथ दूरदराज़ इलाकों में जाकर लोगों की समस्याएं सुनीं और विकास योजनाओं की निगरानी की। 1956 में जब राजा भूमिबोल कुछ समय के लिए बौद्ध भिक्षु बने, तो सिरिकिट ने अस्थायी रूप से रीजेंट यानी राजप्रतिनिधि की भूमिका निभाई। यह जिम्मेदारी थाई परंपरा में अत्यंत सम्मानजनक मानी जाती है। उनकी करुणा, विनम्रता और देश के प्रति निष्ठा के कारण उन्हें थाई जनता ने “राजमाता” के रूप में पूजनीय स्थान दिया। 1976 में उनके जन्मदिन 12 अगस्त को थाईलैंड में मातृ दिवस घोषित किया गया, जो आज भी राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। राजमाता सिरिकिट ने अपने जीवन से यह साबित किया कि शाही गरिमा केवल मुकुट और महलों से नहीं, बल्कि सेवा, सादगी और समर्पण से परिभाषित होती है। उनके निधन से न केवल थाईलैंड, बल्कि पूरी दुनिया ने एक ऐसी रानी को खो दिया है जिसने परंपरा और आधुनिकता के बीच एक सुंदर संतुलन स्थापित किया था। आशीष दुबे / 25 अक्टूबर 2025