नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारतीय चुनाव आयोग अगले दो से तीन वर्षों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों को मजबूत करने के लिए आज एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रहा है। आयोग देशभर में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसजीपी) कार्यक्रम की घोषणा करने के लिए तैयार है। इस कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी और तारीखों के ऐलान के लिए आयोग ने आज शाम 4:15 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य देशभर की मतदाता सूचियों को सटीक, अद्यतन और विश्वसनीय बनाना है, ताकि आगामी विधानसभा और अन्य चुनावों में किसी भी तरह की त्रुटि या असमंजस की स्थिति से बचा जा सके। सूत्रों के अनुसार, विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम का पहला चरण उन पांच राज्यों में शुरू किया जाएगा, जहां 2026 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। इनमें असम, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। आयोग की योजना में अगले दो से तीन वर्षों में होने वाले विधानसभा चुनावों वाले 10 से 15 राज्यों को इस प्रक्रिया में शामिल करने की बात कही गई है। जिन राज्यों में निकाय चुनाव होने हैं, वहां यह पुनरीक्षण कार्यक्रम निकाय चुनावों के बाद ही शुरू होगा। इसका कारण यह है कि चुनावी ड्यूटी में व्यस्त सरकारी कर्मचारी और अधिकारी इस कार्य को पूर्ण समर्पण और समय के साथ पूरा कर सकें। विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम का प्रमुख लक्ष्य मतदाता सूचियों को पूरी तरह अद्यतन और त्रुटि-मुक्त करना है। इसके लिए बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) घर-घर जाकर सर्वेक्षण करेंगे। इस प्रक्रिया में मृत मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जाएंगे, नए पात्र मतदाताओं का पंजीकरण किया जाएगा और डुप्लीकेट प्रविष्टियों को हटाया जाएगा। साथ ही, उन मतदाताओं की जानकारी भी अपडेट की जाएगी, जो किसी अन्य क्षेत्र या राज्य में स्थानांतरित हो चुके हैं। बीएलओ मतदाता सूची में दर्ज नाम, ईपिक नंबर, पता और मोबाइल नंबर जैसी जानकारियों का सत्यापन करेंगे। इस प्रक्रिया के पूरा होने पर एक नई, शुद्ध और विश्वसनीय मतदाता सूची तैयार की जाएगी, जिसके आधार पर आगामी चुनावों में मतदान होगा। चुनाव आयोग ने इस कार्यक्रम को अंतिम रूप देने से पहले सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों के साथ कई दौर की बैठकें की हैं। इन बैठकों में राज्यों की तैयारियों, तकनीकी ढांचे और डेटा अपडेशन की स्थिति पर विस्तृत चर्चा हुई। आयोग ने सभी राज्यों को निर्देश दिए हैं कि वे पिछली पुनरीक्षण प्रक्रिया के तहत तैयार की गई अंतिम मतदाता सूचियों को अपनी आधिकारिक वेबसाइटों पर सार्वजनिक करें। कई राज्यों ने इस दिशा में कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली की 2008 की मतदाता सूची और उत्तराखंड की 2006 की मतदाता सूची पहले से ही ऑनलाइन उपलब्ध हैं। वहीं, बिहार ने हाल ही में अपनी अद्यतन मतदाता सूची को वेबसाइट पर अपलोड किया है। चुनाव आयोग का मानना है कि विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम मतदाता सूचियों को न केवल अधिक पारदर्शी बनाएगा, बल्कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जनता के विश्वास को और मजबूत करेगा। यह कदम आगामी चुनावों की निष्पक्षता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। इस कार्यक्रम के जरिए आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि मतदाता सूची में किसी भी तरह की त्रुटि या अनियमितता न रहे, जिससे चुनाव प्रक्रिया और अधिक सुगम और विश्वसनीय हो सके। वीरेंद्र/ईएमएस/27अक्टूबर2025