इजरायल ने तुर्की के इस फोर्स में शामिल होने पर आपत्ति जाहिर की कराची (ईएमएस)। फिलिस्तीन (गाजा) में सैनिक भेजने की पाकिस्तान की योजना इंटरनेशनल स्टैबिलाइजेशन फोर्स (आईएफएस) का हिस्सा बनने की है। पाकिस्तान सरकार चाहती है कि उसकी सेना गाजा स्टेबिलाइजेशन फोर्स का हिस्सा बने। इस फोर्स में ज्यादातर सैनिक मुस्लिम बहुल देशों के सैनिक है। इस फोर्स की जिम्मेदारी: आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखना, यह सुनिश्चित करना कि हमास निरस्त्र हो, बॉर्डर क्रॉसिंग की सुरक्षा करना, मानवीय सहायता को लोगों तक पहुंचाना, गाजा में इमारतों के पुनर्निर्माण की निगरानी करना। अमेरिकी प्रशासन की सलाह पर इस फोर्स में इंडोनेशिया, यूएई (संयुक्त अरब अमीरात), मिस्र, कतर, तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों की सेनाएं शामिल हो सकती हैं। इंडोनेशिया, पाकिस्तान और अजरबैजान को आईएफएस में मुख्य योगदानकर्ता माना जा रहा है। इंडोनेशिया ने सार्वजनिक रूप से 20,000 सैनिक भेजने की पेशकश की है। वहीं इजरायल ने तुर्की के इस फोर्स में शामिल होने पर आपत्ति जताकर कहा है कि वह तय करेगा कि किन देशों को गाजा में जाने की अनुमति मिलेगी। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने तुर्की के सुरक्षा बलों की भूमिका का विरोध करने की बात भी कही थी। इजरायल की मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, नेतन्याहू प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि पाकिस्तानी सेना गाजा में केवल शांति व्यवस्था कायम करेगी और किसी भी संघर्ष में हिस्सा नहीं लेगी। माना जा रहा है कि पाकिस्तान इस कदम से इस्लामिक दुनिया में खुद को एक मजबूत देश के तौर पर स्थापित करना चाहता है। पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर इस पहल में रुचि ले रहे हैं। वर्तमान में पाकिस्तान सरकार और सेना के बीच मामले पर विचार-विमर्श चल रहा है, और सरकार के इसमें भाग लेने के पक्ष में होने के संकेत मिले हैं। यह इंटरनेशनल स्टैबिलाइजेशन फोर्स अमेरिकी मध्यस्थता वाले गाजा शांति समझौते का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आशीष/ईएमएस 29 अक्टूबर 2025