लेख
29-Oct-2025
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इतिहास का दूसरा सबसे लंबा शटडाउन अमेरिका का जॉब मार्केट इस समय अनोखे दौर से गुजर रहा है। “ग्रेट फ्रीज़” की यह स्थिति जिसमें कंपनियां ना तो कर्मचारियों को उचित वेतन दे रहें, न निकाल रही हैं और ना ही नए कर्मचारियों को रख रही हैं। इस असमंजस की स्थिति का असर बेहद गहरा है। खासकर आईटी सेक्टर के प्रोफेशनल्स उसमें भी सबसे ज्यादा भारतीयों की है। कोरोना महामारी के बाद जब टेक इंडस्ट्री में तेज़ी आई थी, तब लोगों को लगा था, कि आने वाले समय में अवसरों की बाढ़ आ जाएगी। लेकिन 2026 आते-आते तक हालात बड़ी तेजी से बदल गए हैं। अब अमेरिका की आईटी कंपनियां “वेट एंड वॉच” मोड में आ गई हैं। किसी भी नई भर्ती के निर्णय से पहले ग्लोबल अनिश्चितताओं और एआई से आने वाले खतरों से निपटने का इंतजार कर रही हैं। टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में यह परिवर्तन सबसे ज्यादा झटका दे रहा है। एआई के बढ़ते इस्तेमाल, ऑटोमेशन और बदलते बिजनेस मॉडल्स ने पारंपरिक आईटी की नौकरियों को जोखिम में डाल दिया है। कई कंपनियां मुनाफा कमा रही हैं। उसके बाद भी वह प्रोफेशनल को काम नहीं दे रही हैं। अपने हेडकाउंट को नहीं बढ़ा रहीं हैं। जिप रिक्रूटर की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में जॉब छोड़ने वालों की संख्या 2023 के मुकाबले आधी रह गई है। कंपनियों के कर्मचारी अब अपनी नौकरी छोड़ने से डर रहे हैं। अमेरिका में इसको “जॉब हगिंग” कहा जा रहा है। नौकरी बचाए रखना ही अब कर्मचारियों की प्राथमिकता है। कर्मचारियों को कंपनियों में कोई ग्रोथ नहीं मिल रही है, इसके बाद भी वे टिके हुए हैं। भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स के लिए यह स्थिति और मुश्किल भरी है। एच-1बी वीजा धारकों को अब नई नौकरियां नहीं मिल रही हैं। कंपनियां स्थानीय नागरिकों को प्राथमिकता दे रही हैं, ताकि वीजा प्रक्रिया की झंझट से बचा जा सके। वर्तमान स्थिति के परिणाम स्वरूप कई भारतीय विशेषज्ञों को या तो कम वेतन वाली नौकरियां करनी पड़ रही हैं, या ऐसी नौकरी करना पड़ रही हैं, जो उनके अनुरूप नहीं हैं। इस संकट से निपटने के लिए बड़ी संख्या में आईटी प्रोफेशनल्स एआई, मशीन लर्निंग या साइबर सिक्योरिटी जैसी नई तकनीकी का प्रशिक्षण लेकर अपनी स्किल्स बढ़ा रहे हैं। अमेरिका में भारतीय प्रवासियों के लिए यह समय “ब्रेन रेन” को “ब्रेन गेन” में बदलने का अवसर बन सकता है। अमेरिका से वापस लौटने की संभावना भी बढ़ती चली जा रही है। ऐसी स्थिति में भारत सरकार और इंडस्ट्री को मिलकर लौटने वाले कुशल आईटी विशेषज्ञों को अवसर देने के लिए नई योजना बनाना जरूरी हो गया है। इस अवसर का लाभ भारत टेक सेक्टर में अपने आपको मजबूत बना सकता है। अमेरिका में शटडाउन चल रहा है। यह दूसरा सबसे बड़ा शट डाउन माना जा रहा है। अमेरिका की सेना दान के भरोसे काम कर रही है। 8,5 लाख कर्मचारी बिना वेतन के काम कर रहे हैं। अमेरिका की सरकार को हर सप्ताह लगभग 13 लाख करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति पर अब अमेरिका के ऊपर ज्यादा भरोसा करना सबसे बड़ा कष्ट का कारण बन सकता है। अमेरिका सहित दुनिया के सभी देशों के आईटी सेक्टर में स्थिरता आएगी यह सोचना व्यर्थ है। जिस तरह से आई का प्रभाव आईटी सेक्टर में बड़ी तेजी के साथ बढ़ रहा है उसके बाद इस सेक्टर में रोजगार की संभावनाएं देखना आंख बंद करके देखने जैसा है। जिस तरह के आर्थिक हालात दुनिया के सभी देशों में देखने को मिल रहे हैं, जिस तरह से एआई का प्रभाव बढ़ रहा है, रोजगार के अवसर बढ़ाने के स्थान पर कम होते चले जा रहे हैं। मानवीय श्रम का स्थान अब मशीन और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लेते जा रहे हैं। भविष्य में जिस तरह से आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन होते हुए दिख रहे हैं, उसमें लोगों को इस बदलाव के साथ जुड़ना जरूरी है। यदि बदलाव नहीं आया तो आने वाला समय विशेष रूप से प्रोफेशनल्स के लिए सबसे ज्यादा खराब समय साबित हो सकता है। तकनीकी के इस युग में अब तकनीकी के साथ कदम ताल करने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया है। अमेरिका जैसे देश की जब यह हालत है तो आगे क्या होगा, इसे आसानी के साथ समझा जा सकता है। एसजे/ 29 अक्टूबर/2025