नई दिल्ली (ईएमएस)। दिल्ली दंगों केस में आरोपी उमर खालिद ने कोर्ट में दिल्ली पुलिस की सीक्रेट मीटिंग थ्योरी को खारिज करते हुए कहा कि वे सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध की खुली चर्चाएं थीं। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट एक्टिविस्ट उमर खालिद ने मंगलवार को दिल्ली कोर्ट में दिल्ली पुलिस की साजिश की सीक्रेट मीटिंग्स वाली थ्योरी को सिरे से खारिज कर दिया। खालिद ने कहा ये मीटिंग्स कोई छिपी साजिश नहीं थीं, बल्कि सीएए बिल के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध की खुली चर्चाएं थीं। वो 2020 के उत्तर-पूर्व दिल्ली दंगों के कथित बड़े षड्यंत्र मामले में जेल में बंद हैं और चार्ज फ्रेमिंग की बहस चल रही है। ये दलीलें ठीक एक दिन बाद आईं, जब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को खालिद, शरजील इमाम और अन्य आरोपियों की जमानत अर्जियों पर जवाब न देने के लिए लताड़ लगाई। एडिशनल सेशंस जज समीर बाजपेयी की कोर्ट में खालिद की तरफ से सीनियर एडवोकेट त्रिदीप पैस ने पुलिस की कहानी को आईना दिखाया। पैस ने तंज कसते हुए कहा, पुलिस कहती है 21-23 जनवरी को सीक्रेट मीटिंग्स हुईं। लेकिन एक प्रोटेक्टेड गवाह सिएरा की बात से ही विरोधाभास है – मीटिंग की तस्वीरें तो एक शख्स के फेसबुक प्रोफाइल पर अपलोड हो चुकी हैं। खालिद और को-एक्यूज्ड गुलफिशा फातिमा साफ दिख रही हैं। फिर ये सीक्रेट कैसे हुई? ये मीटिंग्स कई लोगों की थीं, जहां सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रोटेस्ट पर ओपन डिस्कशन हुआ। पुलिस चार्जशीट में खालिद को हिंसा का खामोश सरगना बताया गया है, लेकिन पैस ने हंसते हुए पूछा, वो भाषण में खुलेआम हिंसा की निंदा कर रहे थे, गवाहों के सामने बोल रहे थे – फिर साइलेंट व्हिस्पर कैसे? एक गवाह ने दावा किया कि खालिद और गुलफिशा ने महिलाओं को हथियार और एसिड बॉटल्स के लिए उकसाया, लेकिन पैस बोले, बस भड़काऊ शब्द इस्तेमाल किया, स्पीच का कोई डिटेल नहीं है और खालिद का नाम तो किसी मर्डर या तोड़फोड़ वाली एफआईआर में भी नहीं है। अजीत झा/देवेन्द्र/नई दिल्ली/ ईएमएस/29/अक्टूबर/2025