कोरबा (ईएमएस) बालको में काम कर रहे हजारों स्थायी और अस्थायी मजदूरों के अधिकार को कमजोर करने और उनकी स्थायीकरण की प्रक्रिया को रोकने के लिए बालको प्रबंधन द्वारा दस्तावेज़ों में फर्जीवाड़ा किए जाने का मामला अब गंभीर रूप ले चुका है। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कोरबा (श्रीमती डॉली ध्रुव) ने बालको प्रबंधन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज करने का आदेश दिया है। साथ ही बालको प्रबंधन के प्रतिनिधि प्रतीक जैन को न्यायालय में उपस्थित होने का नोटिस जारी किया गया है। जानकारी के अनुसार साल 2017-18 के वेतन समझौते के अनुसार ठेका श्रमिकों को वेतन वृद्धि और पदोन्नति दिया जाना था। लेकिन ठेकेदार और प्रबंधन इन अधिकारों को देने से लगातार बचते रहे।इसी न्याय के लिए बालको कर्मचारी संघ ने 13 अप्रैल 2022 से परसाभांठा गेट पर शांतिपूर्ण आंदोलन शुरू किया। आरोप हैं की बालको प्रबंधन ने उक्त आंदोलन को रोकने के लिए फर्जी कागज़ पेश किए। बालको प्रबंधन ने श्रम न्यायालय, कोरबा में जाकर कहा कि यह हड़ताल अवैध है। आरोप लगाते हुए बताया जा रहा हैं की प्रबंधन ने पंजीकृत स्थायी आदेश की एक ऐसी नकली प्रति पेश की। असली आदेश में 6 महीने काम करने वाले अस्थायी मजदूर को स्थायी माना जाता है। इस प्रावधान को हटा दिया गया और उसके स्थान पर फर्जी तरीके से दूसरा परिभाषा दर्ज कर दिया गया। बताया जा रहा हैं की जब प्रबंधन द्वारा दी गई दस्तावेज़ों की प्रति को संघ के अधिवक्ता ने असली पंजीकृत स्थायी आदेश से मिलाया, तो तत्काल पता चला कि दस्तावेज़ कूटरचित (फर्जी) हैं। मामला श्रम न्यायालय में रखा गया। श्रम न्यायालय ने 06 मई 2022 को आदेश देते हुए कहा की “प्रबंधन द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत स्थायी आदेश असली नहीं है। इसके प्रावधानों में बदलाव किया गया है। ऐसा दोबारा न हो, प्रबंधन को सख्त चेतावनी दी गई।” पुलिस कार्रवाई नहीं होने पर मजदूरों को मजबूर होकर न्यायालय जाना पड़ा। बालको कर्मचारी संघ ने थाना बालको और पुलिस अधीक्षक, कोरबा को दस्तावेज सहित लिखित शिकायत दी। लेकिन किसी भी स्तर पर कार्रवाई नहीं हुई। फलस्वरूप संघ को अपने अधिवक्ता के माध्यम से धारा 200 CrPC के तहत न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करना पड़ा। न्यायालय में थाना बालको से जांच प्रतिवेदन लिया गया। न्यायालय में परिवादी और उनके गवाहों का बयान दर्ज किया गया। दस्तावेज़ों की जाँच हुई, श्रम न्यायालय के आदेश की प्रति पेश की गई, सभी प्रमाण एक समान बात कह रहे थे की “दस्तावेज़ फर्जी थे और मजदूरों का नुकसान करने की कोशिश की गई।” माननीय न्यायालय ने अधिवक्ता का तर्क सुनने के बाद और प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर कहा कि यह मामला साधारण नहीं है, यह धोखाधड़ी, छल, और मजदूरों के कानूनी अधिकारों का हनन है। इसीलिए न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए बालको प्रबंधन के खिलाफ धारा 420 धोखाधड़ी, 467 महत्वपूर्ण दस्तावेज़ की कूटरचना, 468 धोखाधड़ी हेतु कूटरचना, 471 फर्जी दस्तावेज़ का उपयोग में मामला दर्ज किया। 01 नवंबर / मित्तल