अंतर्राष्ट्रीय
03-Nov-2025


वाशिंगटन (ईएमएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एशिया के तीन देशों (दक्षिण कोरिया, जापान, और चीन) की यात्रा के दौरान अपने सहयोगी देशों के प्रति एक दोस्ताना और भरोसेमंद रुख अपनाया। यह दौरा महीनों तक टैरिफ बढ़ाने की धमकियों और रक्षा खर्च पर दबाव के विपरीत था, जिससे एशियाई देशों को अमेरिका के साथ खड़े होने का आश्वासन मिला। दक्षिण कोरिया में ट्रंप ने अमेरिका के गहराई से जुड़ाव का भरोसा दिया। 350 अरब डालर के निवेश पर चिंताओं पर चर्चा की गई और 20 अरब डालर की वार्षिक निवेश सीमा पर सहमति बनी, जिससे विदेशी मुद्रा बाजार पर असर न पड़े। परमाणु-संचालित पनडुब्बियों की मांग को मंजूरी दी गई। दोनों देशों ने एक नए व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए। वहीं जापान में नई प्रधानमंत्री साने ताकाइची से मुलाकात में ट्रंप ने उन्हें किसी भी मदद के लिए संपर्क करने को कहा। दोनों नेताओं ने अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर का दौरा किया। इस दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ शिखर बैठक में ताइवान को लेकर अमेरिकी प्रतिबद्धता में कोई कमी नहीं आने दी। दोनों देशों ने व्यापारिक तनाव के बीच एक साल के लिए टैरिफ विवाद में संघर्ष विराम पर सहमति जताई। ट्रंप अप्रैल में शी जिनपिंग के निमंत्रण पर चीन की यात्रा पर जाएंगे। अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने चीन की नौसैनिक गतिविधियों पर चिंता जताकर भारत के साथ 10 साल की रक्षा साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए। अमेरिका ने कम्बोडिया, मलेशिया, थाईलैंड और वियतनाम के साथ नए व्यापारिक समझौते किए। ट्रंप ने अपने दौरे के दौरान सख्त छवि छोड़कर विनम्रता और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लिया। मलेशिया में पारंपरिक नृत्य में हिस्सा लिया और झंडे लहराए। मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने ट्रंप से बातचीत के बाद कहा, “यह उम्मीद से कहीं बेहतर रहा – भरोसा, मित्रता और रिश्तों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता।” ट्रंप ने दक्षिण कोरिया में कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी से भी सौहार्दपूर्ण बातचीत की। विशेषज्ञों का कहना है कि यह दौरा पूर्ण क्षेत्रीय जुड़ाव की श्रेणी में नहीं आता क्योंकि चीन की तुलना में ट्रंप की भागीदारी सीमित रही। ट्रंप ने दो अहम क्षेत्रीय शिखर सम्मेलनों के कुछ सत्रों में हिस्सा नहीं लिया और मलेशिया व दक्षिण कोरिया से एपीईसी नेताओं के सत्रों से पहले ही रवाना हो गए, जबकि शी जिनपिंग उन सत्रों में मौजूद रहे। एशिया-प्रशांत के देशों को अब भी ट्रंप की नीतियों की अनिश्चितता और अमेरिकी बाजार तक महंगे पहुंच की हकीकत से जूझना होगा। इस बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी अपने कूटनीतिक कदम बढ़ाए: 11 साल बाद दक्षिण कोरिया का दौरा किया और 2017 के बाद पहली बार किसी कनाडाई नेता से मुलाकात की। जापान की नई प्रधानमंत्री से भी मिले। उन्होंने स्थिर आपूर्ति श्रृंखला और क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण पर जोर दिया। आशीष/ईएमएस 03 नवंबर 2025