अंतर्राष्ट्रीय
03-Nov-2025
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बर्लिन(ईएमएस)। युद्ध का स्वरूप अब बदल चुका है। बंदूकों और मिसाइलों के युग में लेजर हथियारों की दस्तक हो गई है। जर्मनी ने दुनिया को साबित कर दिया कि भविष्य की जंग बिजली की गति से लड़ी जाएगी। राइनमेटाल एजी और एमबीडीए डयूटेकलैंड ने संयुक्त रूप से एक फ्लोटिंग लेजर वेपन सिस्टम विकसित किया है, जो हवा में उड़ते ड्रोनों और मिसाइलों को पलक झपकते पिघला देता है। यह हाई-एनर्जी लेजर सिस्टम पूरी तरह मॉड्यूलर और कंटेनर-आधारित है। इसे जहाज के डेक या जमीन पर आसानी से स्थापित किया जा सकता है। खासतौर पर ड्रोन, ड्रोन स्वॉर्म्स और छोटे हमलावर जहाजों को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जर्मन नेवी के फ्रिगेट एफजीएस एफ219 पर समुद्र में 100 से अधिक टेस्ट फायरिंग्स हुईं, जिनमें सिस्टम ने हाई-स्पीड ड्रोनों को सेकंडों में नष्ट कर दिखाया। यह टारगेट पर फोकस कर गर्मी से उसे पिघलाता है, बिना किसी ध्वनि या विस्फोट के। सबसे बड़ी खूबी इसका कम खर्च है – पारंपरिक मिसाइलों से कई गुना सस्ता, रखरखाव आसान और फायरिंग तत्काल। हर शॉट की लागत नगण्य, बारूद या ईंधन की जरूरत नहीं। 2019 से दोनों कंपनियां इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं। एमबीडीए जर्मनी ने टारगेट ट्रैकिंग और नेवी कमांड इंटीग्रेशन संभाला, जबकि राइनमेटाल ने बीम गाइडेंस व लेजर सोर्स टेक्नोलॉजी तैयार की। डिज़ाइन एंड मेड इन जर्मनी टैग अब यूरोप की नई रक्षा रणनीति का प्रतीक है। सिस्टम जर्मन फेडरल डिफेंस टेक्नोलॉजी एंड प्रोक्योरमेंट ऑफिस को सौंप दिया गया है। परीक्षण जारी रहेंगे और 2029 तक जर्मन नेवी में पूरी तरह ऑपरेशनल हो जाएगा। भविष्य में अपग्रेड कर सुपरसोनिक मिसाइलें, रॉकेट और तोप के गोले नष्ट करने की क्षमता जोड़ी जाएगी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शांतिवादी छवि वाला जर्मनी अब डिफेंस को आधुनिक बना रहा है। 2024 में रक्षा बजट 88.5 अरब डॉलर पहुंचा, जो इसे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रक्षा खर्च वाला देश बनाता है। राइनमेटाल की बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर, मुख्यतः डिफेंस सेक्टर से। वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले दशक में लेजर हथियार ड्रोन-मिसाइल डिफेंस का सबसे सस्ता, भरोसेमंद समाधान साबित होंगे। यह कम लागत में अधिक तबाही का प्रतीक है, जो युद्धक्षेत्र को हमेशा के लिए बदल देगा। वीरेंद्र/ईएमएस 03 नवंबर 2025