बीजिंग,(ईएमएस)। दक्षिण कोरिया के बुसान में हुए अमेरिका-चीन शिखर सम्मेलन के दौरान ली गई इन तस्वीरों को व्हाइट हाउस ने अपनी वेबसाइट पर डाला है। लेकिन ये तस्वीर चीनी सोशल मीडिया से पूरी तरह गायब है। इन तस्वीरों में चीनी राष्ट्रपति शी जिनिपंग और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आमने-सामने बैठे बातचीत कर रहे हैं और माहौल बेहद हल्का दिख रहा है। खास बात ये है कि जिनपिंग की तस्वीर मुस्कुराते हुए है इसलिए इस पर चर्चा हो रही है। वजह ये है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को हंसते हुए देखना बेहद दुर्लभ होता है। उन्हें गंभीर और सख्त चेहरे वाले नेता के रूप में जाना जाता है। लेकिन इस बार उनकी कुछ नई तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें वह हंसते और मुस्कुराते दिखाई दे रहे हैं। ये तस्वीरें किसी चीनी मीडिया ने नहीं, बल्कि अमेरिका के व्हाइट हाउस ने जारी की हैं। एक तस्वीर में शी जिनपिंग मुस्कुराते हुए दिखते हैं, फिर हंसी रोक नहीं पाते जब ट्रंप उन्हें एक कागज दिखाते हैं। यह साफ नहीं है कि उस कागज पर क्या था, लेकिन शी की वह खिलखिलाहट हर किसी का ध्यान खींच रही है। ये तस्वीरें चीन के भीतर खास नहीं दिख रहीं क्योंकि वहां के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे वीबो पर इनका कोई अता-पता नहीं है। दरअसल, चीन में नेताओं की सार्वजनिक छवि पर सख्त नियंत्रण रखा जाता है। शी जिनपिंग खुद भी अपने ‘गंभीर नेता’ के व्यक्तित्व को लेकर बेहद सतर्क रहते हैं। शी को इस तरह हंसते हुए देखना इसलिए भी दुर्लभ है क्योंकि वह आम तौर पर गंभीर मुद्रा में भाषण देते या कार्यक्रमों में दिखाई देते हैं। हाल ही में जब उन्होंने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की परेड में हिस्सा लिया तो माओ जेडॉन्ग की शैली वाला सूट पहनकर अत्यंत गंभीर अंदाज में उपस्थित रहे। हालांकि, ट्रंप के बाद भी शी जिनपिंग को हंसते हुए देखा गया था। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे-म्यॉन्ग के साथ उपहारों के आदान-प्रदान में भी ऐसा ही मौका आया था। दरअसल शी ने दो फोन गिफ्ट किए थे। इसके बाद उन्होंने मजाक में कहा, ‘आप देख सकते हैं कि फोन में कोई बैकडोर तो नहीं है।’ यह सुनकर वहां मौजूद सभी लोग हंस पड़े। यह मजाक चीन पर लगे साइबर जासूसी के आरोपों पर एक हल्का कटाक्ष था। जानकार कहते हैं कि चीन में शी की छवि पर इतना नियंत्रण है कि लोग उनके बालों के रंग या चेहरे के भाव में भी राजनीतिक संकेत ढूंढने लगते हैं। यही वजह है कि शी की मुस्कुराती तस्वीरें चीन के इंटरनेट पर लगभग नदारद रहती हैं। शी जिनपिंग ने 2017 में अपनी विचारधारा ‘शी जिनपिंग थॉट’ को चीन के संविधान और स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल करवाया था। इससे वह माओ और देंग शियाओपिंग की तरह चीन की राजनीति के इतिहास में स्थायी नाम बन चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि 2013 में जब शी पहली बार अमेरिका गए थे तो इंटरनेट पर उनकी तुलना ‘विनी द पूह’ से की जाने लगी थी, जिसके बाद चीन ने इस किरदार और उस पर बनी फिल्मों पर पाबंदी लगा दी। वीरेंद्र/ईएमएस/06नवंबर2025