क्षेत्रीय
07-Nov-2025
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- ‘शून्य पर मामला’ दर्ज कर किया “नमस्ते”, अब उठे गंभीर सवाल सोशल मीडिया बना हथियार — “प्रचंड प्रहार” पेज सहित असामाजिक तत्वों ने पीड़िता की प्रतिष्ठा से खेला, जांच की मांग तेज घटना की पृष्ठभूमि सिंगरौली (ई एम एस ) सिंगरौली की रहने वाली गौतमी दुबे, जिनका नाम पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया पर चर्चा में रहा, ने लगातार चल रहे चरित्र हनन, भ्रामक ऑडियो-वीडियो प्रसारण और सामाजिक अपमान से आहत होकर आत्मघाती कदम उठाया। मिली जानकारी के अनुसार, यह पूरा विवाद “प्रचंड प्रहार” नामक फेसबुक पेज पर प्रसारित एक आपत्तिजनक ऑडियो से शुरू हुआ था, जिसे लेकर स्थानीय स्तर पर भारी आक्रोश देखा गया। पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल फसाद की शुरुआत सिंगरौली से हुई, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से पुलिस ने इस गंभीर मामले को “शून्य पर मामला कायम कर नमस्ते” कर दिया। सूत्रों के अनुसार, यदि पुलिस ने समय रहते ठोस कदम उठाया होता, तो गौतमी दुबे को यह आत्मघाती कदम उठाने की नौबत नहीं आती। स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि पुलिस ने न तो समय पर एफआईआर दर्ज की, न ही सोशल मीडिया पर चल रहे भ्रामक कंटेंट को रोकने की कोशिश की। अब सवाल यह उठ रहा है कि — क्या पुलिस किसी दबाव में थी? क्या अपराधियों को बचाने की कोशिश हुई? या फिर यह लापरवाही जानबूझकर की गई गौतमी दुबे का गंभीर आरोप — “सोशल मीडिया को बनाया गया हथियार गौतमी दुबे ने अपने बयान में कहा है कि कुछ लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल उन्हें बदनाम करने और उनकी प्रतिष्ठा नष्ट करने के लिए कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया — प्रचंड प्रहार फेसबुक अकाउंट के साथ-साथ कुछ अन्य असामाजिक तत्व एकतरफा खबरें और झूठी बातें प्रसारित कर रहे हैं। ये सब मिलकर मेरी छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। मैं चाहती हूं कि इन सभी को भी जांच के दायरे में शामिल किया जाए।” गौतमी दुबे का कहना है कि यह केवल सोशल मीडिया की गलत रिपोर्टिंग नहीं, बल्कि सुनियोजित सामाजिक और मानसिक उत्पीड़न का मामला है। कानूनी पक्ष कानूनी जानकारों के अनुसार, यह प्रकरण भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 79 (सोशल मीडिया पर आपराधिक प्रसारण) और धारा 3(5) (मानसिक उत्पीड़न और आत्मघाती प्रवृत्ति के उकसावे) के अंतर्गत आता है। साथ ही आईटी एक्ट 2000 की धाराओं के तहत भी यह साइबर अपराध की श्रेणी में आता है। इसके बावजूद, अब तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि पुलिस ने शुरुआत में ही आवश्यक कानूनी कार्रवाई की होती, तो अपराधी आज सलाखों के पीछे होते। सामाजिक संगठनों और नागरिक समाज की प्रतिक्रिया महिला संगठनों और स्थानीय सामाजिक समूहों ने सिंगरौली पुलिस की भूमिका पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा यह केवल एक महिला की मान-सम्मान की लड़ाई नहीं, बल्कि उस सिस्टम की भी परीक्षा है जो सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर आंख मूंदे बैठा है। पुलिस को तत्काल प्रभाव से निष्पक्ष जांच करनी चाहिए और दोषियों को सख्त सजा दिलानी चाहिए जनता में आक्रोश और न्याय की मांग सोशल मीडिया पर JusticeForGautamiट्रेंड कर रहा है। लोग सिंगरौली पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठा रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि डिजिटल माध्यम अब सत्य की जगह “चरित्र हनन” का सबसे आसान हथियार बनता जा रहा है — और यदि प्रशासन समय रहते कदम नहीं उठाता, तो ऐसी घटनाएं समाज के लिए गंभीर खतरा साबित होंगी। वर्तमान स्थिति गौतमी दुबे का उपचार जारी है। वह जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रही हैं। परिवारजन और समर्थक न्याय की उम्मीद में हैं, जबकि सिंगरौली पुलिस की चुप्पी अब एक बड़ी पहेली बन चुकी है। यह मामला सिर्फ एक आत्महत्या प्रयास नहीं, बल्कि उस तंत्र की संवेदनहीनता का प्रतीक है — जहां सोशल मीडिया पर झूठी कहानियाँ गढ़ी जाती हैं, प्रतिष्ठा की हत्या होती है, और पुलिस कार्रवाई की जगह “शून्य पर मामला दर्ज कर नमस्ते” करती है। अब पूरा जिला यही पूछ रहा है — क्या इस बार न्याय वाकई मिलेगा, या फिर यह मामला भी फाइलों में दफ्न रह जाएग आर.एन. पाण्डेय | सिंगरौली