केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर 18 फ़ीसदी जीएसटी को खत्म कर दिया है। केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय ने दावा किया था, कि इससे स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के प्रीमियम में 18 फ़ीसदी की राहत लोगों को मिलेगी। केंद्र सरकार ने इसका उत्सव भी मनाया। इसके विपरीत हाल ही में जो सच देखने को मिल रहा है, उसने आम लोगों को झकझोर कर रख दिया है। अधिकांश बीमा कंपनियों ने पॉलिसी का प्रीमियम बढ़ा दिया है। बीमा प्रीमियम 18 फ़ीसदी से ज्यादा बढाकर, पॉलिसी होल्डर के घाव में नमक छिड़कने का काम बीमा कंपनियों ने किया है। जिस तरह की सूचना प्राप्त हो रही है उसमें विभिन्न बीमा कंपनियों द्वारा 10 फ़ीसदी से लेकर 37 फ़ीसदी तक की प्रीमियम में वृद्धि की गई है। वाहन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई है। स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का जो प्रीमियम पिछले साल 30107 रुपए था, उसमें 18 प्रतिशत जीएसटी 4592 रुपया घटने के बाद भी बीमा कंपनियों द्वारा नए साल की पालिसी में 34899 रुपया वसूल किया जा रहा है। यह वृद्धि लगभग 36.78 फ़ीसद की है। बीमा कंपनियां इस तरह की वृद्धि को जायज ठहरा रही हैं। बीमा कंपनियों का कहना है, प्रीमियम में वृद्धि बीमा नियामक संस्था इरडा के दिशा निर्देश पर की गई है। बीमा कंपनियां महंगी चिकित्सा, बाजार की प्रवृत्तियां, सेवा लागत में वृद्धि को कारण बता रही हैं। बीते वर्ष की तुलना में महंगाई बढी है इसका उल्लेख करते हुए प्रीमियम वृद्धि को जायज ठहरा रही हैं। इसका अर्थ तो यही हुआ, कि सरकार बोलती कुछ है, होता कुछ और है। सरकार ने भी मार्केटिंग की ट्रिक सीख ली है। कंपनियां जिस तरह शर्तों के साथ विज्ञापन प्रदर्शित करती हैं, और जब उसका वास्तविक स्वरूप सामने आता है तब सही स्थिति का एहसास होता है। सरकार ने बीमा पॉलिसी में जीएसटी घटाने को लेकर खूब वाह-वाही लूटी जनता को भी लगा कि उसे बड़ा फायदा होगा, लेकिन जब सच्चाई सामने आई तब आम आदमी को बड़ा झटका लगा है। पिछले एक दशक से भारत सरकार पूंजी पतियों के हित तके नीति बना रही है। आम आदमी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। पिछले एक दशक में सरकार ने जीएसटी के माध्यम से सभी सेवाओं और सभी वस्तुओं को टैक्स के दायरे में लाकर भारी टैक्स आम आदमी से वसूल किया जा रहा है। आम आदमी अपनी जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पा रहा है। वाहन और स्वास्थ्य बीमा के रूप में प्रत्येक परिवार को भारी राशि खर्च करनी पड़ रही है। जब सरकार आम नागरिकों को इस तरीके से ठगने लगे तो फिर जनता किस पर भरोसा करे सरकार ने कुछ चीजों में जीएसटी की दरों को घटाने का दावा किया था, लेकिन अब जो देखने में आ रहा है किसी भी चीज में कोई दामों में कमी नहीं आई है, उल्टे पहले की तुलना में ज्यादा पैसा लोगों को खर्च करना पड़ रहा है। सरकार के प्रति अब लोगों की नाराजी स्पष्ट रूप से दिखने लगी है। सरकार कहती कुछ और है और करती कुछ और है। आम जनता को यह समझ में आ गया है, कि उससे टैक्स, पेट्रोल-डीजल की कीमतों इत्यादि पर भारी टैक्स वसूल किया जा रहा है। सरकारी खजाने में जमा रकम को बड़े-बड़े पूंजीपतियों को विभिन्न योजनाओं के द्वारा बांटा जा रहा है। किसानो और गरीबों के लिए सरकार के खजाने में पैसा नहीं होता है। इसको लेकर जनता अब विद्रोही होती चली जा रही है। वह खुलकर सड़कों पर आकर अपनी बात कहने लगी है। समय रहते सरकार को इस पर विचार करना होगा। आम नागरिकों के मन में सरकार की वह छवि नहीं रही जो अच्छे दिनों और महंगाई कम करने के नाम पर दिखाई गई थी। ईएमएस / 07 नवम्बर 25