ज़रा हटके
10-Nov-2025
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-कई बौद्ध और ताओवादी मंदिरों में अब डिजिटल दान प्रणाली लागू बीजिंग,(ईएमएस)। हर दिन सोशल मीडिया पर कभी मजेदार वीडियो, तो कभी अजीब परंपरा या रिवाज के वीडियो वायरल होते रहते हैं। हाल ही में चीन से जुड़ा एक वीडियो इंटरनेट पर छया हुआ है, जिसमें एक शख्स मंदिर में भगवान की मूर्ति के पास जाकर अपने मोबाइल से टच करता दिख रहा है। वीडियो देखने वालों को पहले तो लगा कि शायद वह भगवान से ऑनलाइन पैसे मांग रहा हैं या मूर्ति से मोबाइल चार्ज कर रहा है, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग और दिलचस्प है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन में यह एक आम धार्मिक प्रथा बन चुकी है, जो आधुनिक तकनीक और परंपरा का अनोखा मेल दिखाती है। चीन के कई बौद्ध और ताओवादी मंदिरों में अब डिजिटल दान प्रणाली लागू की गई है। मूर्तियों या मंदिर के दान-पात्रों के पास क्यूआर कोड लगाए गए हैं। भक्त इन कोड्स को अपने फोन से स्कैन करके मंदिर या ट्रस्ट को ऑनलाइन पैसे भेज सकते हैं। ठीक वैसे ही जैसे भारत में लोग यूपीआई, पेटीएम या गूगल पे से दान करते हैं। पिछले कुछ सालों में चीन में नकदी का इस्तेमाल कम हुआ है। अलीपे और वीचैट पे जैसे ऐप्स ने देश के हर कोने में डिजिटल लेनदेन को आसान बना दिया है। मंदिरों ने भी इसी रफ्तार से अपने तरीकों को आधुनिक बना लिया। भक्तों के लिए दान करना पहले से ज्यादा सुविधाजनक हो गया, न जेब में नकद रखने की झंझट, न छुट्टे की जरूरत। माना जाता है कि यह प्रथा सबसे पहले हांगझोऊ और बीजिंग के कुछ बड़े मंदिरों में शुरू की गई थी। वहां क्यूआर कोड स्कैन करने के बाद भक्त दान राशि चुन सकते हैं, कुछ युआन से लेकर सैकड़ों युआन तक। इसके बाद स्क्रीन पर एक आशीर्वाद संदेश या “शुभकामना कोट” भी दिखता है। अब सवाल उठता है, लोग स्कैन करने के बाद मूर्ति को मोबाइल से हल्के से “टच” क्यों करते हैं? यह दरअसल एक प्रतीकात्मक इशारा है, चीन में बहुत से लोग मानते हैं कि भगवान के प्रति श्रद्धा दिखाने का यह एक नया तरीका है- जैसे भारत में लोग मंदिर में दीया जलाते हैं या प्रसाद चढ़ाते हैं। जब भक्त मोबाइल को मूर्ति के पास हल्के से छूते हैं, तो यह “डिजिटल भेंट” देने के बाद आशीर्वाद लेने का एक संकेत होता है। इसका मतलब यह नहीं कि लोग सच में मानते हैं कि भगवान मोबाइल से पैसे ले रहे हैं। यह सिर्फ सम्मान और भक्ति का एक आधुनिक रूप है। जब इस तरह के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते हैं, तो कई लोग इसे गलत समझ लेते हैं। कुछ मजाक में कहते हैं कि अब भगवान भी ऑनलाइन पेमेंट लेने लगे हैं” या “चीन में भगवान का यूपीआई चल रहा है” लेकिन सच्चाई यह है कि यह सिर्फ मंदिर की डिजिटल दान प्रणाली का हिस्सा है। न कि कोई अंधविश्वास। चीन की यह परंपरा दिखाती है कि कैसे तकनीक और श्रद्धा एक साथ चल सकती हैं। पुराने धार्मिक विश्वासों में आधुनिक सुविधाएं शामिल कर लोगों के लिए पूजा और दान को आसान बनाया जा रहा है। आज चीन के कई धार्मिक स्थलों पर भक्त मोबाइल से दान करते हैं, डिजिटल मोमबत्तियां जलाते हैं, और ऑनलाइन आशीर्वाद संदेश प्राप्त करते हैं, यह सब तकनीक की मदद से। इस तरह की घटनाएं हमें यह दिखाती हैं कि आस्था का रूप बदल सकता है, लेकिन भावना वही रहती है, चाहे दान नकद से किया जाए या क्युआर कोड से, श्रद्धा हमेशा दिल से ही होती है। सिराज/ईएमएस 10 नवंबर 2025