गरियाबंद(ईएमएस)। जिले में पुश्तैनी जमीन पर हक की लड़ाई में अमलीपदर तहसील के खरीपथरा गांव निवासी मुरहा नागेश एक बार फिर प्रशासन के खिलाफ आंदोलन की राह पर हैं। ठंड के मौसम में मुरहा नागेश अपने परिवार सहित जिला मुख्यालय के गांधी मैदान में बीती रात से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उनका आरोप है कि वर्षों पुराने जमीन विवाद के बावजूद प्रशासनिक लापरवाही के कारण उन्हें अब तक स्थायी कब्जा नहीं मिला है। इधर, मुरहा की जमीन से जुड़ी गड़बड़ी को सुलझाने के लिए कलेक्टर भगवान सिंह उईके ने एसडीएम, तहसीलदार और भू-अभिलेख अधिकारियों सहित 10 सदस्यीय टीम गठित की है। यह टीम फिलहाल गांव में पहुंचकर बंदोबस्त रिकॉर्ड सुधार और जमीन की नई मैपिंग में जुटी हुई है। खसरा नंबर 1/83 में दर्ज 2.680 हेक्टेयर रकबा पर मुरहा नागेश का नाम 1954 से लेकर 1986 तक के रिकॉर्ड में दर्ज था। लेकिन 1990 में बंदोबस्त सुधार के दौरान खसरा नंबर बदलकर 778 और 682 कर दिया गया, जिसमें मुरहा की भूमि के हिस्से को मोती राम समेत चार अन्य किसानों के नाम से दर्ज कर दिया गया। इसके बाद से यह जमीन विवाद राजस्व विभाग के लिए लगातार सिरदर्द बनी हुई है। अगस्त माह में भी मुरहा नागेश ने इसी जमीन पर कब्जा दिलाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल की थी। तब तहसीलदार ने उन्हें जमीन का कब्जा दिलाया था, लेकिन विरोधियों ने एसडीएम कोर्ट में अपील कर आदेश को निरस्त करा दिया। प्रशासन ने बाद में दोबारा कब्जा दिलाया, मुरहा ने फसल भी बोई, मगर विपक्षियों ने खेत की फसल नष्ट कर दी। लगातार विवाद को देखते हुए कलेक्टर ने पूरे खरीपथरा गांव के 360 किसानों की भूमि का पुनः सर्वे और रिकॉर्ड सुधार कराने के निर्देश दिए हैं। एसडीएम तुलसीदास मरकाम, तहसीलदार सुशील कुमार भोई, सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख विजय सिंह और चैतन राम कोडप्पा सहित राजस्व निरीक्षक और पटवारी टीम पिछले तीन दिनों से गांव में काम कर रही है। तहसीलदार सुशील भोई ने बताया कि टीम पहले 1954 के रिकॉर्ड से मिलान कर मैपिंग कर रही है। इसके बाद भौतिक निरीक्षण और नए सिरे से बटांकन कर वास्तविक कब्जे के आधार पर बंदोबस्त सुधार किया जाएगा। फिलहाल मुरहा नागेश की भूख हड़ताल जारी है, जबकि प्रशासन पुराने रिकॉर्ड के आधार पर विवाद को सुलझाने की कोशिश में जुटा हुआ है।