ज़रा हटके
12-Nov-2025
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वाशिंगटन (ईएमएस)। किसी व्यक्ति का ब्लड ग्रुप भी पेट के कैंसर के जोखिम को प्रभावित कर सकता है। एशिया और पूर्वी यूरोप में किए गए अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि कुछ ब्लड ग्रुप वाले लोगों में पेट का कैंसर बीमारी का खतरा अन्य की तुलना में अधिक पाया गया है। हर व्यक्ति का ब्लड ग्रुप उसके माता-पिता से विरासत में मिलता है, जो जीन के माध्यम से निर्धारित होता है। प्रमुख चार प्रकार के ब्लड ग्रुप ए, बी, एबीऔर ओ लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर मौजूद एंटीजन और शर्करा अणुओं से बनते हैं। इनके साथ आरएस फैक्टर (प्लस या माइनस) भी जुड़ा होता है, जो ब्लड ग्रुप की सटीक पहचान तय करता है। अध्ययनों में पाया गया है कि ब्लड ग्रुप ए और एबी वाले लोगों में पेट के कैंसर का खतरा अन्य ग्रुप वालों से कहीं अधिक है। शोधकर्ताओं ने कैंसर रोगियों और स्वस्थ व्यक्तियों के ब्लड ग्रुप की तुलना की, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि ब्लड ग्रुप ए और एबी वालों में यह जोखिम बढ़ा हुआ है, जबकि ओ ब्लड ग्रुप वालों में सबसे कम पाया गया। ब्लड ग्रुप बी वालों में खतरा अपेक्षाकृत मध्यम स्तर पर देखा गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस अंतर के पीछे कई जैविक कारण हैं। सबसे प्रमुख कारण हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (एच. पाइलोरी) नामक बैक्टीरिया है, जो पेट के कैंसर का सबसे बड़ा ज्ञात जोखिम कारक माना जाता है। ब्लड ग्रुप ए वाले लोगों की पेट की आंतरिक परत पर मौजूद एंटीजन इस बैक्टीरिया के लिए एक चिपकने वाला आधार तैयार करते हैं। इससे बैक्टीरिया पेट की दीवारों पर आसानी से जम जाता है और संक्रमण फैलाता है, जो धीरे-धीरे सूजन और अंततः कैंसर का रूप ले सकता है। इसके अलावा, ब्लड ग्रुप ए और एबी में पाए जाने वाले एंटीजन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली और सूजन की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं, जिससे कैंसर कोशिकाओं के विकास की संभावना बढ़ जाती है। एक अन्य कारण यह भी है कि ब्लड ग्रुप ए वाले लोगों में पेट का एसिड (गैस्ट्रिक एसिड) सामान्य से कम बनता है। यह एसिड न केवल भोजन को पचाने के लिए बल्कि हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए भी जरूरी होता है। जब एसिड कम होता है, तो एच. पाइलोरी तेजी से पनपता है और पेट में सूजन पैदा करता है, जो समय के साथ कैंसर का कारण बन सकता है। दूसरी ओर, ब्लड ग्रुप ओ वाले लोगों में यह खतरा सबसे कम देखा गया है क्योंकि उनके शरीर में ऐसे एंटीजन नहीं होते जो बैक्टीरिया को आसानी से पेट की सतह पर चिपकने दें। हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार, इस ग्रुप के लोगों में पेप्टिक अल्सर का खतरा थोड़ा अधिक रह सकता है, लेकिन कैंसर का जोखिम अपेक्षाकृत कम होता है। डॉक्टरों का कहना है कि जिनका ब्लड ग्रुप ए या एबी है, उन्हें पेट से जुड़ी किसी भी समस्या को हल्के में नहीं लेना चाहिए। लगातार पेट दर्द, भूख में कमी, भोजन के बाद भारीपन, वजन घटना, उल्टी या काला मल आने जैसे लक्षणों पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए। अगर परिवार में किसी को पहले पेट का कैंसर रहा हो, तो नियमित जांच और एंडोस्कोपी या एच. पाइलोरी टेस्ट करवाना आवश्यक है। विशेषज्ञों का मत है कि ब्लड ग्रुप एक जोखिम कारक हो सकता है, लेकिन यह भाग्य का निर्णय नहीं है। सुदामा/ईएमएस 12 नवंबर 2025