-आज खुलेगा प्रत्याशियों के भाग्य का पिटारा, महागठबंधन मतगणना को लेकर सतर्क बिहार में किसका राज...फैसला आज -243 सीटों के लगभग 5 करोड़ वोटों को 4372 काउंटिंग टेबल पर गिना जाएगा पटना (ईएमएस) । बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना शुक्रवार सुबह 8 बजे से शुरू होगी। दोपहर तक तस्वीर लगभग साफ हो जाएगी। इस बार पोस्टल बैलेट की गिनती का तरीका बदल गया है, जिससे आखिरी दो राउंड की गिनती से पहले पोस्टल वोट शामिल किए जाएंगे। सभी नतीजे शाम तक घोषित किए जाने की उम्मीद है। प्रदेश में किसकी सरकार बनेगा इसका फैसला दोपहर बाद हो जाएगा। राज्य में इस बार कुल 66.91 प्रतिशत मतदान हुआ, जिसमें पुरुष मतदाता 62.8 प्रतिशत और महिला मतदाता 71.6 प्रतिशत ने वोट डाला। चुनाव आयोग ने बताया कि यह 1951 के बाद सबसे उच्च मतदान प्रतिशत है। दो चरणों के चुनाव में 8.5 लाख से अधिक पोलिंग कर्मचारी और 2,616 उम्मीदवारों द्वारा नियुक्त 1.4 लाख से ज्यादा पोलिंग एजेंट, 243 जनरल ऑब्ज़र्वर और 38 पुलिस ऑब्जार्वर शामिल रहे। राज्य के 46 मतगणना केंद्रों पर वोटों की गिनती सुबह 8 बजे से शुरू होगी। सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती होगी, जो 8 से 8:30 बजे के बीच स्कैनर से स्कैन करके की जाएगी। अगर पोस्टल बैलेट की गिनती 8:30 बजे तक पूरी नहीं भी हुई, तब भी ईवीएम से वोटों की गिनती समानांतर रूप से शुरू हो जाएगी। मतगणना को लेकर सभी जिलों में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने 38 जिलों के डीएम के साथ गिनती की समीक्षा की है। उन्होंने चुनाव आयोग के तय मानक को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। काउंटिंग का तरीका और रैंडमाइजेशन हर विधानसभा सीट के लिए मतगणना केंद्र में अलग-अलग कमरे बनाए गए हैं। एक राउंड में 14 ईवीएम की गिनती होगी, जिसके लिए 14 टेबल लगाए गए हैं। गिनती से पहले सुबह 6 बजे मतगणना केंद्र पर रैंडमाइजेशन किया जाएगा। रैंडमाइजेशन के बाद ही यह तय होगा कि किस अधिकारी की ड्यूटी किस काउंटिंग टेबल पर होगी। मतगणना के दौरान किसी भी गड़बड़ी की स्थिति में वीवीपैट की पर्चियों की गिनती की जाएगी। फॉर्म 17सी और ईवीएम डेटा में बेमेल पाए जाने पर भी वीवीपैट की गणना होगी। मतगणना परिसर में मोबाइल ले जाने पर पूरी तरह से रोक है, इसके साथ ही मतगणना परिसर के आसपास विजय जुलूस और नारेबाजी पर भी रोक लगाई गई है। बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों के लगभग 5 करोड़ वोटों को 4372 काउंटिंग टेबल पर गिना जाएगा। चुनाव आयोग की ओर से मतगणना की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सुरक्षा के कड़े बंदोवस्त मतगणना के चलते पटना सहित सभी जिलों में प्रशासन ने सुरक्षा कड़ी कर दी है। स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा कई स्तरों पर बढ़ाई गई है। अधिकारियों ने हॉल, गेट, कंट्रोल रूम और बैठने की व्यवस्था का निरीक्षण किया है। चुनाव आयोग के अधिकारी ने जिलाधिकारियों के साथ मिलकर तैयारियों की समीक्षा की है। 243 सीटों में बहुमत के लिए 122 सीटें जरूरी हैं। यह नतीजे तय करेंगे कि क्या नीतीश कुमार और एनडीए फिर से सत्ता में लौटेंगे या तेजस्वी यादव की अगुवाई वाला महागठबंधन सरकार बनाएगा। सुबह 8.30 बजे के बाद सभी टेबलों पर एक साथ ईवीएम के वोटों की काउंटिंग शुरू होगी। मतगणना केंद्र पर मौजूद रिटर्निंग ऑफिसर, सभी राउंड की गिनती के बाद रिजल्ट बताते हैं। इसे चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी अपडेट करेंगे। पहला रुझान सुबह 9 बजे से आना शुरू हो सकता है। हर केंद्र पर सतर्क रहेंगे महागठबंधन के एजेंट एग्जिट पोल के बाद महागठबंधन सक्रिय हो गया है। महागठबंधन को शक है कि ईवीएम और परिणामों में गड़बड़ी की जा सकती है। इसको देखते हुए इस बार फॉर्म 17 सी और ईवीएम की डिटेल एजेंटों को मुहैया कराई कई है। उन्हें निर्देश दिया गया है कि इनका मिलान करने के बाद ही मतगणना कराएं। साथ ही मतगणना स्थलों पर राजद और महागठबंधन के अन्य एजेंटों को सचेत और सक्रिय रहने को कहा गया है। किसी भी तरह की आशंका होने पर आपत्ति जताने के साथ ही पार्टियों को सूचित करने का भी निर्देश दिया गया है। उधर, मतगणना से एक दिन पहले राजद नेता तेजस्वी यादव ने महागठबंधन की पार्टियों की अहम बैठक अपने सरकारी आवास पर बुलाई। इस बैठक में महागठबंधन के प्रमुख नेताओं की उपस्थिति रही। जानकारी के अनुसार, बैठक में विकासशील इंसान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी, भाकपा (माले) के महासचिव दिपांकर भट्टाचार्य समेत महागठबंधन की अन्य सहयोगी पार्टियों के नेता शामिल हुए। बैठक में मतगणना के दौरान की रणनीति, एजेंटों की तैनाती, संभावित रूझानों पर प्रतिक्रिया और प्रशासनिक समन्वय जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। बताया जा रहा है कि तेजस्वी यादव ने सभी दलों से अपील की है कि मतगणना के दौरान पूरी सजगता और संयम बनाए रखें तथा किसी भी अफवाह या उकसावे से दूर रहें। विवाद होने पर पर्चियों का मिलान चुनाव परिणामों को राउंड-वाइज और विधानसभा-वार संकलित कर संबंधित आरओ की ओर से चुनाव आयोग के आधिकारिक परिणाम पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। ईवीएम के वोटों की गिनती के दौरान हर कंट्रोल यूनिट को टेबल पर लाया जाएगा और एजेंटों को दिखाया जाएगा कि उसकी सील एवं सीरियल नंबर में दर्ज विवरण से मेल खाते हैं या नहीं। अगर किसी बूथ में मतों की संख्या या रिकॉर्ड में कोई असमानता पाई जाती है, तो उस बूथ की वीवीपैट पर्चियों की अनिवार्य रूप से गिनती की जाएगी। हर टेबल पर एक काउंटिंग सुपरवाइजर, एक काउंटिंग असिस्टेंट और एक माइक्रो ऑब्जर्वर की तैनाती की गई है। इसके अलावा 18,000 से अधिक काउंटिंग एजेंट, जो उम्मीदवारों की ओर से नियुक्त किए गए हैं, मतगणना प्रक्रिया की निगरानी करेंगे जिससे पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष बनी रहे। ईवीएम की गिनती पूरी होने के बाद हर विधानसभा क्षेत्र में 5 मतदान केंद्रों का रैंडम सलेक्शन किया जाएगा, जहां वीवीपैट पर्चियों का मिलान ईवीएम के नतीजों से किया जाएगा। यह काम उम्मीदवारों और उनके एजेंटों की मौजूदगी में होगा। बड़ा भाई भाजपा या जदयू बिहार विधानसभा चुनाव का जनादेश न सिर्फ सत्ता का रास्ता तैयार करेगा, बल्कि राजग में बड़े और छोटे भाई की भूमिका पर भी अंतिम मुहर लगाएगा। सबकी निगाहें जनादेश के साथ इस पर भी टिकी हैं कि भाजपा और जदयू में किसके हिस्से ज्यादा सीटें आएंगी। गौरतलब है कि बिहार की सियासत में जदयू के छोटे भाई के रूप में शुरू हुई भाजपा की यात्रा बीते विधानसभा चुनाव में जदयू के तीसरे नंबर पर खिसकने के कारण टिकट बंटवारे में जुड़वा भाई बनने तक पहुंच गई। दरअसल बीते विधानसभा चुनाव के नतीजे ने जदयू और नीतीश कुमार की साख को गहरा धक्का लगाया। राजद, भाजपा के बाद तीसरे नंबर पर खिसकने के बावजूद नीतीश का सीएम पद तो बरकरार रहा, मगर सरकार गठन में जदयू एक एकाधिकार खत्म हो गया। जदयू को न सिर्फ सरकार में भाजपा को खुद से ज्यादा हिस्सेदारी देनी पड़ी, बल्कि पहली बार नीतीश सरकार में भाजपा कोटे के दो-दो डिप्टी सीएम बने। हालांकि इसी कार्यकाल में बढ़े तकरार के बीच नीतीश ने पहले भाजपा से नाता तोड़ राजद की शरण ली, मगर चंद महीने बाद फिर राजग में वापसी की। जदयू सूत्रों का मानना है कि इस चुनाव में पार्टी एक बार फिर से बड़े भाई की भूमिका में आ जाएगी। इसका कारण जदयू के मूल वोट बैंक का वापस आना, लोजपा आर राजग में शामिल होने से बीते चुनाव में हुए नुकसान की भरपाई होना और भाजपा के वोट बैंक का जदयू में सफल स्थानांतरण होना है। चिराग की लौ पर भी नजर निगाहें चिराग पासवान की पार्टी लोजपा आर के प्रदर्शन पर भी टिकी है। बीते चुनाव में अपने दम पर मैदान में उतरे चिराग अपनी पार्टी की लौ तो नहीं जला सके, मगर जदयू की लौ जरूर मद्धम कर दी थी। इस बार स्थिति उलट है। भले ही चिराग को 29 सीटें मिली, मगर उनमें ऐसी 15 सीटें शामिल हैं, जहां राजग एक बार भी चुनाव नहीं जीत पाया।