राज्य
19-Nov-2025
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- बिहार में भाजपा की नई राजनीतिक रणनीति पर मोहर - भाजपा सरकार में मजबूत और निर्णायक भूमिका में - जातीय संतुलन भाजपा की प्राथमिकता पटना (ईएमएस)। बिहार की राजनीति में भाजपा ने बड़ा संगठनात्मक बदलाव करते हुए विधानमंडल दल के नेता और उपनेता की घोषणा कर दी है। पार्टी की बैठक में सम्राट चौधरी को भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया, जबकि विजय सिन्हा को उपनेता के रूप में मनोनीत किया गया। इस निर्णय ने यह लगभग स्पष्ट कर दिया है कि बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री पद के दो प्रमुख चेहरे एक बार फिर यही दोनों नेता होंगे। भाजपा कार्यालय में आयोजित विधायक दल की बैठक में वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में इन नामों पर औपचारिक मुहर लगी। मनोनयन के प्रस्तावक के रूप में पार्टी के वरिष्ठ विधायक प्रेम कुमार के साथ रामकृपाल यादव, कृष्ण कुमार ऋषि, संगीता कुमारी, अरुण शंकर प्रसाद, मिथिलेश तिवारी, नितिन नवीन, वीरेन्द्र कुमार, रमा निषाद, मनोज शर्मा और कृष्ण कुमार मंटू शामिल रहे। सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को फिर से शीर्ष जिम्मेदारी सौंपकर भाजपा ने यह संदेश दिया है कि पार्टी अब बिहार सरकार में पहले से कहीं अधिक प्रभावशाली भूमिका निभाएगी। प्रचंड बहुमत के बाद भाजपा जिस नई राजनीतिक नींव को मजबूत कर रही है, उसमें स्थिरता, अनुभव और संतुलित सामाजिक प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता दी जा रही है। भाजपा की यह रणनीति व्यापक सामाजिक समीकरणों को साधने का प्रयास है। बिहार में हुई ऐतिहासिक जीत में विभिन्न जातीय समुदायों का एकजुट समर्थन निर्णायक रहा। यही कारण है कि नेता - उपनेता की घोषणा में भी सामाजिक और जातीय प्रतिनिधित्व को महत्वपूर्ण आधार बनाया गया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इन नियुक्तियों के बाद मंत्रिमंडल विस्तार में कई अनुभवी नेताओं की वापसी की पूरी संभावना है। भाजपा उन नेताओं को कैबिनेट में लाना चाहती है, जो वर्षों से संगठन और शासन दोनों में सक्रिय रहे हैं। इन वरिष्ठ विधायकों की प्रशासनिक समझ, जनता से जुड़ाव और राजनीतिक संतुलन बनाए रखने की क्षमता को भाजपा आने वाले कार्यकाल की मजबूती के रूप में देख रही है। बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा निर्णायक रहे हैं। भाजपा ने यह संकेत दे दिया है कि मंत्रिमंडल विस्तार में दलित, पिछड़ा, अतिपिछड़ा, सवर्ण सहित सभी समूहों को समुचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा, ताकि कोई भी वर्ग स्वयं को उपेक्षित महसूस न करे। पार्टी का लक्ष्य एक ऐसी सरकार बनाना है जो सामाजिक विविधता का संतुलित प्रतिनिधित्व करे। पार्टी बैठक के बाद मिले संकेतों से स्पष्ट है कि भाजपा अब प्रयोग आधारित राजनीति से हटकर स्थिर शासन और मजबूत प्रशासनिक ढांचे को प्राथमिकता दे रही है। नए नेतृत्व और संतुलित प्रतिनिधित्व के साथ भाजपा का लक्ष्य एक ऐसी सरकार देना है जो दीर्घकालीन असर छोड़े। कल होने वाले शपथ ग्रहण के साथ बिहार में भाजपा नेतृत्व वाले एक नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत होने जा रही है। यह अध्याय न केवल सत्ता परिवर्तन का प्रतीक होगा, बल्कि एक सुसंगठित, अनुभवी और सामाजिक रूप से संतुलित शासन की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम भी होगा।