जब से बिहार में एनडीए की प्रचंड जीत हुई और आरजोडी मात्र 25 सीटों पर सिमट गई तो लालू परिवार में भयंकर अफरा तफरी का माहौल है यदि लालू जी पैसा के पीछे ना चलकर अच्छा संस्कार दिए होते तो तेजस्वी यादव अपनी बहन पर चप्पल नहीं उठाते और ऐ मीडिया में खुब चल रहा है उधर उसका भाई तेज प्रताप भी उससे अलग होकर नई पार्टी बनाई लेकिन क़ोई सफलता नहीं मिली और एनडीए की तरफ जाने का ऐलान भी कर दिया आज कल लालूजी के परिवार में तेजस्वी और रोहणी की चर्चा खुब जोरों पर चल रही है चुनाव से पहले जब मै पटना मै था तो तेजस्वी यादव का इतना बड़ा पोस्टर कभी नहीं देखा था उसके हार के कारणों पर नजर डालें तो सबसे पहले मुख्यमंत्री मंत्री पद की घोषणा, भाई से अलग होना और उनके सहयोगी दल मै कांग्रेस ने ही मोदीजी पर अनाप सनाप आरोप लगा कर छठ पूजा पर गलत शब्दों का प्रयोग करना, आपसी तालमेल की कमी फ्रेंडली फाइट ऐ सब कारणों से हार मिली जिससे सबक लेना चाहिए चुनाव निष्पक्ष हुए और लोग बड़े बड़े पोस्टर से वोट नहीं बल्कि काम पर वोट देते हैं वादे नहीं उसे निभाने की जरुरत है दस हजार रूपये मिले तो इसमें बबाल मचाने की क्या जरुरत है वहाँ के लेडीज़ की आर्थिक समस्या काफी कमजोर है अतः मिलने से क़ोई गलत नहीं है एक सम्मान राशि है जो अपने जेब मै तो नहीं रखा यदि बिहार जैसे गरीब राज्य के लोगों को कुछ मिल ही गया तो इसमें क्या बुराई है लालू जी एक समय भगवान राम का रथ रोककर खुब बाहबाही लूटा लेकिन यदि उनके विचार पर चला होता तो जंगल राज बिहार में नहीं आता और परिवार में अच्छा संस्कार मिलता जो रूपये पैसे से बढ़ कर होता, संस्कार ही एक सम्मान दिलाता है और इसके लिए हर परिस्थिति में अपने को ढालना पड़ता है यानि मेहनत के सिवा क़ोई भी दूसरा रास्ता नहीं है अतः व्रत करने का फायदा तभी होगा जब मन से ईश्वर की आराधना करेंगे सम्मान इतने आसानी से नहीं मिलता है उसे पाने के लिए परिश्रम करना पड़ता है अतः एक दिन का व्रत रात होते ही ख़त्म हो जायेगा लेकिन जब भी कांटा पर चलना सिख गए तो मंजिल मिलेगी इसके लिए खुद को बदलना जरुरी है और संस्कार ही आपको अच्छा या बुरा बनाती है इसके लिए ना तो कोई गुरु की आवश्यकता है ना ही किसी ग्रन्थ की बस आप सिर्फ और सिर्फ भगवान राम का ध्यान कीजियेगा तो आप के अंदर बदलाव आएगा और सेवा की भावना जागरूक होगी जिस दिन आप भगवान राम के नाम को समझ गए तब आपके अंदर ना तो अहंकार आएगा ना ही घमंड जो सुहाग मिला है वो उसकी मर्जी से मिला है शायद क़ोई अच्छा ना हो क़ोई बुरा हो लेकिन कुछ तो अच्छाई है तभी तो आपका रिश्ता टीका है नहीं तो क्रोध में क़ोई कुछ भी कर लेता है ध्यान दीजियेगा क़ोई एक दिन में गाड़ी चलाना नहीं सीखता है उसके लिए कम से कम एक साल तो लग ही जाता है और तभी वो एक कुशल चालक बनता है रिश्ते पेट को बन्द करने से नहीं बल्कि क्रोध और घमंड को दूर करने से हमेशा लोहे के जैसा मजबूत हो जाता है कुछ लोग की सोच एक अलग किस्म की होती है जो दिखावे पर ज्यादा और हकीकत में कम होती है पति पत्नी का रिश्ता भी उसने पहले ही सेट कर दिया है और जो होना होता है उसी की मर्जी से होता है अतः हमेशा शांति से काम लें मन हमेशा इधर उधर भटकता है लेकिन सही या गलत तब समझ में आता है जब आप दुःख की घड़ी में मुकर जाते हैं फिर नफरत होती है जो नुकसानदेह है यदि चुम्बक लोहे से नहीं सट रहा है तो इसका मतलब है वो चुम्बक की चाल को समझ चुका है या तो लोहे से चुम्बक की दुरी अधिक है या चुम्बक उतना शक्तिशाली नहीं है हम पहले तो ऐ सोचना छोड़ दे की क़ोई गलती किया है तो उसपर बरसना उसे प्यार से समझाना भी एक कला है है आखिर एक ही नहीं आपसे अन्य से भी यही शिकायत क्यों मिलती है कि उसके टोन ठीक नहीं है यदि आपके जरा सी बात को आमने आपस में बैठकर नहीं हल करेंगे तो सम्बन्ध में दरार पैदा होगी और इसे जल्द से जल्द सॉल्व कऱ लें आपस में मिलजुल रहने में सिर्फ आपकी नहीं सबकी भलाई है वो एक बार नहीं कई बार आपके गुस्से को नजरअंदाज किया है लेकिन जब दिल में बुरे समय में चोट लगती है तो फिर वो दोबारा लाख कोशिश कर लें सटेगा नहीं जैसे एक पेड़ अंधी से टूट गया तो फिर वही पेड़ कभी खड़ा नहीं होगा। (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) ईएमएस / 20 नवम्बर 25