लेख
22-Nov-2025
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बिहार में सारी राजनीती में शतरंज के खेल में शह और मात में आखिर बीजेपी 2025 में सबसे बड़े दल 89 सीट लाकर भी अपना मुख्य मंत्री क्यों नहीं बना पाई इसकी खास वजह है। एनडीए में केंद्र में आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री चंद्राबाबू नायडू की अहम भूमिका थी। चुनाव के बाद चंद्रबाबू नायडू के बेटे नारे लोकेश पटना,इसलिए पहुंचे की कहीं बिहार में जेडूयू को तोड़कर या जेडीयू को छोड़कर बहुमत का आंकड़ा लेकर बड़ी पार्टी के नाते बीजेपी अपना सीएम का दावा राज्यपाल को न सौंप दें,और बीजेपी अपना मुख्यमंत्री न बना लें, 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद जो सरकार बनाने की परिस्थिति थी ।उसमें बीजेपी बहुमत के आंकड़ो के साथ सरकार न बना लें क्योंकि उसके 89 विधायक थे सरकार बनाने हेतु 122 का नम्बर चाहिए था। जिसमें 19 चिराग पासवान के और हम के 5 और उपेंद्र कुशवाहा के 4 विधायक थे यानि कुल 28 की संख्या थी 89 में 28 जोड़ने से 117 विधायक थे सिर्फ 5 विधायक तो चाहिए था जिसमें बसपा का 1 आई आई सी का 1 1निर्दलीय और 3 तो हो गया बाकी तो बहुमत साबित के समय एआईएमआईएम के 5 विधायक उपस्थित ही नहीं होते,तो सरकार तो बीजेपी की बन ही जाती इसलिए एआईएमआईएम के प्रमुख ओबैसी को डर लगने लगा और चुनाव परिणाम के बाद नीतीश कुमार को सीएम के सवाल पर बीजेपी की ख़ामोशी से ये पता चल रहा था कि , बीजेपी नीतीश कुमार को बिहार के मुख्यमंत्री बनाने के मूड में नहीं है क्योंकि राज्य पाल भी उनके पार्टी का ही है, और महाराष्ट्र में उनका प्रयास भी सरकार बनाने में सफल रहा था जानकारी के अनुसार इसलिए चंद्रा बाबू नायडू से नीतीश ने सहयोगी दल होने के नाते सपोर्ट माँगा और वो नीतीश कुमार को मुख्य मंत्री बनाने के लिए अड़ गए थे क्योंकि उन्हें भी अपने राज्य में भविष्य में टी डी पी को सत्ता में बनाए रखना है ।इसलिए सारी राजनीती गतिविधियों की जानकारी के लिए उनके पुत्र पटना में थे, ताकि यदि बीजेपी क़ोई चाल चले तो केंद्र में उनके 15 सांसद और 12 सांसद जेडीयू के केंद्र में समर्थन वापस ले लेती,और जानकारों के अनुसार केंद्र में सरकार का गिरना तय था, क्योंकि शिव सेना के शिंदे गुट के भी 6 सांसद भी इधर महाराष्ट्र की सियासत से निकाय चुनाव और पार्टी तोड़ने को लेकर खुश नहीं थे। ऐ सब यदि समर्थन वापस लेते तो केंद्र में सरकार गिर सकता था, क्योंकि जब बहुमत साबित होना रहता है तो बीजेपी के भी 240 सासंद में कितने गैरहाजिर रहते ऐ भी एक प्रश्नचिन्ह था। क्योंकि कुछ तो नाराजगी पार्टी के अंदर है चूँकि अटलजी के समय जब एआईआईडीमके के प्रमुख ने 1998 में अटलजी के सरकार से समर्थन वापस लेकर अविश्वास प्रस्ताव लाया था, तो 1वोट से सरकार गिर गई थी इसलिए बीजेपी सेंटर में क़ोई रिश्क नहीं लेना चाहती थी इसलिए नीतीश कुमार बाल बाल बचे और मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुए इधर जेडीयू ने अपने सहयोगी दल को ऐ समझाने में कामयाब हुए की यदि मैं यानी नीतीश सरकार बिहार में नहीं रहूँगा तो आपकी पार्टी तो छोटी छोटी है और बीजेपी उसे आसानी से तोड़ देगी,यही कारण था कि जो बीजेपी ने नीतीश कुमार को सीएम पद का ऐलान नहीं कर पा रही थी क्योंकि उसे लगा कि 89 सीट लाकर राज्यपाल बड़े दल के रूप में सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगी, इसलिए नीतीश ने सबको समझाया आप भले ही पार्टी का नेतृत्व कर रहें हैं लेकिन विधायक तो पाला बदल सकते हैं, इसलिए पहले ही चिराग पासवान, जितन राम मांझी, और उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए की बैठक से पहले ही बिहार के मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार का ऐलान कर दि थी,क्योंकि 2020 में वीआईपी तो एनडीए के साथ थी बाद में विधायक तोड़ने के बाद महागठबंधन में चले गए और इस बार के चुनाव में महागठबंधन में उप मुख्यमंत्री के पद का भी मुकेश सहनी ने करवा दिया। अब चुनाव के बाद जिस तरह बिहार में डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को गृह मंत्री का पद मिला है, इससे ऐ लगता है कि अभी भी खेल ख़त्म नहीं हुआ क्योंकि विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव इसपर सवाल कर रहें हैं कि नीतीश सरकार से 20 साल बाद गृह मंत्रालय लेकर भाजपा उन्हें कमजोर कर दि है, सम्राट चौधरी पहले आरजेडी में थे बाद में 2023 में अचानक बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष की हैसियत से पार्टी में आएं जबकी प्रशांत किशोर की डिजिटल टीम ने शिल्पी मर्द केस पर सम्राट चौधरी का नाम जोड़ा था और उसको लेकर आर के सिंह ने भी सवाल उठाये थे, बाद में उन्हें पार्टी से 6 साल के लिए निलंबित कर दिया दरअसल सम्राट चौधरी का अहम रोल 2024 में जब आरजेडी से जे डी यू ने समर्थन वापस लेकर विधायक के जोड़ तोड़ और तेजस्वी यादव का विधायक को अपने आवास में कैद कर उनके घर से विधायक को उठाकर कहीं रास्ते से पकड़ कर जिसमें बीजेपी बाद में विधानसभा में बहुमत साबित करने में पहले स्पीकर को हटाया और बाद में बहुमत साबित किया ऐ बिल्कुल वैसा ही था जब 2018 के महाराष्ट्र के चुनाव में बीजेपी और शिव सेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर तकरार हुआ और एक दिन देवेंद्र फड़नवीस और अजीत पवार ने मिलकर राजभवन में मुख्य मंत्री और अजीत पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ तो ले ली लेकिन बाद में शिव सेना के विधायक, एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया और बहुमत सिद्ध होने तक सारे विधायक एक होटल से दूसरी होटल में शिफ्ट होते गए हालांकि 2022 में शिव सेना में एक नाथ शिंदे की बगावत के बाद उसकी सरकार गिर गई, आज ऐ स्थिति है कि ना तो शिंदे सरकार में संतुष्ट नजर आ रहें हैं और ना हि उद्धव ठाकरे को उनका निर्णय सही लग रहा है इससे जो क्षेत्रीए पार्टी है ।उसमें गलत मैसेज गया जिसदिन बीजेपी को जेडीयू के सहयोग से सरकार बनानी थी। ठीक उस रात सम्राट चौधरी ने रात भर अपने विधायक की घेरा बंदी कर रहें थे अतः उस समय सम्राट चौधरी ने बीजेपी के विधायक को डराया था,और लगता है कि इन सबके कारण गृहमंत्री का इनाम मिला, लेकिन उनके बोल चाल से मालूम होता है ,की छवि बीजेपी के अच्छे नेताओं में नहीं है जैसे दूसरे डिप्टी सी एम विजय कुमार सिन्हा हैं, क्योंकि वो बीजेपी के कार्यकर्ता के रूप में जमीन से जुड़े हैं, दरअसल सम्राट चौधरी, पूर्व मंत्री बिहार सरकार शकुनि चौधरी के पुत्र हैं जो आरजेडी के कट्टर नेता थे। अतः आदमी का स्वभाव कुछ दिनों में नहीं बदलता है उसके लिए परिवार में आप किस तरह पले बढ़े उस पर निर्भर करता है। बिहार में पूर्व उप मुख्य मंत्री सुशील कुमार मोदी जिस तरह बीजेपी में एक अच्छी छवि बनाई और एक नाम श्री नन्द किशोर यादव का भी है,जो पहले बिहार में एनडीए के संयोजक थे बाद में बिहार में मंत्री भी बने बाद में वे स्पीकर बने और 2025 में उनको टिकट ही नहीं मिला डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा को भी गृह मंत्रालय दिया जा सकता था, जिस पर किसी ने क़ोई भी आरोप नहीं लगाएं हैं, और बोलचाल में भी ठीक हैं अतः बीजेपी को इस बात पर भी ध्यान देने की जरुरत है,कि पार्टी में अच्छे लोगो और किसी ने क़ोई भी आरोप नहीं लगाएं हो उसे ही अहम मंत्रालय मिले। ताकि उनके साथ जो आईएएस, आईपीएस रैंक के अधिकारी पढ़ लिख कर आते हैं, उन्हें शर्मिंदा न होना पड़े और एक अच्छी छवि भी बने डराने वाला नहीं शांति से बात करने वाला काबिल नेता हो और इससे अच्छे लोग पार्टी से जुड़े.नहीं तो बीजेपी और दूसरी पार्टी में क्या फर्क रह जायेगा जिसे जंगल राज से जोड़ कर देखा जाता है दरअसल ऐ बिहार है एक गरीब राज्य इसलिए यहाँ मलाई नहीं है इसलिए बीजेपी इस तरफ उतना दिमाग़ नहीं लगाएगी लेकिन पश्चिम बंगाल बिहार से काफी अच्छा राज्य है जो महानागर की श्रेणी में वहाँ अब पुरी कोशिश होगी सरकार बनाने की जो माननीय प्रधानमंत्री जी ने बिहार चुनाव जीतने के बाद दिल्ली के बीजेपी कार्यलय में कहा था कि गंगा वहाँ से बहकार बंगाल को जाती है और पश्चिम बंगाल में जंगल राज ख़त्म करना है, लेकिन ऐ बात ही तो बताना नहीं चाहिए क्योंकि अब टीएमसी की सरकार ममता बनर्जी अलर्ट हो गई है और आगे की रणनीति पर काम करना भी चालू कर दिया है और लेडीज़ होने के नाते लेडीज़ का वोट भी बहुत अधिक मिलता है अतः वहाँ कुर्सी पानी है तो किसी लेडीज नेता को ही चुनाव में उतरना उचित होगा जिसका जनाधार भी हो फिलहाल ऐसा दिख नहीं रहा है। ईएमएस / 22 नवम्बर 25