नई दिल्ली,(ईएमएस)। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने चुनाव में नगदी बांटने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने तंज कसते कहा है कि इस तरह कैश बांटने को कोई वेलफेयर नहीं होता है। संविधान की भावना को इसके जरिए ही पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चुनाव में पैसा बांट देना कोई वेलफेयर नहीं है। दिल्ली में एक आयोजन को संबोधित करते हुए मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि अंतर समाप्त करने के लिए यह जरूरी है कि छोटे राज्यों का गठन किया जाए। ऐसा यह ध्यान रखते हुए किया जाए कि सभी राज्यों की आबादी लगभग बराबर हो और उनमें लोकसभा और विधानसभा की सीटें भी लगभग समान हों। पूर्व चुनाव आयुक्त और पूर्व लॉ सेक्रेटरी जी कृष्णमूर्ति के 91वें जन्मदिन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को मुरली मनोहर जोशी संबोधित कर रहे थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भले ही देश के हर नागरिक के पास वोट का समान अधिकार है, लेकिन यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि कर्नाटक, बिहार और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में रहने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति में बड़ा अंतर है। उन्होंने कहा, कर्नाटक में किसी व्यक्ति की आर्थिक ताकत कितनी होती है? वह अपनी उस ताकत को बनाए रखने के लिए वोट डालता है। लेकिन जब हम रेगिस्तान, पहाड़ और पूर्वोत्तर में रह रहे लोगों की बात करते हैं तो उनकी आर्थिक स्थिति क्या रहती है। मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि यदि ऐसा नहीं होता है तो फिर अन्य अधिकारों को प्रदान करना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि यदि आर्थिक स्थिति और विकास में असमानता है तो यह भेदभाव जैसी स्थिति है। कल्याणकारी व्यवस्था का यह मतलब नहीं है कि चुनाव से पहले कैश का वितरण कर दिया जाए। आज लोग सवाल उठाते हैं कि चुनाव से पहले कैश बांटा जा रहा है। सरकार कहती है कि ऐसा वेलफेयर के लिए किया जा रहा है। लेकिन लोग कहते हैं कि ऐसा नहीं बल्कि आप वोट खरीदने के लिए पैसे बांटते हैं। मुरली मनोहर जोशी का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब बिहार चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार सरकार की ओर से महिलाओं को 10 हजार रुपये देने वाली स्कीम पर चर्चा चल रही है। पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि संविधान हमें न्याय का अधिकार देता है। यह अधिकार हमें आर्थिक और राजनीतिक न्याय के लिए भी मिला है। उन्होंने कहा, राजनीतिक अधिकार की बात करें तो इसके लिए हमारे पास वोट का हक है। लेकिन इस वोट के अधिकार का तब तक अच्छे से इस्तेमाल नहीं हो सकता, जब तक कि आर्थिक न्याय न मिले। भीमराव आंबेडकर ने भी इस पर काफी बात कही थी। उन्होंने कहा कि फिलहाल यह जरूरी है कि आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों की समानता के लिए एक व्यवस्था बने। इसके लिए यह जरूरी है कि सभी इलाकों का विकास समान हो। वीरेंद्र/ईएमएस/21नवंबर2025 -----------------------------------