नई दिल्ली (ईएमएस)। नीम की कड़वाहट में ऐसा औषधीय गुण छिपा है, जो लिवर को डिटॉक्स करने से लेकर त्वचा की देखभाल तक में मदद करता है। आयुर्वेद में नीम को प्रकृति का अनमोल उपहार कहा गया है, जिसकी पत्तियां, फूल, टहनियां और फल शरीर के लिए बेहद फायदेमंद माने जाते हैं। भारत सरकार का आयुष मंत्रालय भी नीम को रोगों के खिलाफ एक प्रभावी प्राकृतिक औषधि बताता है। आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार, रोजाना नीम की 5 से 7 पत्तियां चबाने या उसका रस पीने से लिवर में जमा विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। इससे पाचन तंत्र बेहतर होता है और शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। नीम लिवर के कार्य को सुचारु बनाता है, जिससे थकान और सुस्ती दूर रहती है। यही नहीं, नीम खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने और हृदय को स्वस्थ रखने में भी सहायक है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व धमनियों में जमा गंदगी को साफ करते हैं, जिससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और हृदय रोगों का खतरा घटता है। चेहरे की सुंदरता के लिए भी नीम किसी वरदान से कम नहीं है। मुहांसों, दाग-धब्बों और कील जैसी समस्याओं से राहत पाने के लिए नीम की पत्तियों का पेस्ट चेहरे पर लगाने या इसका रस पीने की सलाह दी जाती है। नीम में पाया जाने वाला एजाडिरेक्टिन नामक तत्व बैक्टीरिया को नष्ट करता है और त्वचा को साफ-सुथरा बनाए रखता है। नीम को रोजमर्रा की दिनचर्या में शामिल करना सस्ता, सुरक्षित और प्राकृतिक उपाय है। रोजाना नीम के पानी से चेहरा धोने से त्वचा में निखार आता है और मुहांसे कम होते हैं। इसके अलावा, नीम की पत्तियों को उबालकर तैयार किया गया काढ़ा लिवर और पाचन दोनों के लिए उपयोगी है। गर्मियों में नीम के फूलों से बना शर्बत शरीर को ठंडक देता है और टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है। आयुर्वेदाचार्यों का कहना है कि नीम का सेवन हर मौसम में लाभदायक होता है चाहे सर्दी हो, गर्मी या बरसात। हालांकि, किसी भी आयुर्वेदिक उपचार की तरह इसका सेवन शुरू करने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श लेना जरूरी है, ताकि शरीर की प्रकृति के अनुसार सही मात्रा और तरीका अपनाया जा सके। सुदामा/ईएमएस 23 नवंबर 2025