राज्य
23-Nov-2025
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:: विघटनकारी तकनीकों, मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस पर केंद्रित चर्चा; निवारण और आत्मनिर्भरता पर फोकस :: इंदौर (ईएमएस)। देश की भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों और सैन्य आधुनिकीकरण को दिशा देने के लिए, आर्मी वॉर कॉलेज (AWC), महू में 24 एवं 25 नवंबर 2025 को 27वीं सिद्धांत एवं रणनीति संगोष्ठी (DSS) का आयोजन किया जा रहा है। भविष्य के लिए तत्पर: भारतीय सेना की क्षमता को कल के युद्ध के लिए सुदृढ़ बनाने की थीम पर आधारित यह द्विदिवसीय संगोष्ठी भारतीय सेना की प्रमुख सिद्धांतगत गतिविधियों में से एक है। इस संगोष्ठी का उद्देश्य वरिष्ठ सैन्य कमांडरों, सामरिक विचारकों, राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों, अकादमिक जगत के प्रमुखों तथा रक्षा उद्योग और तकनीकी विशेषज्ञों को एक मंच पर लाना है, ताकि तेजी से बदलते सुरक्षा परिवेश में भारतीय सेना के दीर्घकालीन रूपांतरण हेतु उपयोगी एवं व्यावहारिक विचारों का आदान-प्रदान सुनिश्चित हो सके। यह संगोष्ठी समकालीन संघर्षों के जटिल स्वरूप पर केंद्रित है, जहाँ युद्ध अब हाइब्रिड, मल्टी-डोमेन और उच्च तीव्रता वाले अभियानों के माध्यम से लड़ा जा रहा है। भारतीय सीमाओं पर जटिल संयुक्त चुनौतियों की पृष्ठभूमि में, चर्चा विघटनकारी तकनीकों, बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों और जटिल खतरे के परिदृश्यों से उत्पन्न चुनौतियों एवं अवसरों पर केंद्रित होगी। भविष्य के लिए संरचित दिशा प्रदान करने हेतु तीन प्रमुख विषयों पर व्यापक विमर्श होगा: भविष्य का युद्धक्षेत्र परिवेश 2035 – भारतीय संदर्भ, संचालन के प्रभावी निष्पादन के लिए तकनीकी तैयारी, और भविष्य की दिशा का पूर्वानुमान। विशेषज्ञ पैनल इन विषयों के माध्यम से वर्ष 2035 तक भारत के सामने आने वाले संभावित सुरक्षा वातावरण का गहन विश्लेषण करेगा, जिसमें सैन्य आधुनिकीकरण, बुद्धिमत्तायुक्त युद्ध, विषम रणनीतियाँ, ग्रे ज़ोन ऑपरेशंस तथा विरोधियों द्वारा प्रस्तुत बहु-क्षेत्रीय संयुक्त चुनौतियों की संभावनाएँ शामिल होंगी। इसके अतिरिक्त, अंतरिक्ष, साइबर, सूचना और संज्ञानात्मक युद्ध जैसे नए आयामों तथा निवारण एवं वृद्धि-नियंत्रण पर इनके प्रभावों का अध्ययन किया जाएगा। विचार-विमर्श का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भारत की तकनीकी तत्परता पर केंद्रित होगा, जिसके तहत मानवरहित प्रणालियों, ड्रोन-रोधी क्षमताओं, एआई-आधारित निर्णय सहायता, रोबोटिक्स, क्वांटम तकनीक और विद्युतचुंबकीय स्पेक्ट्रम संचालन का आकलन किया जाएगा। साथ ही, आत्मनिर्भरता को सुदृढ़ करने के लिए DRDO, DPSU, निजी उद्योग, स्टार्ट-अप्स और शैक्षणिक संस्थानों की क्षमता पर भी विचार किया जाएगा। आर्मी वॉर कॉलेज महू को उम्मीद है कि DSS से प्राप्त ठोस सुझाव भारतीय सेना की 2035 और उसके बाद की क्षमता-विकास रूपरेखा में महत्वपूर्ण योगदान देंगे, जिससे भारत भविष्य के जटिल युद्धक्षेत्र की चुनौतियों के लिए तैयार हो सकेगा। प्रकाश/23 नवम्बर 2025