राज्य
24-Nov-2025


सरकार नियमों में करने जा रही है संशोधन भोपाल (ईएमएस)। पिछले दो दशक में शहरी क्षेत्र में एवं शहरों से सटे हुए ग्राम पंचायत क्षेत्र में बड़ी संख्या में कॉलोनी निर्माण हो जाता है।बिल्डर पंचायत से अनुमति लेकर बड़ी-बड़ी कालोनियां बना देते हैं। जमीन का डायवर्सन कराकर कॉलोनियां बना दी जा रही हैं।इसमें राजस्व विभाग की भूमिका भी पाई गई है।राजस्व विभाग के अधिकारियों और टाउन कंट्री प्लानिंग के अधिकारियों के बीच में समन्वय नहीं होने के कारण इस तरह की हजारों अवैध कॉलोनी शहरों एवं ग्राम पंचायत क्षेत्र में बन गई हैं।इसको लेकर कई दशकों के बाद सरकार जागी है। मध्य प्रदेश सरकार के नगरी विकास विभाग द्वारा ग्राम शहर एवं पंचायत क्षेत्र में अवैध निर्माण को रोकने के लिए कानून में संशोधन किया जा रहा है। नए संशोधन में राजस्व विभाग की भी जिम्मेदारी तय की जा रही है। अवैध कॉलोनी के निर्माण और विकास पर रोक लगे,इसके लिए पार्षद, बिल्डर, डेवलपर,भूमि स्वामी, पुलिस और स्थानीय प्रशासन सभी की जिम्मेदारियां तय की जा रही हैं। ग्राम पंचायत क्षेत्र में नियमों का उल्लंघन करने पर बड़े पैमाने पर जुर्माने का प्रावधान किया जा रहा है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 10 लाख से लेकर 50 लाख रुपए तक का जुर्माना, अवैध कॉलोनी बनाने पर किया जाएगा। नगरी विकास विभाग अवैध कॉलोनी के विकास को रोकने के लिए प्रस्ताव तैयार कर रहा है।वह लगभग अंतिम चरण में है। हाल ही में कलेक्टर कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने अवैध कॉलोनीयों के निर्माण पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे। उसके बाद से कानून बनाने का काम तेज हो गया है। जल्द ही इसे मंत्रिमंडल की स्वीकृति के लिए रखा जाएगा। पटवारी और एसडीएम होंगे जिम्मेदार शहरी एवं ग्राम पंचायत क्षेत्र में अवैध निर्माण को लेकर राजस्व विभाग के पटवारी से लेकर एसडीएम तक की जिम्मेदारी तय की जा रही है। गांव में कोई अवैध निर्माण ना हो, इसके लिए पंचायत और स्थानीय निकायों को भी जिम्मेदार बनाया जा रहा है। नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त संकेत भोंड़वे का कहना है। नियमों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। जल्द ही नए नियम लागू होंगे। कॉलोनी के लिए सख्त प्रावधान नगरीय विकास विभाग द्वारा जो ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है।उसमें पार्षद और सरपंच इत्यादि की जिम्मेदारी तय की जाएगी।अवैध कॉलोनी के निर्माण में 15 दिन के अंदर एफआईआर दर्ज कराने का प्रावधान किया जा रहा है। अवैध कॉलोनी को 15 दिन का नोटिस देकर निश्चित समय सीमा पर अवैध निर्माण को गिराने का प्रावधान किया जा रहा हैं। प्रत्येक जिले में एक टास्क फोर्स बनाया जाएगा।इसकी जिम्मेदारी कलेक्टर की होगी।अवैध कॉलोनी का निर्माण करने वालों को न्यूनतम 7 साल तथा अधिकतम 10 साल की कैद का प्रावधान किया जा रहा है। अवैध कॉलोनी के लिए हर स्तर पर समय सीमा निर्धारित की जा रही है। अधिकारियों को निश्चित समय सीमा के अंतर्गत कार्रवाई करनी होगी। अन्यथा उनके ऊपर अनुशासात्मक कार्रवाई की जाएगी। गेहूं का समर्थन मूल्य 2585 मध्य प्रदेश सरकार को 9000 करोड रुपए की बचत भोपाल ईएमएस मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने गेहूं का समर्थन मूल्य ₹2600 प्रति क्विंटल पर गेहूं खरीदने की घोषणा की है। पिछली बार केंद्र सरकार द्वारा जो समर्थन मूल्य घोषित किया था। वह 2425 रूपये था। मध्य प्रदेश सरकार ने ₹2600 प्रति कुंटल का भुगतान किसानों को किया था। सरकार के खजाने से 175 रुपए की प्रोत्साहन राशि मध्य प्रदेश सरकार को देनी पड़ी थी। केंद्र सरकार ने अब गेहूं का समर्थन मूल्य 2585 रुपए घोषित किया है। ऐसी स्थिति में अब मध्य प्रदेश सरकार को केवल ₹15 प्रोत्साहन राशि के रूप में किसानों को अतिरिक्त देना होंगे। पिछले वर्ष मध्य प्रदेश सरकार ने 44 लाख टन गेहूं की खरीदी की थी। इसमें लगभग 9969 करोड रुपए की प्रोत्साहन राशि किसानों को दी गई थी।तब सरकार को 175 रुपए प्रति क्विंटल की प्रोत्साहन राशि देना पड़ रही थी। इस बार मध्य प्रदेश सरकार को केवल ₹15 प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि के रूप में देनी होगी।जिसके कारण मध्य प्रदेश सरकार को लगभग 9000 करोड रुपए की बचत होगी। उल्लेखनीय है, मध्य प्रदेश सरकार के ऊपर 72000 करोड रुपए का कर्ज़ समर्थन मूल्य पर खरीदी के कारण बना हुआ है। मध्य प्रदेश सरकार ने समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी केंद्र सरकार करे,इस आशय का पत्र केंद्र सरकार को लिखा था। केंद्र सरकार ने इस विषय पर कोई जवाब नहीं दिया है। मध्य प्रदेश सरकार को पिछले साल की तुलना में इस साल 9000 करोड रुपए प्रोत्साहन राशि में कम खर्च करना पड़ेगी। अभी केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश में गेहूं खरीदी का कोटा तय नहीं किया है। केंद्र सरकार उतना ही गेहूं खरीद करती है। जितना कोटा केंद्र तय करती है। यदि गेहूं का उत्पादन ज्यादा हुआ, तो आगे चलकर मध्य प्रदेश सरकार के लिए मुसीबत बढ़ सकती है। चार बड़ी भर्ती परीक्षाएं टली भोपाल ईएमएस मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल द्वारा 2025 में होने वाली चार बड़ी परीक्षाओं को टाल दिया गया है। जिन परीक्षाओं को टाला गया है।उसमें उच्च माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा, वनरक्षक -क्षेत्ररक्षक- जेल प्रहरी भर्ती परीक्षा। समूहु 03 उप यंत्री परीक्षा तथा आईटीआई प्रशिक्षण अधिकारी भर्ती परीक्षा इस साल आयोजित नहीं होगी। यह परीक्षायें कब होगी, इसके बारे में कोई जानकारी कर्मचारी चयन मंडल द्वारा नहीं दी गई है। कर्मचारी चयन मंडल द्वारा आबकारी आरक्षक परीक्षा कराई है। अभी इसके परिणाम आना शेष हैं। पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 30 अक्टूबर से शुरू होकर 15 दिसंबर तक चलेगी। सूबेदार तथा एएसआई भर्ती परीक्षा 17 दिसंबर 2025 तक चलेगी। पुलिस सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा 16 जनवरी 2026 से शुरू होगी।समूह दो संयुक्त भर्ती परीक्षा 2025 के आवेदन चयन मंडल मे आ चुके हैं। इसमें 1।60 लाख आवेदन पत्र मंडल को मिले हैं। यह भर्ती परीक्षा भी 23 जनवरी से शुरू होगी। मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल के पास इतने बड़े पैमाने में परीक्षा कराने के लिए परीक्षा केंद्र उपलब्ध नहीं है। केवल 25 से 30000 अभ्यर्थी ही 50 ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों में अभ्यार्थी परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। इस कारण को ध्यान में रखते हुए चार बड़ी परीक्षाओं को मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल द्वारा टाल दिया गया है। पराली को मिट्टी मैं मिलाने से खेतों की उर्वरक क्षमता बढी मोगा ईएमएस पंजाब के मोगा जिले के गांव रणसिंह कला में पिछले 6 साल से किसानों ने खेतों में पराली नहीं जलाई है।ग्राम पंचायत ने 2019 से पराली जलाने पर बैन लगा रखा है। गांव के 150 किसानों ने 1301 एकड़ खेत में फसल कटने के बाद मशीनों के जरिए पराली के छोटे हिस्से करके उसे खेत की मिट्टी में मिला दिया जाता है। पराली से खेतों में खाद बन जाती है। इस प्रक्रिया से खेतों की उर्वरक क्षमता बड़ी है। रासायनिक खाद की जरूरत 30 फ़ीसदी तक घट गई है। गांव के लोग पराली को गांठ बनाकर बेचकर अतिरिक्त आय भी प्राप्त कर रहे हैं अतिरिक्त आय भी प्राप्त कर रहे हैं। इस गांव के किसानों ने एक कृषि समिति बनाई है।पराली के लिए हैप्पी चिल्ड्रन सुपर सीटर और पल्लाव मशीने खरीदी है। इन मशीनों के जरिए पराली को खेत में मिला दिया जाता है। पराली को जलाने से खेत की मिट्टी के उर्वरक तत्व नष्ट होते थे। पराली को मिट्टी में मिला देने के बाद मिट्टी में जैविक कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की जैविक वृद्धि हुई है। जिसके कारण रासायनिक खाद की आवश्यकता 30% कम हो गई है। ग्राम पंचायत पुरस्कृत इस ग्राम पंचायत को तीन बार स्टेट और दो बार नेशनल अवार्ड मिला है। इस गांव को और भी कई पुरस्कार मिले हैं। इस ग्राम पंचायत द्वारा 2019 में पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया था। किसानों को कृषि समिति की तरफ से ₹500 प्रति एकड़ की आर्थिक मदद दी जाती है। इस साल इस राशि को बढ़ाकर 2500 रुपए कर दिया गया है। इस ग्राम पंचायत के किसानों द्वारा सामूहिक रूप से पराली को लेकर जो काम किया है। उससे खेत की मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने का काम किया है। रासायनिक खाद का उपयोग कम होने लगा है। किसानों को खाद के रूप में बचत हुई है। केंद्र एवं राज्य सरकार ने कोई अतिरिक्त सहायता नहीं दी है। पराली से रोजगार की संभावना गांव के युवा अब पराली को रोजगार का साधन बनाना चाहते हैं। इसके लिए बायोफ्यूल, गत्ता,खाद और मशरूम की खेती के लिए पराली का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं। सरकार द्वारा प्रशिक्षण दिए जाने की मांग भी यहां की ग्राम पंचायत ने की है।इस ग्राम पंचायत के लोग लगातार कृषि अधिकारियों से चर्चा कर रहे हैं।जो अतिरिक्त पराली निकल रही है। उसको रोजगार के नए अवसर के रूप में प्रयोग करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। एसजे / 24 नवम्बर 2025