क्षेत्रीय
26-Nov-2025
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तीनबत्ती से निकली डॉ. गौर की भव्य शोभायात्रा, गौर प्रांगण में हुआ मुख्य समारोह, अतिथियों ने किया संबोधित सागर (ईएमएस)। महान शिक्षाविद् एवं प्रख्यात विधिवेत्ता, विश्वविद्यालय, सागर के संस्थापक डॉ हरीसिंह गौर के 156वें जन्म दिवस के उपलक्ष्य में ‘गौर उत्सव’ 2025 का आयोजन 19 नवम्बर से 26 नवम्बर तक संपन्न हुआ। परम्परानुसार सुबह 8.30 बजे शहर के तीनबत्ती पर कुलपति प्रो. वाय. एस. ठाकुर द्वारा गौर मूर्ति पर माल्यार्पण कर उद्बोधन दिया।उद्बोधन के पश्चात् परम्परानुसार गौर शोभा यात्रा निकाली गई । बैंड बाजे के साथ भव्य शोभायात्रा (गौर अध्ययन केन्द्र एवं गौर जन्म स्थली होकर) तीन मढ़िया, बस स्टैंड, गोपालगंज व स्वीडिश मिशन होते हुए मुख्य मार्ग से विश्वविद्यालय परिसर पहुँची । अतिथियों ने गौर मूर्ति पर माल्यार्पण किया गौर समाधि पहुँच कर पुष्पांजलि अर्पित किया। एनसीसी विद्यार्थियों द्वारा गार्ड ऑफ़ आनर दिया गया। शहर के नागरिक, जनप्रतिनिधि, विद्यार्थी और आमजन इस शोभायात्रा का हिस्सा बने । शोभायात्रा का जगह-जगह स्वागत हुआ।महान दानवीर, विधिवेत्ता एवं डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के संस्थापक सर डॉ. हरीसिंह गौर की 156वीं जयंती के अवसर पर विश्वविद्यालय के गौर प्रांगण में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा डॉ. गौर के तैल चित्र पर पुष्प अर्पण के साथ मुख्य समारोह प्रारम्भ हुआ । संगीत विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी गई । कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं पूर्व आईपीएस कन्हैया लाल बेरवाल ने की । सारस्वत उद्‌बोधन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वाय. एस ने दिया । इस अवसर पर मुख्य अतिथि उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली के न्यायमूर्ति श्री सतीश चन्द्र शर्मा ने उद्बोधन दिया । अतिथि मंत्री, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत, सांसद लता वानखेड़े , राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति प्रो. जी.एस. वाजपेयी मंचासीन रहे और समारोह को संबोधित किया । गौर उत्सव के समन्वयक प्रो. आशीष वर्मा ने स्वागत भाषण दिया और गौर उत्सव-2025 का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया । विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. रणवीर सिंह, कुलसचिव डॉ. सत्यप्रकाश उपाध्याय और सह समन्वयक प्रो. यू. के. पाटिल मंचासीन थे। डॉ. गौर द्वारा कानून के क्षेत्र में किये गये कार्य आज भी मील का पत्थर हैं- न्यायमूर्ति सतीश चन्द्र शर्मा मुख्य अतिथि उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली के न्यायमूर्ति श्री सतीश चन्द्र शर्मा ने अपने बाल्यकाल की स्मृतियों को रेखांकित करते हुए कहा कि इसी विश्वविद्यालय के छात्र के रूप में उनके जीवन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा यहाँ बीता है । डॉ. गौर को याद करते हुए उन्होंने कहा कि आज हम सबके जीवन एक महत्त्वपूर्ण दिन है कि इस विश्वविद्यालय के संस्थापक का हम जन्मदिन मन रहे हैं । डॉ. गौर एक महान स्वप्न द्रष्टा थे । उन्होंने कानून के क्षेत्र में अनेकों ऐसे कार्य किये जो आज भी मील का पत्थर हैं । उन्होंने कहा कि डॉ गौर कठोर सजाओं के सदैव खिलाफ थे। उनका मानना था कि इंसान को कोई भी सजा ऐसी मिलनी चाहिए जिससे वह अपने जीवन में सुधार ला सके । अपने जीवन को बदल सके । इसलिए नहीं कि उसका जीवन यातनामय हो जाए । उनका मानना था कि काल-कोठरी जैसी व्यवस्था सजा का अमानवीय तरीका है । उन्होंने बताया कि डॉ. गौर सुधारात्मक कानूनों को लागू करना चाहते थे । उन्होंने सुप्रीम कोर्ट जैसी व्यवस्था की वकालत की । वे लड़कियों की कम उम्र में शादी के खिलाफ थे । ये सभी विचार आज बहुत ही प्रासंगिक हैं । वर्तमान सरकार ने बहुत से कानूनों की समीक्षा करके अप्रासंगिक कानूनों को हटा दिया गया है । आज लड़कियों की शादी की उम्र में भी बदलाव करते हुए कम उम्र में विवाह किये जाने पर कई कठोर कानून भी प्रचलन में आ गये हैं । हमें उनकी विरासत को आगे बढ़ाना है । उन्होंने विश्वविद्यालय की प्रगति की कामना की और कहा कि मेरा मानना है कि शिक्षा के केंद्र में वंचितों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए ताकि वंचित वर्ग भी विकास की मुख्य धारा से जुड़ सके । डॉ. गौर ने बुंदेलखंड धरती पर ज्ञान का प्रकाश फैलाया - कुलाधिपति कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं पूर्व आईपीएस श्री कन्हैया लाल बेरवाल ने कहा कि डॉ. गौर ने अपना सर्वस्व दान कर इस विश्वविद्यालय की स्थापना की थी । वे ज्ञान के अथक साधक थे, उन्होंने अपने स्वप्न को एक आकार दिया और बुंदेलखंड की इस धरती पर ज्ञान का प्रकाश फैलाया । वे एक सच्चे न्याय विद थे और उनके द्वारा विश्वविद्यालय के रूप में एक बहुत बड़ा वृक्ष लगाया । मेरा सभी से आग्रह है कि उनकी भावनाओं के अनुरूप इस विश्वविद्यालय का नाम रोशन करें । विश्वविद्यालय की प्रगति के लिए दृढ़ संकल्पित होकर कार्य करें । डॉ. गौर के प्रति हम सभी आजीवन ऋणी हैं, उनके सपनों और आदर्शों के अनुरूप कार्य करें - कुलपति प्रो. ठाकुर सारस्वत उद्‌बोधन देते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वाय. एस. ठाकुर ने डॉ. गौर की जीवन यात्रा को प्रस्तुत किया । उन्होंने कहा कि डॉ. गौर का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था । उन्होंने अपनी साधना और तप से अपनी ज्ञान यात्रा को आगे बढ़ाया और विदेश तक पढने गए । विश्वविद्यालय की स्थापना करके उन्होंने इस अंचल को ज्ञान प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त किया । डॉ. गौर के प्रति हम सभी आजीवन ऋणी रहकर उनके सपनों और आदर्शों के अनुरूप विश्वविद्यालय की प्रगति के लिए कार्य करेंगे यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी । उन्होंने विश्वविद्यालय की प्रगति एवं उपलब्धियों का भी आख्यान प्रस्तुत किया और बताया कि वर्तमान में विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप कार्य करते हुए विद्यार्थियों के समग्र व्यक्तित्व के विकास की दिशा में अग्रसर होकर कार्य कर रहा है । मेहनत की कमाई को सार्वजनिक हित में दान कर देना डॉ. गौर के महान व्यक्तित्व का परिचायक है - मंत्री राजपूत मध्य प्रदेश शासन के कैबिनेट मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत ने कहा कि विश्वविद्यालय आने पर मुझे छात्र जीवन की याद आ जाती है । हम सब आज जो कुछ भी हैं इस विश्वविद्यालय की वजह से हैं और इन सबके लिए हमें डॉ. गौर के प्रति ऋणी रहना चाहिए । डॉ. गौर ने कठिनतम समय में यह विश्वविद्यालय स्थापित किया जब कोई सोच भी नहीं सकता था । उनके पास बड़े शहरों में भी विश्वविद्यालय खोलने के प्रस्ताव आये लेकिन उन्होंने अपनी मातृभूमि को इसके लिए चुना । उनकी कल्पना, उनकी सोच बहुत व्यापक थी । स्वयं की मेहनत की कमाई को सार्वजनिक हित में दान कर देना उनके जैसे महान व्यक्तित्व ही कर सकते हैं । आज उनको याद करने का दिन है । जिन लोगों की भावनाएं डॉ. गौर से जुड़ी हैं उनसे निवेदन है कि वे अपने जीवन में अपनी परंपरा में गौर साहब को संजोये रखें । डॉ. गौर के पद चिन्हों पर चलकर उनकी विरासत को संजोयें - डॉ. लता वानखेड़े सागर लोकसभा की सांसद डॉ. लता वानखेड़े ने कहा कि डॉ. गौर हमारे अभिमान हैं. विश्वविद्यालय उनकी विरासत है। विश्वविद्यालय की स्थापना एक महान शख्सियत की निःस्वार्थ सेवा का प्रतीक है । हम सब खुश किस्मत हैं कि हम यहाँ के विद्यार्थी रहे हैं । आज जो कुछ भी हम बन पाए, कर पाए उनकी वजह से कर पाए हैं । आज उनके जन्म दिवस पर हम संकल्प लें कि उनके पद चिन्हों पर चलकर उनकी विरासत को संजोयें और अपनी मन की भावनाओं से उनको हमेशा स्मरण रखकर आगे बढ़ें और देश हित में कार्य करें । सभ्य और संवेदनशील नागरिकों का निर्माण करना ही शिक्षा केन्द्रों का दायित्व है - प्रो. बाजपेयी राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति प्रो. जी.एस. वाजपेयी ने कहा कि डॉ. गौर संघर्ष के प्रतीक हैं । एक व्यक्ति जब सोच लेता है और अपनी सोच के अनुरूप अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ता है तो बाधाएं होते हुए भी उसकी दृढ़ता और उसका संघर्ष उसे मंजिल तक पहुंचा ही देता है । डॉ. गौर ऐसे ही संघर्षशील व्यक्तित्व थे । उन्होंने आइडिया ऑफ़ यूनिवर्सिटी पर बात रखते हुए विश्वविद्यालयों की प्रासंगिकता, उनके महत्त्व और उनकी भूमिका पर चर्चा की । उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य केवल ज्ञान का प्रसार करना नहीं था बल्कि समाज में योगदान करना भी है । न्यायमूर्ति सतीश शर्मा एवं प्रो. वाजपेयी ने पिता की स्मृति में स्वर्ण पदक पुरस्कार शुरू किये जाने की घोषणा की अपने उद्बोधन के बाद न्यायमूर्ति सतीश शर्मा एवं प्रो. वाजपेयी ने पिता की स्मृति में स्वर्ण पदक पुरस्कार प्रारंभ किये जाने की घोषणा की । आगामी गौर जयन्ती से प्रतिवर्ष उनके द्वारा प्रदत्त राशि से मेधावी विद्यार्थियों क यह राशि प्रदान की जायेगी. न्यायमूर्ति शर्मा द्वारा प्रदत्त राशि से इतिहास विभाग के मेधावी विद्यार्थी को यह राशि प्रदान की जायेगी । प्रो. बाजपेयी द्वारा प्रदत्त राशि से अपराध शास्त्र एवं न्यायिक विज्ञान के मेधावी विद्यार्थी को राशि प्रदान की जायेगी । डॉ. गौर चेयर की स्थापना के लिए राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय प्रदान करेगा 10 लाख की राशि, प्रतिवर्ष पांच विद्यार्थी कर सकेंगे इंटर्नशिप राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति प्रो. जी. एस. बाजपेयी ने घोषणा की कि विधि विभाग में प्रस्तावित डॉ. गौर चेयर की विधिवत स्थापना और संचालन के लिए राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के सहयोग से 10 लाख रूपये की राशि प्रदान की जायेगी और आगामी दिनों में इस हेतु औपचारिक प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी । उन्होंने यह भी कहा कि विधि विभाग के प्रतिवर्ष पांच विद्यार्थी राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में पेड इंटर्नशिप कर सकते हैं । इसके लिए भी आगामी दिनों में औपचारिकता पूर्ण कर यह सुविधा विद्यार्थियों के लिए प्रारम्भ हो जायेगी । अतिथियों ने किया पुस्तकों का विमोचन, पुरस्कार वितरण और मेधावी छात्रों को किया पुरस्कृत मंचासीन अतिथियों द्वारा विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा लिखित पुस्तकों का विमोचन किया गया । विभिन्न दान दाताओं द्वारा प्रदत्त राशियों से विभिन्न विभाग एक कक्षाओं के मेधावी छात्र-छात्राओं को मंचासीन अतिथियों द्वारा पदक एवं राशि प्रदान की गई । संचार एवं पत्रकारिता विभाग के प्रायोगिक पत्र ‘समय’ का भी विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया । विभिन्न खेलकूद के विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया । सिंगल गर्ल चाइल्ड और दिव्यांग श्रेणी के विद्यार्थियों को मिली 25000 की राशि गौर पीठ के तहत प्राप्त दान राशि से सिंगल गर्ल चाइल्ड और दिव्यांग श्रेणी में स्नातक प्रथम वर्ष के एक-एक मेधावी विद्यार्थियों को अध्ययन जारी रखने हेतु आर्थिक सहायता के रूप में पचीस हजार रूपये एक मुश्त राशि प्रदान की गई । विश्व के सर्वश्रेष्ठ दो प्रतिशत सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों की सूची में शामिल शिक्षकों का हुआ सम्मान विश्व के सर्वश्रेष्ठ दो प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में शामिल विश्वविद्यालय के 11 शिक्षकों एवं एक शोधार्थी का भी सम्मान मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया । संविधान की उद्देशिका का हुआ वाचन संविधान दिवस के अवसर पर संविधान की उद्देशिका का वाचन करते हुए कुलपति प्रो. वाय एस ठाकुर ने संविधान के प्रति आस्थावान रहने की शपथ दिलाई । यह कार्यक्रम आंबेडकर अध्ययन केंद्र के सौजन्य से संपन्न हुआ । केंद्र की निदेशक प्रो. चंदा बेन ने शपथ कार्यक्रम में सहयोग किया।कार्यक्रम का संचालन डॉ. शशि कुमार सिंह एवं डॉ. शालिनी चोइथरानी ने किया । आभार ज्ञापन प्रभारी कुलसचिव डॉ. सत्यप्रकाश उपाध्याय ने किया । इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षक, अधिकारी, शहर के गणमान्य नागरिक, जन प्रतिनिधि, विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी, विद्यार्थी एवं पत्रकारगण उपस्थित थे। निखिल सोधिया/ईएमएस/26/11/2028