अंतर्राष्ट्रीय
27-Nov-2025
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-46 साल पहले छोड़े मिशन, पूरा कर रहे ट्रंप, क्या होगा ताइवान का भविष्य? वाशिंगटन,(ईएमएस)। 1 जनवरी 1979 अमेरिका-चीन रिश्तों के इतिहास में ये साल काफी अहम माना जाता है। ये वही साल था, जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने चीन के साथ औपचारिक संबंध स्थापित किए थे। ये एक ऐतिहासिक मोड़ था, क्योंकि अमेरिका ने बीजिंग को चीन का वैध प्रतिनिधि माना था। इसके साथ ही ताइवान के साथ औपचारिक कूटनीतिक रिश्ते खत्म कर दिए थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने इस रणनीति के तहत सोवियत संघ के प्रभाव को संतुलित करने की नीति अपनाई। इस बदलाव ने दोनों पक्षों के बीच व्यापार, वैज्ञानिक-सांस्कृतिक सहयोग और रणनीतिक समन्वय के रास्ते खोल दिए या यूं कहें कि दोनों देशों के बीच औपचारिशत रिश्तों की शुरुआत हो गई। 45 साल के बाद एक बार फिर पिछले चार सालों में अमेरिका-ताइवान और अमेरिका-चीन नीतियों में तेजी से उतार-चढ़ाव दिखा है। डोनाल्ड ट्रंप के पहले राष्ट्रपति कार्यकाल में ही अमेरिका ने ताइवान को बहुआयामी सैन्य और सुरक्षा समर्थन बढ़ाकर संबंधों को मजबूत किया। ताइवान को हथियार बेचे और उच्च स्तरीय संपर्क भी बढ़ गया। यह नीति कार्टर की नीति से अलग एक अधिक निर्णायक और अलग किस्म की नीति थी। लगा कि ट्रंप ताइवान को समर्थन दे रहे हैं, लेकिन इस वक्त तस्वीर कुछ अलग ही नजर आ रही है। साल 2025 में ट्रंप प्रशासन ने फिर से चीन के साथ संवाद को ताइवान के मुद्दे पर प्राथमिकता दी है, जिस तरह डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग की दक्षिण कोरिया में मुलाकात हुई और समझौते हुए, ये उसकी शुरुआत थी। व्यापार/कस्टम समझौतों ने संकेत दिए कि दोनों अर्थव्यवस्थाएं तनाव कम कर आर्थिक लाभ पर लौटना चाहती हैं। इसके बाद दोनों नेताओं के बीच ताइवान के मसले पर भी फोन पर बात हुई और अब ये तय हो गया है कि ट्रंप चीन की यात्रा जल्द करेंगे, जबकि शी जिनपिंग भी अगले साल अमेरिका के दौरे पर आएंगे। ये सब कुछ ताइवान मुद्दे के साथ ही तय हुआ है, तो मतलब साफ है, इस वक्त ट्रंप ताइवान पर किसी सख्त रुख के मूड में नहीं हैं। इस नए रुख की विशेषता है- व्यापार निर्भरता, टुकड़ों में सहमति और निजी राजनयिक पहल। जिमी कार्टर का फैसला चीन को वैश्विक व्यवस्था में शामिल करने का था। मौजूदा हालात में फर्क यह है कि कार्टर का लक्ष्य रूस के खिलाफ सामरिक संतुलन था, जबकि 2025 ट्रंप की पहले ज्यादा आर्थिक ट्रांजेक्शन और समिट डिप्लोमेसी पर आधारित है। इस मायने में ट्रंप किसी हद तक कार्टर के उद्देश्य यानि चीन के सामाजिक और आर्थिक समावेश की दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन इस वक्त हालात अलग हैं। चीन की वन चाइना पॉलिसी को सहमति दी थी लेकिन इसका मकसद रूस को संतुलित करना था लेकिन अभी रूस और चीन एक साथ हैं। सिराज/ईएमएस 27 नवंबर 2025