लंदन (ईएमएस)। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने अब मिल्की वे गैलेक्सी से भी अधिक चौंकाने वाली खोज की है। ताजा खोज रुबिन ऑब्जर्वेटरी ने की है, जो अभी पूरी तरह से चालू भी नहीं हुई है। दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल कैमरा एलएसएसटी कैम इस ऑब्जर्वेटरी में लगा है, जिसकी क्षमता 3.2 गीगापिक्सल है। इसी कैमरे ने अंतरिक्ष में एक ऐसा ‘छिपा हुआ ब्रह्मांड’ दिखाया है जो वैज्ञानिकों को पहले कभी नहीं दिखा था। यह है तारों की एक अत्यंत विशाल धारा जो मेसियर 61 (एम61) गैलेक्सी के चारों ओर फैली हुई है इतनी बड़ी कि हमारी मिल्की वे भी इसके सामने छोटी दिखे। वैज्ञानिकों के अनुसार यह तारों की धारा लगभग 1.7 लाख प्रकाश वर्ष लंबी और करीब 10,000 प्रकाश वर्ष चौड़ी है। तुलना के लिए, हमारी मिल्की वे की चौड़ाई लगभग 1 लाख प्रकाश वर्ष है। यानी यह धारा हमारी पूरी गैलेक्सी से भी बड़ी है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह एक ड्वार्फ गैलेक्सी का अवशेष है, जिसे एम61 गैलेक्सी ने अपने गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से निगल लिया था। यह तारों का मानो “कब्रिस्तान” है, जिसकी वास्तविक पहचान अब जाकर सामने आई है। यह अवशेष एम61 के केंद्र में भी उथल-पुथल मचा रहा है, जहां एक सुपरमैसिव ब्लैक होल मौजूद है। हमारी मिल्की वे का ब्लैक होल शांत है, लेकिन M61 का ब्लैक होल बेहद सक्रिय है और लगातार गैस तथा तारों को निगल रहा है। इससे इतनी शक्तिशाली ऊर्जा निकल रही है कि वैज्ञानिक इसे एक “गैलेक्टिक स्टॉर्म” की तरह देख रहे हैं। सैन जोस स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक एरॉन रोमनोव्स्की बताते हैं कि इस धारा की ग्रेविटी ने एम61 को हिलाकर रख दिया है और ब्लैक होल को मानो ईंधन मिलता जा रहा है। टाइडल फोर्स के कारण ड्वार्फ गैलेली के टुकड़े उड़ गए और वह एक लंबी चमकदार धारा में बदल गई। आश्चर्य की बात यह है कि यह धारा सूरज से 10 करोड़ गुना अधिक चमकदार है, फिर भी यह अब तक दिखाई नहीं दी क्योंकि इसे देखने के लिए अत्याधुनिक तकनीक जरूरी थी। वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्रह्मांड में बड़ी गैलेक्सियाँ इसी प्रक्रिया से बढ़ती हैं छोटी गैलेक्सी को खाकर। रुबिन ऑब्जर्वेटरी का 10 वर्षीय मिशन एलएसएसटी इस तरह की और कई छिपी संरचनाओं को उजागर करेगा। शोधकर्ताओं के अनुसार यह खोज दिखाती है कि रुबिन ऑब्जर्वेटरी ब्रह्मांड के अंधेरे हिस्सों को रोशन करने में किस स्तर की ताकत रखती है। सुदामा/ईएमएस 28 नवंबर 2025