इस्लामाबाद,(ईएमएस)। पाकिस्तान की राजनीति और सेना के रिश्तों पर चल रही तीखी बहस के बीच जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (एफ) के प्रमुख और पूर्व सांसद मौलाना फजल-उर-रहमान ने सेना पर बड़ा हमला बोला है। एक जनसभा में उन्होंने कहा, कि पाकिस्तान की सेना देश की लगातार बेइज्जती करा रही है और 1971 की जंग में हुए ऐतिहासिक आत्मसमर्पण ने पाकिस्तान का सिर हमेशा के लिए झुका दिया। पाक नेता अब सेना और सरकार के खिलाफ खुलकर कटाक्ष करने लग गए हैं। मौलाना फजल-उर-रहमान ने बीते रविवार कहा था, कि एक हिंदू (भारतीय जनरल) के सामने पाकिस्तान के 90 हजार से ज्यादा सैनिकों ने सरेंडर किया था। उसी दिन मुल्क की इज्जत मिट्टी में मिल गई थी। उनका इशारा भारतीय सेना के जनरल सैम मानेकशॉ और लेफ्टिनेंट जनरल जेएस अरोड़ा की ओर था, जिनके नेतृत्व में भारत ने 1971 में जीत हासिल की थी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान उसी दिन दुनिया के सामने अपमानित हो गया था और उसकी मानसिकता आज तक नहीं बदली। फजल-उर-रहमान ने कहा कि 1971 की जंग की हार से पाकिस्तान आज तक उबर नहीं पाया है, क्योंकि वही सोच और वही गलत फैसले आज भी जारी हैं। उनके मुताबिक सेना अपनी गलतियों को छिपाती है, असल सच्चाई जनता तक नहीं आने देती और राजनीतिक नेतृत्व पर दबाव बनाती रहती है। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान की टूटी अर्थव्यवस्था, बढ़ती महंगाई, और बेरोजगारी भी सेना की नाकाम नीतियों का नतीजा हैं। मौलाना फजल-उर-रहमान ने कहा, कि जो लोग देश को इस हाल तक ले आए, वे खुद को हीरो बताते फिर रहे हैं, लेकिन जनता सब जानती है। उसे बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता। यहां बताते चलें कि मौलाना फजल-उर-रहमान लंबे समय से पाकिस्तान की मिलिट्री और सत्ता प्रतिष्ठान के कटु आलोचक रहे हैं। उन्होंने कई बार संसद सदस्य के रूप में सेवा दी है और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के कड़े विरोधी माने जाते हैं। 2019 में वे इमरान सरकार के खिलाफ आज़ादी मार्च भी निकाल चुके हैं, जिसमें हजारों समर्थकों ने इस्लामाबाद में प्रदर्शन किया था। फजल-उर-रहमान के हालिया बयान ने पाकिस्तान में फिर से बहस छेड़ दी है कि क्या सेना देश की राजनीति और नीतियों पर अपनी पकड़ ढीली करेगी या फिर राजनीतिक नेता ऐसे ही इसके खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे। हिदायत/ईएमएस 26नवंबर25