कोलकाता,(ईएमएस)। पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग द्वारा चलाया जा रहा विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान अब पूरी तरह राजनीतिक जंग का मैदान बन चुका है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर खुलेआम हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि एसआईआर के नाम पर राज्य में लाखों वैध मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं, खासकर सीमावर्ती इलाकों में बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर निकालने की आड़ में अल्पसंख्यक और गरीब वोटरों को निशाना बनाया जा रहा है। टीएमसी का सबसे गंभीर आरोप यह है कि एसआईआर शुरू होने के बाद से अब तक राज्य में 40 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें कई बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) भी शामिल हैं। पार्टी ने शुक्रवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार से मुलाकात कर पांच सवाल पूछे, लेकिन एक का भी जवाब नहीं मिलने का दावा किया। राज्यसभा सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा, हम एसआईआर का विरोध नहीं कर रहे, बल्कि इसके अमानवीय और अव्यवस्थित तरीके का विरोध कर रहे हैं। चुनाव आयोग के हाथ खून से रंगे हैं। वहीं, चुनाव आयोग ने टीएमसी के सभी आरोपों को खारिज करते हुए इन्हें निराधार और राजनीति से प्रेरित बताया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने साफ कहा कि बीएलओ पर दबाव काम का नहीं, बल्कि स्थानीय टीएमसी कार्यकर्ताओं की धमकियों और दबाव का नतीजा है। आयोग का दावा है कि तृणमूल नहीं चाहती कि मृत, स्थानांतरित, डुप्लीकेट या अवैध (खासकर बांग्लादेशी) मतदाताओं के नाम हटाए जाएं, क्योंकि ये उनके वोट बैंक का हिस्सा हैं। आयोग ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी और कोलकाता पुलिस कमिश्नर को तुरंत पत्र लिखकर सभी बीएलओ की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। हाल ही में सीईओ कार्यालय में सुरक्षा चूक की घटना के बाद आयोग ने कार्यालय को अधिक सुरक्षित जगह पर शिफ्ट करने और मौजूदा भवन की सुरक्षा बढ़ाने को कहा है। टकराव को और गहरा करने के लिए चुनाव आयोग ने बड़ा कदम उठाया है। सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सुब्रत गुप्ता (1990 बैच, पश्चिम बंगाल कैडर) को ‘स्पेशल रोल ऑब्ज़र्वर’ नियुक्त किया गया है। इसके अलावा 12 अन्य आईएएस अधिकारियों को ‘इलेक्टोरल रोल ऑब्ज़र्वर’ बनाया गया है। ये अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई पात्र भारतीय नागरिक मतदाता सूची से बाहर न रहे और कोई अपात्र (विदेशी) व्यक्ति सूची में शामिल न हो। चुनाव आयोग ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि स्लम, ऊंची इमारतों और कॉलोनियों में भी मतदान केंद्र बनाए जाएं, जैसा पूरे देश में होता है। टीएमसी की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए आयोग ने चेतावनी दी है कि निर्देशों का पालन न करने पर कठोर कार्रवाई होगी। सीमावर्ती जिलों से लगातार वीडियो और तसवीरें वायरल हो रही हैं, जिनमें लोग कथित तौर पर भारत-बांग्लादेश सीमा पार करते दिख रहे हैं। टीएमसी इसे “वोट काटने की साजिश” बता रही है, जबकि ईसी का कहना है कि यह घुसपैठिए वापस अपने देश जा रहे हैं, क्योंकि अब उनका नाम वोटर लिस्ट में नहीं रहेगा। फिलहाल दोनों पक्ष अपनी-अपनी जगह अड़े हुए हैं। एक तरफ ममता बनर्जी और टीएमसी सड़क से संसद तक आंदोलन की धमकी दे रहे हैं, तो दूसरी तरफ चुनाव आयोग संविधान के अनुच्छेद 326 का हवाला देकर साफ कर रहा है – वोट का अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिक को है, किसी विदेशी को नहीं। आने वाले दिनों में यह टकराव और भयंकर रूप ले सकता है। वीरेंद्र/ईएमएस 30 नवंबर 2025