नई दिल्ली(ईएमएस)। राजधानी दिल्ली और एनसीआर की आबोहवा इस साल पिछले कई वर्षों की तुलना में काफी बेहतर रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से नवंबर 2025 तक दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सिर्फ 187 रहा। यह कोविड लॉकडाउन वाले साल 2020 को छोड़कर पिछले आठ साल में सबसे कम है। तुलनात्मक रूप से देखें तो 2024 में यह औसत 201, 2023 में 190, 2022 में 199, 2021 में 197, 2019 में 203 और 2018 में 213 था। यानी लगातार दूसरे साल दिल्ली की हवा में सुधार का सिलसिला जारी है। गंभीर प्रदूषण के दिन भी इस बार काफी कम रहे। 2025 में अब तक महज तीन दिन ही एक्यूआई 400 के पार (सीवियर कैटेगरी) गया, जबकि 2024 में ऐसे 11 दिन, 2023 में 12 दिन और 2021 में 17 दिन थे। सबसे राहत देने वाली बात यह है कि इस साल एक भी दिन एक्यूआई 450 से ऊपर (सीवियर प्लस) नहीं पहुंचा, जो पहले हर साल नवंबर-दिसंबर में आम था। प्रदूषकों के स्तर में भी उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। इस साल दिल्ली का औसत पीएम 2.5 स्तर 85 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा, जो 2018 के बाद सबसे कम और लॉकडाउन वर्ष 2020 के बराबर है। पिछले साल यह 98 (2024), 90 (2023) और 2018 में 103 था। इसी तरह पीएम 10 का औसत स्तर 183 माइक्रोग्राम रहा, जो 2024 के 205, 2023 के 193 और 2018 के 228 की तुलना में काफी बेहतर है। हालांकि, आम आदमी पार्टी के दिल्ली अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने इन आंकड़ों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने जानबूझकर एक्यूआई डेटा में हेरफेर किया और कई बार 500-700 तक पहुंच चुके एक्यूआई को 300-400 के बीच दिखाया गया ताकि ग्रेप-3 और ग्रेप-4 की सख्त पाबंदियां न लगें और निर्माण कार्य भी बिना रुकावट चलते रहें। दूसरी तरफ, कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रेप) के नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। अब ‘सीवियर (स्टेज 4) के कई उपायों को स्टेज3 में ही लागू करने का प्रावधान कर दिया गया है। इससे राज्य सरकारों को अधिकार मिल गया है कि वे तय करें कि सरकारी, प्राइवेट और नगर निगम के दफ्तरों में कितने प्रतिशत कर्मचारी बुलाए जाएं और बाकी को वर्क फ्रॉम होम दिया जाए। केंद्र सरकार अपने दफ्तरों के लिए अलग से फैसला लेगी। कुल मिलाकर, आंकड़े बता रहे हैं कि दिल्ली की हवा लगातार साफ हो रही है, पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी उतने ही तेज हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पराली जलाने पर लगाम, वाहनों के उत्सर्जन नियंत्रण और धूल प्रबंधन में सुधार ही इस बेहतरी की मुख्य वजह हैं। वीरेंद्र/ईएमएस/01दिसंबर2025