अंतर्राष्ट्रीय
01-Dec-2025


इस्लामाबाद(ईएमएस)। पाकिस्तान में सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की ताकत बढ़ाने वाले 27वें संवैधानिक संशोधन को लेकर देश अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार किरकिरी झेल रहा है। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने शुक्रवार को जिनेवा से जारी बयान में कड़ी आलोचना की थी। इसके बाद पाकिस्तान ने सफाई पेश करते हुए कहा कि यह उसके आंतरिक और संप्रभु मामले हैं। वोल्कर तुर्क ने कहा कि पिछले साल के 26वें संशोधन की तरह 27वें संशोधन को भी बिना कानूनी विशेषज्ञों, बार काउंसिल और नागरिक समाज से व्यापक परामर्श के जल्दबाजी में पारित किया गया। उन्होंने चेतावनी दी कि इन संशोधनों से न्यायिक स्वतंत्रता कमजोर हुई है और सैन्य जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। यूएन प्रमुख ने इसे लोकतंत्र और कानून के शासन के लिए खतरा बताया। जवाब में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को बयान जारी कर कहा, “सभी संसदीय लोकतंत्रों में संविधान संशोधन जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों का विशेषाधिकार होता है।” बयान में यूएन की टिप्पणी को “राजनीतिक पूर्वाग्रह और गलत सूचना से प्रेरित”करार दिया गया। पाकिस्तान ने दावा किया कि वह मानवाधिकार, मानवीय गरिमा, बुनियादी स्वतंत्रताओं और कानून के शासन की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। साथ ही उच्चायुक्त से संसद के संप्रभु फैसलों का सम्मान करने की अपील की गई। इस महीने की शुरुआत में सीनेट और नेशनल असेंबली की संयुक्त समिति ने 27वें संशोधन विधेयक को मंजूरी दी थी। इसके तहत अनुच्छेद 243 में संशोधन कर ज्वॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष की जगह नया पद “प्रमुख रक्षा अध्यक्ष”बनाया गया है। विपक्ष का दावा है कि यह पद जनरल असीम मुनीर के लिए खासतौर पर बनाया गया है ताकि रिटायरमेंट के बाद भी उनकी पकड़ बनी रहे। साथ ही एक नया “संघीय संवैधानिक न्यायालय”बनाने और मौजूदा सुप्रीम कोर्ट की मूल अधिकारों व संवैधानिक व्याख्या संबंधी शक्तियों को सीमित करने का प्रावधान किया गया है। विपक्षी दलों ने इसे “न्यायपालिका पर कब्जा” और “लोकतंत्र की हत्या”करार दिया है।अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बावजूद पाकिस्तान सरकार इन संशोधनों को लागू करने पर अड़ी है। जानकार मानते हैं कि सेना और सत्ता गठबंधन के बीच सांठ-गांठ से ये बदलाव लाए गए हैं, जिससे देश में संस्थानों का संतुलन बुरी तरह बिगड़ गया है। वीरेंद्र/ईएमएस/01दिसंबर2025