राष्ट्रीय
01-Dec-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)। इनदिनों जिहाद शब्द फिर से सुर्खियों में है। इस ज्वंलत मुद्दे पर मुस्लिम समाज के दो बड़े नेता अब आमने-सामने आ गए हैं। जमात-ए-उलेमा हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी और बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने जिहाद शब्द को लेकर एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दोनों ही जिहाद का अर्थ जुल्म के खिलाफ उठाई जाने वाली आवाज को बता रहे हैं। लेकिन उनके बीच मतभेद हैं? मदनी ने जमीयत उलमा-ए-हिंद के कार्यक्रम में कहा कि इस्लाम और मुसलमानों के दुश्मनों ने जिहाद जैसे इस्लाम के पवित्र विचारों को गलत इस्तेमाल, गड़बड़ी और हिंसा से जुड़े शब्दों में बदला है। जिहाद का प्रयोग जहां जंग के लिए हुआ है, वह भी जुल्म और फसाद के खात्मे के लिए हुआ है। इसकारण जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा। वहीं, आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि किसी गरीब पर जुल्म और उत्पीड़ने के खिलाफ आवाज उठाना बेशक जिहाद है, लेकिन ये लोग बच्चों को जिहाद की परिभाषा क्या पढ़ाते हैं। दरअसल देवबंद में पढ़ाई जाने वाली कुछ पुस्तकों का हवाला देकर कहा कि बच्चों को शरीयत में जिहाद की परिभाषा बताते हैं कि कोई व्यक्ति इस्लाम को न माने, तब उसके खिलाफ लड़ना जिहाद है। उन्होंने कहा कि यह बात, मेरी नहीं बल्कि उनकी किताब से है। कुरान कभी भी जबरन धर्म परिवर्तन की बात नहीं करता। वास्तव में जिहाद का मतलब इंसानियत की रक्षा करना है। जिहाद शब्द का अलग-अलग अर्थ निकाले जाते हैं, इसकारण आज समाज में जिहाद को नकारात्मक रूप में देखा जाता है। इसके बाद जिहाद को कुरान की रोशनी और पैगम्बर साहब के कथनों से लिहाज से देख सकते है। जिहाद अरबी का शब्द है, जिसका अर्थ संघर्ष करना। अरबी भाषा में हर प्रकार के संघर्ष के लिए जिहाद का उपयोग होता है। हदीस के हवाले से चार तरह के जिहाद माने हैं, जो हैं, दिल से, जुबान से, हाथ से और तलवार से। इसमें दिल से जिहाद का अर्थ है अपने भीतर बसी बुराइयों के शैतान से लड़ना बताया गया है। वहीं जुबान से जिहाद का अर्थ है सच बोलना और इस्लाम के पैगाम को फैलाना है। हाथ से जिहाद का मतलब है अन्याय या गलत का शारीरिक बल से मुकाबला करना, जिसमें हथियार वर्जित बताया गया है। चौथा तलवारी या सशस्त्र जिहाद है, जो सब जानते ही हैं। इस्लामी स्कॉलर मुफ्ती ओसामा नदवी कहते हैं कि जिहाद का अर्थ इस्लाम में युद्ध से नहीं है। जिहाद को महज युद्ध से जोड़कर नहीं देखना चाहिए, क्योंकि अरबी-इस्लाम में भाषा में युद्ध के लिए अलग शब्द गजवा या मगाजी का उपयोग होता है। जिहाद को लेकर बहुत गलतफहमियां हैं। मौजूदा दौर में मुस्लिम जगत के कट्टरपंथियों ने मारकाट को जिहाद का नाम दे दिया है। वहीं, पश्चिमी जगत जिहाद को पवित्र युद्ध के रूप में पेश करता है इस्लाम में कुरान और हदीस के हिसाब से दोनों व्याख्याएं गलत हैं। जिहाद किताल का मायने क्या है? किताली जिहाद को पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने सैनिक शक्ति के प्रयोग के लिए किया है, लेकिन इसे निम्न जिहाद माना। इस अर्थ में यह शब्द अपने बचाव के लिए हैं। इसके अलावा, इस्लाम और मुसलमानों की रक्षा के लिए प्रयोग होता है। पैगंबर जब मक्के से मदीने गए, तब मक्के के उनके विरोधी जंग करने के लिए आए थे। इसके बाद नवगठित मुस्लिम समाज को सुरक्षा और स्थायित्व का खतरा, जिसके लिए किताली जिहाद किया गया। जिहाद सब्र से लेकर किताल यानी मक्का के अत्याचारियों के खिलाफ आत्मरक्षा में मारकाट और हत्याओं तक बदल गया। दुनिया भर में किताली जिहाद ही गुरिल्ला या सैनिक युद्ध ही सबसे बड़ा जिहाद बन गया है। जिहाद सब्र से सैफ तक बदल गया। सैफ का मतलब सशस्त्र युद्ध से है। मुस्लिम जगत में कट्टरपंथियों का एक मुस्लिम गुट दूसरे मुस्लिम समूह के विरुद्ध जिहाद पुकारता है। इस तरह से जिहाद का अर्थ ही सशस्त्र युद्ध बन गया है। इस तरह जिहाद की कुरान की मूल संकल्पना से पूरी तरह से बदला हुआ दिखता है। आशीष दुबे / 01 दिसंबर 2025