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02-Dec-2025
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ट्रैकिंग डिवाइस से जासूसी, लोगों की निजता के चलते लिया फैसला नई दिल्ली,(ईएमएस)। केंद्र सरकर की सेटेलाइट से टोल टैक्स वसूलने की योजना अधर में लटक गई है। फिलहाल इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। वाहनों में ट्रैकिंग डिवाइस लगाने से जासूसी की आशंका और आम लोगों की निजता से समझौता होने की चिंता के चलते यह कदम उठाया गया है। सरकार भी साफ कर चुकी है कि 1 मई से सैटेलाइट से टोल कलेक्शन को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय राजमार्गों को टोल प्लाजा मुक्त करने और जितनी दूरी, उतना टोल टैक्स के सिद्धांत पर आधारित जीएनएसएस को स्थगित कर दिया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकों की गोपनीयता को ध्यान में रखते हुए लिया गया। इस तकनीक के तहत हर वाहन में ऑन-बोर्ड यूनिट ट्रैकिंग डिवाइस लगाना अनिवार्य था। इससे वाहन की रूट, स्टॉपेज, गति और गंतव्य जैसी जानकारी रिकॉर्ड होती थी। अधिकारी के मुताबिक इस डाटा के दुरुपयोग से आम नागरिकों के निजी जीवन में दखल और वीआईपी मूवमेंट की जानकारी लीक होने का खतरा था, जो सुरक्षा के लिहाज से जोखिम भरा है। सरकार ने बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेसवे और हरियाणा के कुछ हिस्सों में इसका ट्रायल किया था। योजना के मुताबिक हाईवे पर जितनी दूरी गाड़ी तय करेगी, सैटेलाइट के जरिए उतनी ही राशि सीधे बैंक खाते से कट जाती। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव ने बताया कि सैटेलाइट आधारित टोल संग्रह योजना को स्थगित कर दिया गया है। इस तकनीक से वाहन की लोकेशन और वाहन चालक का डाटा ट्रैक किया जाना संभव था। अब मंत्रालय ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन योजना पर काम कर रही है, जिसमें किसी डिवाइस की जरूरत नहीं होगी। हाईवे पर लगे कैमरे नंबर प्लेट पढ़कर मौजूदा फास्टैग वॉलेट से ही टोल राशि काट देंगे। सिराज/ईएमएस 02दिसंबर25 ---------------------------------