03-Dec-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। आज हमारी जिंदगी डिजिटल सिस्टम पर निर्भर हो गई है। कई सालों तक ये सिग्नल सही चलते रहे, लेकिन पिछले एक साल में इसमें डर पैदा करने वाली गड़बड़ियां आने लगी हैं। दिल्ली के आसमान में उड़ रहे विमान हों या समुद्रों के पास उड़ान भरने वाले हवाई जहाज, पायलटों ने बताया कि उनके नेविगेशन सिस्टम अचानक गलत दिशा दिखा रहे है। कई बार विमान की असली जगह से सैकड़ों किलोमीटर दूर की लोकेशन दिखाई देने लगी। अब दुनिया के कई विमानन विभाग घटनाओं को जीपीएस में जानबूझकर की गई दखल का परिणाम मान रहे हैं। जीपीएस यानी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम अमेरिका द्वारा चलाया जाने वाला एक सैटेलाइट नेटवर्क है। इसमें 24 से अधिक सैटेलाइट आसमान में घूमते रहते हैं और लगातार अपनी पोजिशन और समय का सिग्नल भेजते हैं। मोबाइल, विमान, जहाज और टेलिकॉम टावर इन सिग्नलों की मदद से अपनी सही जगह और समय तय करते हैं। जीपीएस की शुरुआत वर्ष 1973 में हुई थी और यह 1995 में पूरी तरह काम करने लगा। आज भी अमेरिका इस सिस्टम पर हर साल अरबों डॉलर खर्च करता है। आज दुनिया में रूस का ग्लोनास, यूरोप का गैलीलियो और चीन का बेइदू जैसे दूसरे सिस्टम भी हैं, लेकिन जीपीएस सबसे ज्यादा भरोसेमंद माना जाता है। इन सभी सिस्टम की सबसे जरूरी बात यह है कि यह दुनिया को एक जैसा और एकदम ठीक समय बताते हैं। जीपीएस सब जगह एक जैसा सही समय पहुंचाता है, इसलिए सब कुछ ठीक से चलता है। इसी वजह से हवाई जहाज, जहाज, ट्रेन, ट्रक, खेती की मशीनें, वैज्ञानिकों का काम और मोबाइल में चलने वाले नक्शे सब जीपीएस पर निर्भर रहते हैं। बात दें कि जीपीएस को सबसे पहले सेना के लिए बनाया गया था ताकि मिसाइल, जहाज, टैंक और सैनिक खराब मौसम और कठिन जगहों में भी सही दिशा पा सकें। यूक्रेन के युद्ध ने दिखा दिया कि यह तकनीक कितनी जरूरी और कितनी कमजोर दोनों है। वर्ष 2022 से रूस और यूक्रेन दोनों ने एक दूसरे के जीपीएस सिग्नल में दखल की। इससे ड्रोन, मिसाइल और संचार सिस्टम कई बार गलत दिशा दिखाने लगे। इसके बाद दोनों देशों को पुराने तरीके अपनाने पड़े जैसे इनर्शियल नेविगेशन और मजबूत एंटी जाम तकनीक। अंतरराष्ट्रीय विमानन संस्था के अनुसार साल 2024 में करीब 4 लाख 30 हजार बार जीपीएस में दखल की घटनाएं हुईं। पिछले साल यह संख्या 2 लाख 60 हजार थी, यानी यह समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। कई जगह विमानों को अचानक गलत दिशा दिखने लगी या उनका रास्ता अजीब तरह से बदल गया, जो बिल्कुल संभव नहीं था। भारत में भी ऐसी दिक्कतें आईं। दिल्ली से जम्मू जा रहा एक विमान बीच रास्ते से वापस लौट आया क्योंकि उसका जीपीएस ठीक से काम नहीं कर रहा था। नवंबर 2024 में दिल्ली हवाई अड्डे पर पहली बार जीपीएस में दखल की घटना की पुष्टि हुई। इसके बाद डीजीसीए ने कहा कि ऐसी कोई भी घटना होते ही 10 मिनट के अंदर उसकी जानकारी देना जरूरी है। आशीष/ईएमएस 03 दिसंबर 2025