लंदन (ईएमएस)। हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ विएना और जापान के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन में समुद्री के रहस्यमयी जीव ‘वैम्पायर स्क्विड’ के बारे में ऐसा खुलासा किया है जिसने विज्ञान जगत में हलचल मचा दी है। शोधकर्ता बताते हैं कि यह जीव विकास की उस कड़ी का हिस्सा है जिसे वर्षों से वैज्ञानिक खोजते आ रहे थे। इसका जीनोम अब तक का सबसे बड़ा सेफलोपोड जीनोम है, जिसने ऑक्टोपस और स्क्विड के विकास की कहानी को नए सिरे से समझने का रास्ता खोल दिया है। दिखने में यह जीव बेहद डरावना लगता है काला शरीर, चमकती लाल या नीली आंखें और भुजाओं के बीच फैली जाली जो किसी लबादे जैसी दिखाई देती है। इसी भयानक रूप ने इसे ‘वैम्पायर’ नाम दिलाया। लेकिन इसकी जीवनशैली बिल्कुल अलग है। यह न तो खून चूसता है और न ही जीवित प्राणियों का शिकार करता है। बल्कि यह समुद्र में तैरते हुए मृत जीवों के अवशेष और जैविक कचरा खाता है। इसे जापान में ‘कोमोरी-डाको’ यानी ‘चमगादड़ ऑक्टोपस’ कहा जाता है। शांत और सफाई करने वाला यह जीव प्रकृति के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वैज्ञानिकों के सामने असली चुनौती इसके विशाल जीनोम को डिकोड करना था। वैम्पायर स्क्विड के डीएनए में 11 बिलियन बेस पेयर्स पाए गए, यानी मानव जीनोम से लगभग चार गुना ज्यादा। इसके बावजूद इसमें समय के साथ बहुत कम परिवर्तन हुआ है, इसलिए इसे ‘जीनोमिक लिविंग फॉसिल’ का दर्जा दिया गया है। यह जीव करोड़ों वर्षों से लगभग उसी रूप में समुद्र में जीवित है, और इसके जीन में पृथ्वी के समुद्री विकास का इतिहास दर्ज है। शोध में खुलासा हुआ है कि लगभग 30 करोड़ वर्ष पहले सेफलोपोड्स दो अलग समूहों में विभाजित हो गए थे। एक समूह में 10 भुजाओं वाले स्क्विड और कटलफिश थे, जबकि दूसरे में 8 भुजाओं वाले ऑक्टोपस और वैम्पायर स्क्विड। हालांकि नाम में स्क्विड होने के बावजूद इस जीव के पास ऑक्टोपस जैसी आठ भुजाएं हैं, लेकिन इसका क्रोमोसोम ढांचा स्क्विड जैसा है। यह दोनों के बीच खोई हुई विकास कड़ी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक आधुनिक ऑक्टोपस के विकास में क्रोमोसोम के पुनर्गठन ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई, जिससे उन्हें अपनी खास विशेषताएं मिलीं। दूसरी ओर वैम्पायर स्क्विड ने अपने पुराने गुण और संरचना को सुरक्षित रखा। अध्ययन में इसकी तुलना ‘पेपर नॉटिलस’ नामक एक अन्य विचित्र ऑक्टोपस प्रजाति से भी की गई, जिससे यह समझ आया कि शुरुआती कोलिओड्स का संगठन स्क्विड जैसा था, जो बाद में बदलकर आज के ऑक्टोपस के रूप में विकसित हुआ। यह शोध साबित करता है कि विकास सिर्फ नए जीन बनाने की प्रक्रिया नहीं है। सुदामा/ईएमएस 04 दिसंबर 2025