जम्मू,(ईएमएस)। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के बालाकोट सेक्टर के जंगल में लगी आग नियंत्रण रेखा (एलओसी) तक फैल गई। इससे मेंढर इलाके के बालाकोट जंगलों में कम से कम आधा दर्जन बारूदी सुरंगों में जोरदार विस्फोट हो गए। ये सुरंगें घुसपैठ रोधी बाधा प्रणाली का हिस्सा हैं, जो आतंकियों की घुसपैठ रोकने के लिए बिछाई जाती हैं। आग और धुएं की आड़ में घुसपैठ की आशंका जताई जा रही है, जिसके मद्देनजर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और सेना ने गश्त तेज कर दी है। सूत्रों के अनुसार, आग पीओके के जंगलों से शुरू होकर भारतीय क्षेत्र में पहुंची, जहां सूखे पत्तों और वनस्पति ने इसे भड़काया। विस्फोटों से सैन्य प्रतिष्ठानों या संपत्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचा, लेकिन वन संपदा को भारी क्षति हुई है। अधिकारियों ने बताया कि आग बुझाने के लिए वन विभाग, सेना और स्थानीय टीमों के संयुक्त प्रयास जारी हैं। हालांकि, बारूदी खदानों की मौजूदगी के कारण दमकल वाहनों को सीमित पहुंच है, जिससे चुनौतियां बढ़ गई हैं।विशेषज्ञों का मानना है कि सर्दियों में जंगलों में आग लगाना पाकिस्तान समर्थित आतंकियों की पुरानी रणनीति है। धुएं का फायदा उठाकर वे एलओसी पार करने की कोशिश करते हैं। जानकार घुसपैठ की साजिश करार देते हुए कहते हैं, पिछली घटनाओं से साफ है कि पीओके से लगाई जाने वाली आग अक्सर भारतीय जंगलों और सुरंगों को निशाना बनाती है। लेकिन हमारी सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं और हर प्रयास को नाकाम करने को तैयार हैं। बीएसएफ और सेना ने पूर्व में ऐसी कई कोशिशों को विफल किया है। इस घटना के बीच बीएसएफ कश्मीर फ्रंटियर के आईजी अशोक यादव ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि एलओसी पर 69 आतंकी लॉन्च पैड सक्रिय हैं, जहां 100-200 आतंकी घुसपैठ की फिराक में हैं। यादव ने बल के 61वें स्थापना दिवस पर कहा कि 2025 में चार घुसपैठ प्रयासों में आठ आतंकियों को मार गिराया गया। आग को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिससे सीमा पर सतर्कता और बढ़ गई है। पिछले वर्षों में ऐसी घटनाएं दोहराई गई हैं। मई 2022 में पुंछ के पास एलओसी पर आग से कई सुरंगें फटीं। नवंबर 2024 में कृष्णा घाटी में विस्फोट हुए, जबकि जनवरी 2025 में पुंछ के धारी डबसी और मनकोट सेक्टरों में समान घटना घटी। इनसे सुरक्षा प्रणाली को अस्थायी नुकसान पहुंचा, लेकिन घुसपैठ रोकी गई।एलओसी की 740 किलोमीटर लंबी सीमा पर बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था है, जिसमें खदानें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से सूखे मौसम में आग का खतरा बढ़ा है, जो सुरक्षा चुनौतियों को दोगुना कर रहा है। फिलहाल, सेना ने ड्रोन और थर्मल इमेजिंग से निगरानी तेज कर दी है। जम्मू-कश्मीर में शांति प्रयासों के बीच ऐसी घटनाएं तनाव बढ़ाती हैं, लेकिन भारतीय सेनाएं इसे संभालने में सक्षम हैं। वीरेंद्र/ईएमएस/08दिसंबर2025