राष्ट्रीय
09-Dec-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। दुनिया भर में कहीं ज्वालामुखी फट रहे हैं, कहीं चक्रवाती तूफान से भीषण बाढ़ आ रही है, धरती कांप रही है और सूरज आग बरसा रहा है। इन घटनाओं के पीछे एक बड़ा वैश्विक मौसमीय असंतुलन काम कर रहा है क्यूबीओ (क्वासी-बॉयएनियल ऑसिलेशन) का अचानक टूटना। इसका प्रभाव पूरी पृथ्वी के मौसम पर गहरा और दीर्घकालिक पड़ रहा है, और भारत भी इससे बच नहीं सकता। क्यूबीओ पृथ्वी से 20 से 30 किलोमीटर ऊपर बहने वाली हवाओं की एक प्रणाली है, जो हर 28 से 30 महीने में अपनी दिशा बदलती है। लेकिन इस बार यह बदलाव निर्धारित समय से दो से तीन महीने पहले, नवंबर 2025 में ही हो गया, जबकि यह आमतौर पर जनवरी-फरवरी में होता है। एनओएए के आंकड़ों के अनुसार ऊपरी हवाएं पश्चिम से पूर्व की दिशा में असामान्य तेजी से उलट रही हैं। यह घटना मौसम विज्ञानियों के अनुसार एक बड़ा व्यवधान है, जिसने पूरी मौसम प्रणाली को झटका दे दिया है। वैज्ञानिक इसे मौसम की मशीन का रिवर्स गियर मान रहे हैं एक ऐसी स्थिति जहां नियंत्रण किसी के हाथ में नहीं है। क्यूबीओ का टूटना तूफानों को अनियमित करता है, नमी को गलत स्थानों पर जमा करता है और चरम मौसमी घटनाओं को क्लस्टर में लाता है। इसका सबसे बड़ा असर हिंद महासागर क्षेत्र पर देखा जाएगा, जहां भारत स्थित है। वर्तमान में दक्षिण-पूर्व एशिया वियतनाम, फिलीपींस और इंडोनेशिया भयंकर बाढ़ और तूफानों का सामना कर रहे हैं। वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि 15 से 30 दिन के भीतर इसी तरह की स्थितियां भारत में बन सकती हैं। अगले 12 महीने भारत के लिए बेहद कठिन माने जा रहे हैं। 2025 का उत्तर-पूर्वी मॉनसून सामान्य से 20 से 30 प्रतिशत ज्यादा बारिश ला सकता है और बंगाल की खाड़ी में तीन तक शक्तिशाली चक्रवात बन सकते हैं, जो चेन्नई, कोचीन, विशाखापट्टनम और ओडिशा के तटीय शहरों में भीषण बाढ़ ला सकते हैं। सर्दी का मौसम अनियमित होगा दिसंबर-जनवरी में भीषण ठंड और फरवरी में अचानक तापमान 5 से 7 डिग्री बढ़ने की संभावना है। उत्तर भारत में 10 से 15 दिन तक घना कोहरा छाया रह सकता है, जबकि हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में भारी बर्फबारी व हिमस्खलन का खतरा कई गुना बढ़ेगा। 2026 की गर्मी रिकॉर्ड तोड़ सकती है। मध्य भारत महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश में तापमान 48 से 50 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच सकता है और 15 से 20 दिनों तक भीषण लू चल सकती है। गर्म हवाओं से मौतों में कई गुना बढ़ोतरी संभव है। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून देर से आएगा और अनियमित होगा, जिससे कुछ क्षेत्रों में भयंकर बाढ़ और कुछ में सूखा पड़ सकता है। कृषि पर इसका सबसे बड़ा असर पड़ेगा गेहूं और चावल की पैदावार 20 प्रतिशत से 40 प्रतिशत तक घटने का खतरा है। फसलों में फूल कम लगेंगे, बुआई में देरी होगी और बाढ़ फसलों को डुबा देगी। इससे खाद्य महंगाई बढ़ेगी और जीडीपी में 0.5–1प्रतिशत की गिरावट संभव है। वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि आने वाला समय “कंपाउंड एक्सट्रीम वेदर” एक साथ कई मौसमीय आपदाओं का दौर होगा। सुदामा/ईएमएस 09 दिसंबर 2025